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तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के खिलाफ स्कूली बच्चों ने जागरूकता रैली निकाली

कांगड़ा(गगन ललगोत्रा): राजकीय माध्यमिक विद्यालय भोगरवां में एनएसएस के सहयोग से नाडा यंग इंडिया नेटवर्क ने तंबाकू जागरूकता रैली निकाली। रैली के मध्यम से तंबाकू से हो रहे दुष्प्रभाव को मुख्य रूप से सामने रखा गया। जानकारी के मुताबिक हर साल 13 लाख लोग तंबाकू का सेवन करने से अपनी जान गवा देते हैं। स्कूल प्रधानाचार्य कमल किशोर ने कहा की वर्त्तमान में स्कूल के आसपास 100 गज दायरे में तंबाकू उत्पादों को बेचना या खरीदना कानून के दायरे में आता है। कोटपा अधिनियम के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इसके लिए हमारे स्कूल परिसर में समय समय पर अनुपालन के लिए जरूरी कदम उठाते जाते हैं।

श्री रिंकू ठाकुर एनएसएस यूनिट कॉमर्स लेक्चरर ने एनटीसीपी के बारे में बताया कि किया की भारत सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य (i) तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना, (ii) उत्पादन को कम करना था।

तम्बाकू उत्पादों की आपूर्ति,कोटपा अधिनियम के तहत तम्बाकू नियमो में मुख्य रूप से १०० गज दायरे में तंबाकू उत्पादों को बेचना और खरीदना दंडनीय अपराध साथ ही साथ जो ऐसा करता है उनके खिलाफ कड़ी कारवाही की जाती है।

रैली में स्कूली बच्चों को तम्बाकू को लेकर शपथ भी दिलाई गई। प्रतिज्ञा के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया गया की तम्बाकू नियमो को सख्त बनाया जाए और कोटपा अधिनियम में मुख्य रूप से खरीदने और बेचने की उम्र 18से 21कर दी जाए।

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जागरूकता रैली में स्कूली बच्चों एवम स्टाफ के साथ के तकरीबन 360 लोगों ने भागीदारी की विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हिमाचल प्रदेश में कराए गए 2013 सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में तम्बाकू सेवन कर प्रतिशत 16.1 है। जबकि धुम्रपान की व्यापकता 14.2 प्रतिशत है। धुम्रपान रहित तम्बाकू की व्यापकता देश में हालांकि 3.1 प्रतिशत के साथ सबसे कम है। वैश्विक वयस्क तम्बाकू सेवन द्वितीय सर्वे में पहले सर्वे की तुलना में आंकड़ों में तब्दीली आई है। सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क से इस समय राज्य में 32.5 प्रतिशत लोग घरों में प्रभावित हैं। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर 12 प्रतिशत।

भारत में दुनिया में तंबाकू खपतकारों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या 268 मिलियन है। भारत में लगभग 27 फीसदी कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू है। 2017-18 में तंबाकू के उपयोग से होने वाली सभी बीमारियों और मौतों की वार्षिक आर्थिक लागत 177,341 करोड़ रुपयें रहा जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का एक फीसदी है। स्वास्थ किसी भी देश की बड़ी पूंजी होती है। युवा शक्ति पूंजी होती है। तंबाकू एवम उससे जुड़े उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं । इस समस्या के समाधान की दिशा में भोगरवान विद्यालय कांगड़ा के स्कूली बच्चों का कदम सराहनीय है।

हिमाचल एन वाई एन राज्य समन्वयक मंगल सिंह ने कहा कि कोटपा अधिनियम की जानकारी आमजन में बहुत कम है । युवाओं में स्वास्थ्य को लेकर चिंता कम है। ज़मीनी स्तर पर जागरुकता बढ़ाने के लिए कैंपेन चलाए जा रहे हैं। भोगरवान विद्यालय के बच्चों के द्वारा निकाली गई रैली से शिक्षण संस्थानों के आसपास आसपास के तम्बाकू को लेकर जागरूकता आएगी।

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