पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) एचआईवी एड्स एक गंभीर संक्रमित बीमारी है जो लोगों को जीवन भर अपने शिकस्त में बनाए रखती है। लेकिन इससे संक्रमित व्यक्ति समय पर चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करने से सामान्य रूप से जीवन यापन का लाभ उठा सकते हैं। लोगों को एचआईवी एड्स के लिए जागरूक करने हेतु हीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर लोगों को एड्स ग्रसित होने के कारण और इससे सुरक्षा के लिए ध्यान रखने योग्य सावधानी के प्रति जागरूक किया जाता है।
एचआईवी संक्रमित लोग समय पर उपचार कर उठा सकते हैं सामान्य जीवन का लाभ : सीएस
सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया ने बताया कि असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सिरिंच का उपयोग, संक्रमित व्यक्ति से रक्त संग्रहण या संक्रमित महिला से होने वाला संतान एचआईवी पॉजिटिव हो जाता है। एचआईवी एक वायरस है जिससे संक्रमित व्यक्ति अगर समय से इसकी पहचान कर लें तो वह इससे शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। एचआईवी संक्रमण का कोई पर्याप्त इलाज नहीं है लेकिन समय पर इसकी जांच हो जाने पर लोग आवश्यक दवाइयों का उपयोग कर इसे कंट्रोल कर सकते हैं। इसके लिए लोगों को सभी प्रकार की जरूरी जानकारी का होना आवश्यक है। जिसमें इसके लक्षण, जांच केंद्र मुख्य है। स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तक एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की खोज कर स्थानीय स्तर पर उनको गोपनीयता का ध्यान रखते हुए उसका पर्याप्त इलाज किया जाता है। सभी संक्रमित व्यक्ति को बेहतर जीवन के लिए एड्स कंट्रोल सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।
एचआईवी पॉजिटिव लोगों को शारीरिक सुरक्षा के लिए दवा सेवन जरूरी :
जिला एआरटी सेंटर के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार ने बताया कि एचआईवी संक्रमित होने पर लोग इससे पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सकते लेकिन अगर समय पर इसकी पहचान कर लें तो इसे कंट्रोल किया जा सकता है। एचआईवी पॉजिटिव होने पर लोगों को इससे सुरक्षा के लिए आवश्यक दवा का पूरा जीवन सेवन करना आवश्यक है। इससे लोग एड्स जैसी गंभीर स्थिति से सुरक्षित रह सकते हैं। एड्स संक्रमित मरीजों की जांच और उपचार सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पूर्णिया जिले के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में एआरटी सेंटर संचालित है जहां से संबंधित एड्स ग्रसित मरीजों को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। संक्रमित लोगों को एआरटी सेंटर से नियमित उपचार कराने से लोग एड्स को नियंत्रित रख सकते हैं और सामान्य जीवनयापन का लाभ उठा सकते हैं।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को नियमित उपचार कराने पर उपलब्ध कराई जाती है सहयोग राशि :
डॉ सौरभ कुमार ने बताया कि एचआईवी की पहचान होने और संक्रमित व्यक्ति द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र से इसका आवश्यक इलाज कराने पर संक्रमित व्यक्ति और उनके बच्चों को सरकार द्वारा सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र के एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को परवरिश योजना के तहत 1000 रुपये प्रतिमाह जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को बिहार शताब्दी योजना के तहत 1500 रुपये प्रतिमाह का पोषण भत्ता दिया जाता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरह जांच करने और इसके बाद पूरा जीवन संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक दवाओं का उपयोग करना आवश्यक है।