फुलवारी शरीफ़, अजित। भोजन की सामग्रियों में ही सभी प्रकार के रोगों की औषधियाँ भी होती हैं.शुद्ध और संतुलित प्राकृतिक आहार के साथ नियमित व्यायाम हमें सुखद स्वास्थ्य प्रदान करते हैं, जिससे जीवन गुणवत्तापूर्ण, आनन्द-प्रद और मूल्यवान होता है. आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति सकारात्मक दृष्टि के साथ प्रकृति की ओर लौटे।
यह बातें शनिवार को बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट ऑफ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में आयोजित आयुष कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही. डा सुलभ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने भोजन के प्रति सावधान रहना चाहिए तथा प्रतिदिन आधे से एक घंटे का समय योग, प्राणायाम और व्यायाम के लिए देना चाहिए। इससे अधिकांश रोग दूर रहते हैं।
ऐस्क्लेपियस वेलनेस से जुड़े और भारतीय सेना से अवकाश प्राप्त आयुष-वैज्ञानिक योगांबर सिंह ने अपना वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि जीवन-शैली में आए नकारात्मक परिवर्तन और प्रकृति से दूर कृत्रिमता को स्वीकार करते जाने से संसार में रोगों का विस्तार हुआ है.शारीरिक श्रम से दूर भाग रही युवा पीढ़ी जंक फ़ूड खाकर अपना स्वास्थ्य बिगाड़ रही है।
खाद्य-वैज्ञानिक अरुण राणा, डा संजीत कुमार तथा डा संतोष कुमार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए.इस अवसर पर बड़ी संख्या में संस्थान के कर्मी और विद्यार्थियों ने कार्यशाला में अपनी भागीदारी दी।