पटना(अजित यादव): भारत देश में हाथ से बने कपड़ों यानी कि हथकरघा उत्पादों के प्रयोग का आह्वान किया जा रहा है. “फैब्रिक7” एक तरह से # वोकल फ़ॉर लोकल का ही विस्तार है. फैब्रिक7 का उद्घाटन दीघा विधानसभा के विधायक डॉक्टर संजीव चौरसिया चीफ गेस्ट पीके अग्रवाल अध्यक्ष , बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स और विधायक आलोक मेहता, फैब्रिक 7 के प्रोपराइटर रानी ऋतुजा और उनके पति प्रतीक चौरसिया ने रिबन काट कर किया , वही इस उद्घाटन में बिहार के जाने माने बिज़नेसमैन और उनके परिवार तथा पटना के गणमान्य लोग शामिल हुए । कितना विचित्र है कि हथकरघा की समृद्ध विरासत वाले देश को आज हथकरघा को जिंदा रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
हैंडलूम की साड़ियों एवं कुर्ती सूट के प्रति लोगों की दीवानगी का आलम ये है कि इसके क़द्रदान आज भी कारीगरों को ढ़ूंढ़ते हुए तमाम शहरों की तंग गलियों में घूमते हुए मिल जाएंगे. फिर भी हथकरघा उद्योग अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता नज़र आता है. क्या वजह है कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक बनारसी, कांजीवरम, पैठणी, चंदेरी, तसर सिल्क, जामदानी, मंगलागीरी, माहेश्वरी, पटोला साड़ियों और कश्मीरी कपड़ों के कद्रदानों के देश में इनके कारीगरों को रोजी-रोटी जुटाना मुश्किल हो रहा है?
पटना की एक जुझारू महिला रानी ऋतुजा एक छत के नीचे अपनी इतनी समृद्ध विरासत को सहेजने में लगी हुई हैं इन्होंने बिहार की राजधानी पटना में एक ब्रांड “फैब्रिक7” खड़ा कि ये काबिले तारीफ है । “फैब्रिक7” स्वदेशी हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों के उत्पादन और विपणन पर जोर दे रही है। रानी ऋतुजा ने बताया कि हमारा पटना में दूसरे प्रतिष्ठान का उद्घाटन फ्रेजर रोड में हुआ है, हमारा उद्देश्य हैंडलूम, हस्तकरघा , स्वदेशी कपड़ो को हमारे देश में सिग्नेचर गारमेंट के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर एक ब्रांड “फैब्रिक7” को बढ़ावा देना है। और स्वदेशी कपड़ा पहनने वाले ग्राहक खूब पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इससे पहले पटना के पाटलिपुत्रा में एक प्रतिष्ठान 2020 खुला था तो हैंडलूम के कद्रदानों ने खूब सराहा ।