बिहार

सामान्य व सुरक्षित प्रसव के लिये मां का सेहतमंद होना बेहद जरूरी

अररिया(रंजीत ठाकुर): मां बनना हर महिला की चाहत होती है। इसे प्रकृति के सर्वोत्तम उपहारों में से एक माना गया है। गर्भधारण के बाद हर महिला सामान्य व सुरक्षित तरीके से स्वस्थ व सेहतमंद बच्चे को जन्म देना चाहती है।

लेकिन गर्भावस्था के नौ महीने माताओं के लिये चुनौती व जोखिमों से भरा होता है। गर्भवती किसी महिला की जरूरतें आम महिलाओं से अलग होती हैं। लिहाजा सामान्य व सुरक्षित प्रसव के लिये महिला व उनके परिवार वालों को ज्यादा सतर्क व सावधान रहने की जरूरत होती है।

शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी

सुरक्षित व सामान्य प्रसव के लिये गर्भवती महिलाओं का शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है। सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के प्रति भी सजग रहना होता है।

इसके लिये स्वस्थ दिनचर्या व पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है। इसके लिये निश्चित समयांतराल पर महिलाओं को अपना स्वास्थ्य जांच कराना चाहिये। प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार अपने खानपान में शामिल करते हुए नियमित योगाभ्यास व हल्का फुल्का व्यायाम करना चाहिए ।

नियमित स्वास्थ्य परीक्षण व पौष्टिक आहार जरूरी

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गर्भस्थ शिशु का विकास मां के शरीर में ही होता है। इसके लिये बच्चों को जरूरी पोषण मां के रक्त से मिलता है। डॉ राजेंद्र कुमार ने बताया कि मां को सामान्य से अधिक पौष्टिक आहार के सेवन की जरूरत होती है। इसके लिये हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज, गुड, दाल, अंडा, फल व मांस का सेवन उपयुक्त होता है।

तेल मसालों का कम प्रयोग व अधिक पानी का सेवन भी महत्वपूर्ण होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सामान्य से ज्यादा आराम करना चाहिये। साधारणत: ऊंचाई, वजन, रक्तचाप, मूत्र जांच व पेट में पल रहे बच्चे के वास्तवित स्थिति सहित अन्य बातों का पता लगाने के लिये प्रोटीन एवं ग्लूकोज़ का परीक्षण किया जाता है। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिये।

चिकित्सक की सलाह से करें किसी दवा का सेवन

गर्भावस्था के दौरान बिना विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के दवाओं के सेवन से परहेज करना चाहिये। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि शरीर में खून बढ़ाने के लिेय आयरन, कैल्शियम व फोलिक एसिड की गोलियों का सेवन करना चाहिये। जो सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है।

गर्भावस्था के दौरान टेटनेस के दो टीके अवश्य लगवाएँ। सामान्यत: गर्भ काल के चौथे व सातवें महीने के बीच ये टीका कभी भी लगाया जा सकता है। इस दौरान किसी भी तरह के नशापान की लत से दूर रहना सामान्य प्रसव व स्वस्थ नवजात के लिये जरूरी होता है।

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