बिहार

सोलह करोड़ में आठ करोड़ चंदे की राशि जमा होने के बावजूद पूरा नहीं हो पा रहा अयांश का इलाज

Advertisements
Ad 5

पटना(अजीत यादव): शायद हम आप और पूरा सिस्टम भी दोषी है जब एक मासूम के इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं कर पाए। अपने व्यस्ततम क्षण से 1 मिनट निकाल और इस पोस्ट को जरूर पढ़े ।

आपको याद है नन्हा बच्चा अयांश । जिसके लिए पिछले साल 1 महीने में हमने आपने सब ने मिलकर सात से आठ करोड़ रुपए जुटा लिए थे । तमाम यूट्यूब और फेसबुक चैनल सोशल मीडिया के स्टार बड़े चैनल फिल्मी स्टार गायक गीतकार समाजसेवी नेता सब उसके मदद के लिए दौड़ गए थे।

उस समय हमने आपने किसी ने नहीं सोचा था कि हम एक बेहतर काम कर रहे हैं या अपराध कर रहे हैं। हम सबके सामने एक नन्हा मासूम बच्चा था जिसके जीवन को बचाने के लिए 16 करोड़ की राशि चाहिए थी । अब वह बच्चा लगभग मौत के आगोश में जा चुका है।

आयांश के इलाज में जब मदद की शुरुआत हुई थी तब ना उस बच्चे की जात पता थी ना उसके पिता का पूर्व का अपराध । हां,पर एक चीज पता थी और आज भी पता है कि बच्चे की बीमारी सही है और जो 5-10 ₹50 की मदद हमने अपने कि वह भी सही है

फिर इस मुहिम को तथाकथित रूप से झटका देने दुष्प्रचार करने वाले वह मुट्ठी भर लोग कैसे जीत गए इतने अच्छे लोगों के होते हुए। सोशल मीडिया की ही ताकत थी कि पिछले साल 16 करोड़ की राशि जुटाने में 1 महीने के अंदर 7 करोड़ की राशि जुटा ली गई थी।

पटना के रूपसपुर में एक नन्हे बालक आयांश को बचाने के लिए बिहार के तमाम स्टार सुपर स्टार और ऊपर स्टार उसके घर के बाहर गणेश परिक्रमा कर रहे थे। कोई गीत गा रहा था तो कोई क्राउडफंडिंग में मदद भी कर रहा था। स्टारडम ऐसा कि 1 महीने तक देश की तमाम खबरें छोटी पड़ गई थी।

हर किसी के सोशल मीडिया स्टेटस पर वह ही नजर आता था। अचानक फिर आई उसके पिता की बैक हिस्ट्री। इस मामले में पुलिस के दबाव से नहीं सोशल मीडिया यूजर्स के ट्रोल किए जाने से परेशान आयांश के पिता आलोक सिंह ने रांची के अदालत में आत्म समर्पण किया।

Advertisements
Ad 1

फिर इस मामले में उन्हें रिहा भी किया गया, पर इस प्रकरण को एक गैंग विशेष द्वारा इस तरह से प्रचारित प्रसारित किया गया की यह मामला बीच राह में अटक भटक गया। पिछले एक वर्ष से इस नन्हे बालक को बचाने के लिए क्राउडफंडिंग के माध्यम से जमा 8 करोड़ की राशि जस की तस अकाउंट में पड़ी हुई है ।

बच्चा लाइफ सपोर्ट पर हैं। दुआओं के लिए उठे करोड़ों हाथ एक मिथ्या प्रचार के बाद वापस हो गए। किसी ने इस बच्चे की सुध नहीं ली। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले प्रकरण उस गुब्बारे की तरह होते हैं जिसमें एक छोटा छेद होते ही हवा निकल जाती है, पर यह गलत है।

अयांश के पिता अगर गलत है तो कानून उन्हें सजा दे सकता है , पर इसमें उस छोटे बच्चे की क्या गलती। अगर आपको लगता है कि गलत व्यक्ति के बच्चे या परिवार की मदद नहीं करनी चाहिए तो उन तमाम लोगों का राजनीति फिल्म और अन्य क्षेत्रों में विरोध होना चाहिए जिनके बाप दादा बड़े घोटाले या अन्य स्कैंडल में फंस कर जेल में है या कानूनी पचड़े में।

जिन लोगों ने ₹5 भी चंदा नहीं दिया उन्हें इस बात की चिंता आज भी सता रही है कि 8 करोड रुपए का क्या होगा । ये रुपए ना सरकार के हैं ना किसी संस्था के ।रुपए लोगों ने 10 ₹5 करके बच्चे को चंदा दिया है। जो बच्चे के इलाज पर खर्च होना है और होगा भी।

पर उनका क्या जिन्हें हर एक चीज में राजनीति विद्वेष कटुता नकारात्मकता नजर आती है । ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार तो होना ही चाहिए उनके खिलाफ अपराधिक मुकदमा भी दर्ज कराया जाना चाहिए।

इंसान को समस्या का समाधान बनना चाहिए समस्या में पडकर समस्या को और विकराल नहीं करना चाहिए। हमारी सहानुभूति कल भी नन्हे आयांश के साथ थी आज भी है और तब तक रहेगी कि जब तक इस बच्चे का इलाज नहीं हो जाता।

Related posts

एम्स पटना में राइनोप्लास्टी वर्कशॉप का आयोजन

पटना सिटी में इनरव्हील की बड़ी पहल

ईपीएफ की अनिवार्यता हटाने की मांग पर श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन

error: