लाइफ स्टाइल

आपसी सहमति के तलाक लेने की शर्तें जाने!

न्यूज़ क्राइम 24(एडवोकेट राहुल रंजन): पति-पत्नी मे विवाह के बाद अगर ऐसा लगातार हो रहे तो आप आपसी सहमति से तलाक ले सकते हैं लेकिन उसके लिये भी दिशा-निर्देश हैं जो आपको जानना जरूरी हैं।

1- पति और पत्नी एक साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहे हों.
2- दोनों में पारस्परिक रूप से सहमत होने और एक दूसरे के साथ रहने पर कोई सहमति न हो.
3- अगर दोनों पक्षों में सुलह की कई स्थिति नज़र नहीं आती को आप तलाक (Divorce ) फाइल कर सकते हैं.
4- इसमें दोनों पक्षों की ओर से तलाक की पहली याचिका लगाने के कोर्ट की ओर से 6 महीने का समय दिया जाता है. इस दौरान कोई भी पक्ष याचिका वापस भी ले सकता है.
5- नए नियम में अब आप 6 महीने के समय को कम कराने के लिए एप्लीकेशन भी दे सकते हैं. कोर्ट सभी पहलुओं को जांचने के बाद इस समय को कम भी कर सकता है.
6- आपको पहील याचिका डालने के बाद 18 महीने के अंदर दूसरी याचिका डालनी पड़ती है. अगर 18 महीने से ज्यादा वक्त हुआ, तो आपको फिर से पहली याचिका ही डालनी पडेगी.
7- यानि नए तरीके से फिर से तलाक को लेकर याचिका डालनी पड़ेगी.
8- अगर दूसरी याचिका के वक्त कोई एक पक्ष केस वापस लेता है तो उस पर जर्माना और पेनल्टी लगती है

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पारस्परिक तलाक (Divorce) की प्रक्रिया क्या होती है?

1- सबसे पहले तलाक के लिए दोनों पक्षों की ओर से हस्ताक्षर की गई एक संयुक्त याचिका फैमिली कोर्ट में दायर की जाती है.
2- इस तलाक याचिका में दोनों पार्टनर का एक संयुक्त बयान होता है जिसमें दोनों अपने आपसी मतभेदों की वजह से एक साथ नहीं रह सकते और तलाक लेने की बात कहते हैं.
3- इस बयान में बच्चों और संपत्तियों के बंटवारे के बारे में भी समझौता शामिल होता है.
4- बयान दर्ज करने के बाद माननीय न्यायालय के सामने पेपर पर हस्ताक्षर किए जाते हैं.
5- इसके बाद दोनों पक्ष को सुलह करने या मन बदलने के लिए 6 महीने का समय दिया जाता है.
6- अगर इन प्रस्ताव के 6 महीने में दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बनती है तो अंतिम सुनवाई के लिए यानि दूसरे प्रस्ताव के लिए उपस्थित होंगे.
7- अगर दूसरा प्रस्ताव 18 महीने की अवधि में नहीं लाया गया, तो अदालत तलाक के आदेश को पारित नहीं करेगी.
8- इसमें एक पक्ष आदेश के पारित होने से पहले किसी भी समय अपनी सहमति वापस भी ले सकता है.
9- ऐसे मामले में अगर पति और पत्नी के बीच कोई पूर्ण समझौता न हो या अदालत पूरी तरह से संतुष्ट न हो, तो तलाक के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता है.
10- अगर अदालत को ठीक लगे, तो अंतिम चरण में तलाक का आदेश दिया जाता है..

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