बिहार

जन जागरूकता शिविर का आयोजन

पटना, (न्यूज क्राइम 24) पटना जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक के निदेशानुसार जिला बाल संरक्षण इकाई, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के सफल क्रियान्वयन, निगरानी एवं अनुश्रवण हेतु जन जागरूकता शिविर का आयोजन जिला के सभी प्रखंडो में किया जा रहा है | जिसके तहत दिनांक -5 मार्च को फुलवारीशरीफ, दानापुर, नौबतपुर, विक्रम, धनरुआ एवं दनियावां एवं दिनांक 6 मार्च को विह्टा ,अथमलगोला , मनेर, घोसवारी, पंडारक, मसौढ़ी पुनपुन बेलछी में प्रखंड विकास पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित कर प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों के साथ बाल संरक्षण तथा सभी योजनाओं पर चर्चा करते हुए जागरूकता और व्यपक प्रचार प्रसार का कार्य किया गया।

शिविर का मुख्य उद्देश्य जिला बाल संरक्षण इकाई, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के बारे ग्रामीण स्तर तक लोगों को जागरूक करना है ताकि पात्र लोगों तक इस योजना के साथ लाभान्वित किया जा सके।

जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाल्ड हेल्प लाईन की टीम ने प्रखण्ड एवं पंचायत में जाकर बैठक आयोजित कर मिशन वात्सल्य अंतर्गत बच्चों के लिए संस्थागत एवं गैर संस्थागत सेवाओ, बालगृह, बालिका गृह , दत्तक ग्रहण अभिकरण, फॉस्टर केयर ,परवरिश योजना ,मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना ,स्पॉसरशीप कार्यक्रम, चाईल्ड हेल्प लाईन 1098 एवं किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 यथा संषोधित 2021 ,पॉक्सों एक्ट 2012 की विस्तृत जानकारी देकर पदाधिकारियों तथा लोगों को जागरूक किया एवं विभिन्न हितधारकों को यह अवगत कराया गया कि प्रखंडों एवं गाँवों / पंचायतों में विषम परिस्थिति में रह रहे बच्चों तक सभी बाल कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई प्रतिबद्ध है।

आज किए गए जनजागरूकता अभियान में समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न प्रकार की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु सामुदायिक सहभागिता और परस्पर सहयोग को बढ़ाने हेतु भी बल दिया गया। बाल श्रम, बाल विवाह, मानव व्यापार एवं बाल दुर्व्यवहार इत्यादि मुद्दों को लेकर भी प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर उन्मुखीकरण का कार्य के साथ साथ बाल अधिकारों के विषय में विस्तार से जानकारी दी गयी।

जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में एक महत्वपूर्ण योजना परवरिश योजना है जिसमें निकटतम रिशतेदारों के साथ रह रहे अनाथ और बेसहारा बच्चों, एच०आई०वी० / एड्स / कुष्ट रोग से ग्रसित माता / पिता के बच्चों एवं एच०आई०वी० / एड्स / कुष्ट रोग से पीड़ित बच्चों को प्रतिमाह DBT के माध्यम से 1,000/- रु० का लाभ दिया जाता है । इसी प्रकार की एक और प्रायोजन देख-रेख (स्पॉन्सरशिप) योजना है जिसके तहत विधवा/तलाकशुदा/परिवार द्वारा परित्यक्ता महिला/ जोखिम ग्रस्त रोगों से ग्रसित माता-पिता/ दिव्यांगता से ग्रसित माता-पिता के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह 4,000/- रु० का लाभ दिया जाता है ।

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इसके अत्तिरिक्त मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के माध्यम से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार की कन्या को विवाह के उपरांत एक मुस्त 5000/- की राशि प्रदान की जाती है । साथ ही बच्चों के दत्तकग्रहण के लिए भी जिला बाल संरक्षण इकाई प्राधिकृत है । ऐसा कोई भी ऐसा दंपत्ति जिसकी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति सुदृढ़ हो एवं उन्होंने कम से कम दो वर्ष का स्थिर वैवाहिक जीवन व्यतीत किया हो तथा दत्तक ग्रहण हेतु दोनों की आपसी सहमती हो दत्तकग्रहण की योग्यता रखते हैं। इसके अलावा एकल पुरूष अभिभावक को केवल लड़का जबकि एकल महिला अभिभावक को लड़का एवं लड़की दोनों को गोद दिया जा सकता है ।

देश में किसी अन्य माध्यम से बच्चा गोद लेना और देना कानूनन अपराध है । जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना ट्रांसजेंडर समुदाय के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुँचाने एवं उनके समस्याओं के निराकरण हेतु सुविधा केंद्र के रूप में कार्य करता है । ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन नियमावली 2020 के प्रावधानानुसार पोर्टल पर प्राप्त आवेदन को वांछित दस्तावेजो के आधार पर कुल 64 ट्रांसजेंडर को आई०डी० कार्ड निर्गत किया गया है।

हाल में दौर में बाल यौन शोषण एवम बाल हिंसा के मामले की बढ़ते मामलों को लेकर भी समुदाय स्तर पर बाल सुरक्षा तंत्र को सुधरीद्द करने को लेकर जनमानस तक इससे संबंधित सूचनाओं को साझा किया गया l समुदाय स्तर पर सक्रीयता एवं जागरूकता से बच्चों के प्रति होने वाले हिंसा शोषण एवं उनके अधिकारों का हनन होने से पहले रोका जा सकता है और समुदायों में उनके अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सकता है।

बाल यौन शोषण पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श के विषय के महत्व को लेकर व्यापक स्तर पर जिला के स्थानीय समुदायों और स्कूलों में बैनर एवं पोस्टर लगाये जा रहे है ,जिसमे अभिभावकों को बताया जा रहा है कि अपने बच्चो के साथ संवाद स्थापित करे साथ ही बच्चों की सुरक्षा के लिए POCSO अधिनियम के महत्व को बताया गया एवं जागरूक किया गया कि यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम बच्चों की मदद करें, शोषण का शिकार होने से अपने बच्चों को बचाएं और दोषियों को POCSO एक्ट के तहत सज़ा दिलाएं एवं इससे सम्बंधित शिकयत हेतु सम्बंधित थाना ,बाल कल्याण समिति ,या आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 1098/112 पर सुचना दे। सहायक निदेशक ,जिला बाल संरक्षण इकाई ,श्री उदय कुमार झा ने बताया की प्रशासन का लक्ष्य जिले में बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण स्थापित करने तथा बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करना है।

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