बिहार

जयप्रभा मेदांता अस्पताल में अब बिना चीरा लगाए हृदय वाल्व का सफलता पूर्ण उपचार

फुलवारीशरीफ़, अजीत। पटना में ट्रांसकेथेटर आओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन विधि का प्रयोग कर आओरटिक वाल्व स्टेनोसिस का इलाज, क्षतिग्रस्त वाल्व को हटाए बिना एक नया वाल्व लगाकर मिनिमल इनवेसिव प्रकिया द्वारा किया जाता है. इसकी जानकारी जयप्रभा मेदांता अस्पताल पटना के कार्डियक साइंस टीम के डॉक्टरों ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में दी. कान्फ्रेस में हृदय रोगों से जुड़े मुद्दों पर डॉक्टरों ने बात की।

इस मौके पर मेदांता पटना के निदेशक एवं एचओडी डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि अब सर्जरी के बगैर भी मरीज के दिल के वॉल्व को बदलना संभव है ।ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व प्रत्यारोपण (टीएभीआई / टीएभीआर) प्रक्रिया वैसे मरीजों के लिए लाभदायी है जिनका एओर्टिक वाल्व की स्थिति ठीक नहीं है तथा ओपन हार्ट सर्जरी करवाने में जोखिम अधिक है। इस स्थिति में डॉक्टर ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व प्रत्यारोपण पर विचार कर सकता है।

उन्होंने बताया कि यह इलाज का एक बहुत ही एडवांस फॉर्म है, जिसमें ट्रांसकेथेटर एओर्टिक वाल्व इंप्लाटेशन पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व प्रत्यारोपण (टीएभीआई / टीएभीआर) इनवेसिव ऑपरेशन है जिसमे एओर्टिक वाल्व जो पूरी तरह से नहीं खुल सकता है उसमें प्रत्यारोपण किया जाता है । यह एओर्टिक वाल्व हृदय के बाएं (बाएं वेंट्रिकल) और शरीर की मुख्य धमनी के बीच स्थित होता है । यदि वाल्व ठीक से नहीं खुलता है तो हृदय से शरीर तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। जिसके कारण मरीज को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी और थकावट हो सकती है। ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व प्रत्यारोपण (टीएभीआई / टीएभीआर) प्रक्रिया द्वारा रक्त प्रवाह को फिर से ठीक किया जाता है।

Advertisements
Ad 2

इसी संदर्भ में कार्डियोवैस्कुलर और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने मुख्यत: एओर्टिक वाल्व की तकलीफ का इलाज सर्जरी के द्वारा ही होता है और यह काफी किफायती भी होता है। लेकिन इसमें चीरा लगाना पड़ता है और अस्पताल में 3-4 दिन रुकना पड़ता है। यही इलाज एक छोटे चीरे से भी किया जाता है । कुछ मरीज जो 70 की उम्र से ज्यादा होते है और सर्जिकल रिस्क बहुत ज्यादा होता है तब यह तकनीक वरदान साबित होता है।

डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि मेदांता पटना इलाज के साथ लोगों को हृदय रोगों से जुड़े खतरों के बारे में जागरूक करता है। विभिन्न माध्यमों से पैदा की गई जागरूकता हृदय रोगियों को उनकी स्थिति को खराब होने से बचाने और हृदय को स्वस्थ जीवन शैली जीने में मदद करती है। हृदय रोगों के कई रूपों को स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों के साथ रोका या इलाज किया जा सकता है, गंभीर परिस्थिति में सर्जरी की आवश्यकता होती है। दिल की बीमारियों का जल्दी पता चलने पर इलाज आसान होता है। डॉ विजय, डॉ पवन और डॉ श्रद्धा ने विभिन्न प्रक्रियात्मक जटिलताओं के बारें में बताया और “वाल्व इन वाल्व ” प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।

इस मौके पर मेदांता पटना के मेडिकल डायरेक्टर डॉ रवि शंकर सिंह ने कहा कि हमारी कोशिश होती है विभिन्न हृदय रोगों से पीड़ित रोगियों के लिए हृदय देखभाल की सुलभ और किफायती सुविधाएं प्रदान करे। उन्होंने कहा कि मेदांता पटना में कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियक केयर टीम उपलब्ध है। मेदांता पटना में कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियक केयर की विश्वस्तरीय प्रशिक्षित मेडिकल टीम है।उन्होंने यह भी बताया की मेडिकल टीम हर प्रकार के कार्डियक संबंधित समस्याओं के लिए 24’7 सुविधाएं उपलब्ध है। मेदांता पटना में हृदय रोग संबंधित समस्याओं के लिए बिहार की सबसे बड़ी कॉम्प्रिहेंसिव कार्डियक केयर टीम में से एक है।

Related posts

जिला के 4 मार्शल आर्ट खिलाड़ियों को मिला खेल सम्मान

सन्देहहास्पद स्थिति में युवक का शव बरामद, स्वजन ने हत्या का लगाया आरोप

धर्म परिवर्तन कराने का मामला पकड़ा तूल, विरोध में उतरे संगठन