अररिया(रंजीत ठाकुर): मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हो, या अन्य कोई समस्याएं आम नागरिकों के लिए इन्हें प्राप्त करना टेढ़ी खीर है। ऐसी ही धारणा इन दिनों नरपतगंज प्रखण्ड के भंगही पंचायत वार्ड संख्या- 07 के लोगों में बन चुकी है। आजादी के बाद पिछले 7 दशक से यहां के ग्रामीण सोते-जागते पक्की सड़क की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन उन्हें आज तक नसीब नहीं हुई है। इस बस्ती में लगभग 40 से 50 महादलित परिवारों के लिए सड़क नही होने के कारण बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इसी बात को लेकर दिव्यांग चुंन्नीलाल राम ने प्रखण्ड कार्यालय नरपतगंज को आवेदन देकर इस सड़क की व्यथा सुनाई है। बताया कि बारिश के समय मे इस कच्ची सड़क में काफी कीचड़ हो जाती है? बच्चो को स्कूल न जाकर घर मे ही रहना पड़ता है। जिससे बच्चों का भविष्य खराब तो हो ही रह है, बूढ़े-बुजुर्गों को भी काफी समस्या होता है । मार्ग कच्ची होने के साथ-साथ खतरनाक गड्ढेयुक्त भी है। जिस पर गर्मी-ठंड के दिनों में भी आवागमन करना मुश्किल रहता है। साइकिल, बाइक से आने-जाने वाले लोग आए दिन गिरते-पड़ते देखे जाते हैं। वहीं बारिश के दिनों में तो राम टोला के लोगों का आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाता है। बरसाती पानी से होने वाली भारी कीचड़ के कारण एक तरह से वे अपने गांव-घर में ही कैद होकर रह जाते हैं। गांव में ऐसे हालात पिछले 7 दशक से हैं।
हालांकि चुनाव दर चुनाव वोट लेने के लिए यहां पहुंचने वाले जनप्रतिनिधि हर बार ग्रामीणों की इस मांग पर पक्की सड़क बनवाने का वादा करते रहे हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद किसी ने भी यहां पर पक्की सड़क निर्माण की कोई कोशिश नहीं की। ग्रामीणों की मांगों को अनसुना कर दिया जाता रहा है। जबकि आसपास के ऐसे भी गांव हैं, जहां पर सत्ता-विपक्ष के दबंग नेता-व्यक्ति निवासरत हैं। जिन्होंने अपने प्रभाव के कारण सड़क निर्मित करा ली है। ग्रामीण बताते हैं कि मात्र डेढ़ किमी की इस कच्ची मार्ग के कारण बीमार मरीजों को अस्पताल पहुंचाना तक मुश्किल हो जाता है। कीचड़ होने पर यहां एंबुलेंस तक प्रवेश नहीं कर पाती। गंभीर स्थिति में मरीज की जान पर बन आती है। बारिश के दिनों में यहां मचने वाली दलदल में पैदल चलना तक नामुमकिन है। यहां की कच्ची सड़कें 21वीं सदी के विकास की दावों को झुठलाते नजर आते हैं।
