अररिया(रंजीत ठाकुर): लोक सूचना पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी “स्थापना” शिक्षा विभाग अररिया के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का उड़ाया जा रहा है धज्जियां। बताते चलें कि ग्राम-पोस्ट फुलकाहा, नवाबगंज निवासी डॉ एके राय के द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत लोक सूचना पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना अररिया, विभाग कार्यालय शिक्षा विभाग से दिनांक 28 मार्च 2022 को निम्नलिखित सूचना का मांग किया था।
मांगी गई सूचना-“” तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक अररिया के कार्यालय पत्रांक-1252 दिनांक-11 नवंबर 2019 के द्वारा श्रीमती वंदना विंध्यवासिनी कन्या प्राथमिक विद्यालय चैनपुर नवाबगंज, प्रखंड नरपतगंज का फर्जी निवास प्रमाण पत्र के कारण नियोजन रद्द व मानदेय वसूली का आदेश पारित के बावजूद भवदीय कार्यालय पत्रांक- 2501 दिनांक 12 सितंबर 2013 को उक्त फर्जी शिक्षिका का लंबित वेतन(मानदेय) का भुगतान का आदेश पारित कर भुगतान करवाया, पुनः भवदीय कार्यालय के पत्रांक 2143 दिनांक 5 जुलाई 2014 को वेतन स्थगित करने का आदेश पारित किया गया। उक्त अवधि में भवदीय द्वारा अवैध तरीके से कुल-6,87,843 रुपए का भुगतान करवाया गया। उक्त अवैध तरीके से की गई भुगतान राशि पर संबंधित अधिकारी व कर्मी पर अब तक की गई विधि-सम्मत कार्यवाही की सूचना एक सप्ताह में उपलब्ध करवाने का कष्ट करें।
लोक सूचना पदाधिकारी के द्वारा 30 दिनों के अंदर सूचना उपलब्ध नहीं कराए जाने के बाद अपीलीय प्राधिकार सह जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिनांक 4 मई 2022 को प्रथम अपील दायर किया गया। परंतु प्रथम अपील के बावजूद भी लोक सूचना पदाधिकारी ससमय सूचना उपलब्ध नहीं कराया है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के द्वारा जनहित में बनाए गए सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की विभागीय पदाधिकारियों के द्वारा ठेंगा दिखाने का काम किया जा रहा है। स समय सूचना उपलब्ध नहीं करा ना भ्रष्टाचार का बढ़ावा देना साबित हो रहा है। ऐसा लगता है शिक्षा विभाग के कार्यालय भ्रष्टाचारियों से घिरा हुआ है।
इस बाबत श्री राय ने बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जो सूचना मांगी गई थी, इस संबंध में कई बार कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं। परंतु अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
बल्कि टालमटोल कर वापस भेज दिया करते थे। जबकि अधिनियम के अनुसार 30 दिनों के बाद मेरे द्वारा शिक्षा पदाधिकारी अररिया को अपील दायर किया गया है। परंतु अपीलीय पदाधिकारी के द्वारा इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है, जो अधिनियम के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कहीं ना कहीं भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम किया जा रहा है।