बिहार

अन्नदाता को ही पड़ने वाले हैं अन्न के लाले यूरिया की कालाबाजारी से परेशान है किसान ,काला बाजार करने वालो की पौ बारह

मनेर(आनंद मोहन): मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती। एक ऐसा भी जमाना था कि भारत की धरती को यह कहा जा रहा था की यहां की धरती सोना, हीरा और मोती उगलती है कहने का तात्पर्य है कि भारतीय मिट्टी बहुत ही उपजाऊ हुआ करती थी

भारतीय किसान पूरे भारत के लोगों का अन्नदाता कहे जाते हैं। तभी तो यहां के जाने माने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय किसान और जय जवान का नारा दिया था। इसलिए कि एक तरफ जवान देश की रक्षा करते हैं तो दूसरी तरफ किसान रोटी का प्रबंध करते हैं।

हीरे, सोने, मोती से मतलब यहां विभिन्न प्रकार के अन्न के उत्पादन से था। लेकिन विगत 2 वर्षों से पटना जिले की ऐसी स्थिति हो गई है कि यहां किसानों के फसलों में पोषक तत्व नाइट्रोजन को डालने के लिए यूरिया ही नहीं मिल रहा है।

गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी आवश्यकता के अनुरूप यूरिया नहीं उपलब्ध होने से पटना जिले के प्रत्येक प्रखंड एवं प्रत्येक गांव के किसानों में इसके लिए हाहाकार मचा हुआ है। कारण यह है कि नाइट्रोजन से ही फसल हरे भरे रहते हैं।

अभी रवि फसल की सिंचाई का मौसम चल रहा है और सिंचाई के साथ ही फसलों में डालने के लिए नाइट्रोजन की जरूरत होती है जो यूरिया नामक उवर्रक से किसान अपने फसलों में इसकी पूर्ति करते हैं।

लेकिन इस बार भी यूरिया के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। क्योंकि जरूरत से कम यूरिया की आपूर्ति हो पाई है। एक अनुमान लगाया गया है कि 80 हजार से ज्यादा हेक्टेयर में किसानों ने गेहूं की फसल को लगा रखा है।

इसकी सिचाई शुरू हो गई है तथा इसके लिए किसानों को यूरिया की जरूरत है लेकिन बिहार सरकार केंद्र सरकार के ऊपर दोषारोपण कर रही है कि जितनी मात्रा में यूरिया चाहिए उतनी मात्रा में यूरिया नहीं उपलब्ध कराया गया है।

बताते चलें कि पटना जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार किसानों को यूरिया यथाशीघ्र उपलब्ध करा दिया जाएगा। गौरतलब है कि पटना में रबी के सीजन में 36000 मेट्रिक टन यूरिया की जरूरत होती है लेकिन अभी तक जिले में मात्र 18000 मेट्रिक टन यूरिया मिल पाया है।

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रविवार तक 12300 मेट्रिक टन यूरिया पहुंच पाया है। विभागीय पदाधिकारियों का कहना है कि शीघ्र ही इफको आदि उवर्रक कंपनियों के यूरिया के रेक मिल जाएगी। वस्तुस्थिति यह है की यूरिया की आपूर्ति वर्ष जब कृषि सुखाने की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।

क्योंकि सिंचाई के समय या सिंचाई के तुरंत बाद यूरिया की जरूरत किसानों को पड़ती है। अभी की स्थिति यह है कि किसान लोकल दुकानदार, पैक्स एवं प्रखंड कायार्लय का चक्कर लगा लगा के थक गए हैं और मायूस चेहरे लिए एक सुबह यूरिया की खोज में निकलते हैं तो शाम तक खाली हाथ लौट के आते हैं।

आज के संदर्भ में पटना जिले में किसानों को यूरिया का मिलना उनके लिए भगवान मिलने की खुशी से थोड़ा भी कम नहीं है। लेकिन मुसीबत यह है कि यूरिया मिल नहीं पा रही है किसानों का कहना है कि कालाबाजारी करने वाले डेढ़ गुने से दोगुने कीमत में यूरिया उपलब्ध करा रहे हैं।

इधर जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि आईपीएल कंपनी का 350 मेट्रिक टन यूरिया सराय स्टेशन स्थित रैक प्वाइंट से एवं 1000 मैट्रिक टन कृभको कंपनी का यूरिया पटना स्थित रेक पॉइंट पर पहुंच गया है। सभी विक्रेताओं को यूरिया उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे कि किसानों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

यूरिया कालाबाजारी कर दुकानदारों की हो रही चांदी

एक तरफ पदाधिकारियों के कारण है कि बाजार में यूरिया उपलब्ध हो गया है तो दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि जो यूरिया दूसरा 266 रूपये पर मिलना चाहिए उसके लिए दुकानदार 400 से 500 रूपये की वसूली कर रहे हैं और साथ में कोई छोटा सा एक और लिक्विड पकड़ा दे रहे हैं।

मनी रसीद भी नहीं दे रहे हैं। अंगूठे का निशान लगा लेते हैं लेकिन रसीद देने के नाम पर कन्नी काट जाते हैं, कहते हैं कि लेना है तो लीजिए नहीं तो छोड़ कर जाइए। किसान सुरेश राय, पंचायत समिति सदस्य धर्म भाई यादव ने बताया कि क्षेत्र में जहां चलिएगा दुकानदारों के द्वारा लूट मचाया जा रहा है

सामान्य कीमत पर यूरिया उपलब्ध नहीं हो पा रही है लेकिन यदि दुकानदारों को मनमानी कीमत देनी है तो जब चाहिए तब यूरिया उपलब्ध हो जाएगी। हालांकि किसानों को देखने वाला कोई नहीं है। यूरिया खाद नहीं मिलने से किसानों में रोष व्याप्त है।

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