बिहार

यूरेनियम का स्तर बढ़ा तो होगी गंभीर बीमारियाँ, कैंसर का भी खतरा : महावीर कैंसर संस्थान

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फुलवारीशरीफ, अजीत। पटना के महावीर कैंसर संस्थान में आयोजित प्रेस वार्ता में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एल. बी. सिंह ने कहा कि दूध पिलाने वाली माताओं के ब्रेस्ट मिल्क और बच्चों के ब्लड में पाया गया यूरेनियम अभी शुरुआती स्तर पर है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन समय रहते सावधानी बेहद जरूरी है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह स्तर भविष्य में बढ़ता है, तो बच्चों में हड्डियों से जुड़ी विकृतियाँ, मानसिक और शारीरिक विकास में कमी तथा आगे चलकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।

डॉ. सिंह ने बताया कि आईसीएमआर की अनुमति के बाद महावीर कैंसर संस्थान ने यह शोध शुरू किया. इससे पहले यह तथ्य सामने आया था कि देश के 18 राज्यों के 151 जिलों, जिनमें बिहार के कई जिले शामिल हैं, के भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी पहले ही दर्ज की जा चुकी है. इसी आधार पर यह जांच की गई कि क्या इसका प्रभाव माताओं और शिशुओं तक भी पहुंच रहा है।

अध्ययन में बिहार के छह जिलों की 40 महिलाओं को शामिल किया गया. जांच में लगभग 70% बच्चों के ब्लड सैंपल में यूरेनियम का शुरुआती स्तर पाया गया. हालांकि यह तुरंत गंभीर खतरा नहीं पैदा करता, लेकिन लंबे समय तक सेवन होने पर इसके दुष्प्रभाव गंभीर रूप ले सकते हैं।

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मेडिकल निदेशक डॉ. मनीषा सिंह ने कहा कि “यह एक वैज्ञानिक अध्ययन है, पैनिक की जरूरत नहीं है. लोग अपने पानी का स्रोत बदलें, सुरक्षित पानी का उपयोग करें और आवश्यकता पड़े तो पानी उबालकर पिएं—इससे जोखिम काफी कम किया जा सकता है।

महावीर कैंसर संस्थान के रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार घोष ने बताया कि हाजीपुर स्थित NIPER में हुई लैब जांच में ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम का स्तर 0 से 6 माइक्रोग्राम प्रति लीटर पाया गया। कटिहार के सैंपल में सर्वाधिक 5.25 माइक्रोग्राम/लीटर, खगड़िया में 4.035 माइक्रोग्राम/लीटर और नालंदा में औसतन 2.35 माइक्रोग्राम/लीटर दर्ज किया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रेस्ट मिल्क के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित नहीं है, लेकिन यह स्थिति लोगों को सावधान रहने का संकेत जरूर देती है।

इस अध्ययन में शामिल शोध टीम में
डॉ. अरुण कुमार, डॉ. अभिनव, डॉ. राधिका कुमारी, मेघा कुमारी, मुकेश कुमार, शिवम कुमार और कन्हैया कुमार रहे। डॉ. एल. बी. सिंह ने जनता से अपील की कि वे अपने इलाके के पेयजल स्रोतों की जांच कराएं और संदिग्ध पानी का उपयोग न करें. RO, फिल्टर या उबले हुए पानी का नियमित उपयोग ही यूरेनियम एक्सपोजर के खतरे को सुरक्षित स्तर तक कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि संस्थान आगे भी इस विषय पर अध्ययन करेगा और बचाव के व्यावहारिक उपाय सार्वजनिक करे।

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