पटना, (न्यूज़ क्राइम 24) जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में दो लोक प्राधिकारों के विरूद्ध कार्रवाई की गई।
डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 14 मामलों की सुनवाई की गई। 07 मामलों का ऑन द स्पॉट निवारण किया गया तथा 07 मामलों में अंतरिम आदेश पारित किया गया। कार्यों में शिथिलता तथा जनहित के मामलों में संवेदनहीनता के आरोप में लोक प्राधिकार प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा), बिक्रम एवं अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ से स्पष्टीकरण पूछा गया है।
दरअसल अपीलार्थी श्री सूरज कुमार, ग्राम-कोरजी, पोस्ट महमदपुर, अंचल-फुलवारीशरीफ जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत ‘‘गलत जमाबंदी कायम कर उनके स्वामित्व के जमीन को भू-माफियाओं से मिलकर अतिक्रमण करने’’ के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा इस मामले में पूरी तरह से मनमाने ढ़ंग से कार्य किया जा रहा है। उनसे पृच्छा किये जाने पर उन्होंने गलत रूप से जमाबंदी कायम होने की भूल स्वीकार की। उनका अपने कार्यालय पर कोई नियत्रंण नहीं है। परिवादी द्वारा अंचल अधिकारी के समक्ष पूर्व में ही आपति दायर करने के बावजूद इस साल फरवरी में एक व्यक्ति के नाम से अवैध जमाबंदी कायम कर दी गई एवं आदेश में यह अंकित किया गया कि उक्त जमीन इस व्यक्ति को केवाला द्वारा बिक्री से प्राप्त है।
परिवादी द्वारा बताया गया कि बिक्री करने वाले व्यक्ति का स्वर्गवास 30 साल पहले ही हो गया था। जिलाधिकारी ने कहा कि यह काफी आश्चर्यजनक है। केवाला से जमीन कैसे प्राप्त हुआ एवं जमाबंदी किस आधार पर हुई यह जाँच का विषय है। अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ द्वारा बताया गया कि गलत ढ़ंग से हुए जमाबंदी के दाखिल-खारिज को रद्द करने हेतु भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर के न्यायालय में दस दिन पूर्व अंचल स्तर से अपील दायर किया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि अंचल अधिकारी की यह कार्यशैली अत्यंत आपतिजनक है। आवेदक के पूर्वज के नाम से 60 वर्षों से कायम जमाबंदी के बाद भी किसी अन्य के नाम पर अवैध जमाबंदी का सृजन कर दिया गया है तथा भू-माफियाओं द्वारा परिवादी के स्वामित्व के जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है।
परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सदर के समक्ष दिनांक 05.07.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग चार महीना की अवधि में भी परिवाद अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ के स्तर पर ही लंबित है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर को भी मामले में प्रतिवेदन देने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने अपर समाहर्ता (विभागीय जाँच) को अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ के विरूद्ध परिवाद के सभी बिन्दुओं पर जाँच करते हुए प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निदेश दिया। सुनवाई की अगली तिथि 27 दिसम्बर, 2024 को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ सभी संबंधित पदाधिकारियों को उपलब्ध रहने का निदेश दिया गया।
एक अन्य मामले में परिवादी श्री दीपक कुमार, ग्राम-बाघाकोल, पोस्ट-पतुत, प्रखंड-बिक्रम, अनुमंडल-पालीगंज जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत प्रखंड में निजी जमीन पर वृक्षारोपण से संबंधित है। परिवादी द्वारा बताया गया कि प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा), बिक्रम द्वारा मनमाने ढ़ंग से कार्य किया जा रहा है तथा योजनाओं को लागू नहीं किया जा रहा है। उनसे अनावश्यक पुनः शपथ-पत्र भर कर देने तथा वर्तमान व्यवसाय एवं पेशा के बारे में पृच्छा की जा रही है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा इस मामले में मनमाने ढ़ंग से कार्य किया जा रहा है। शपथ-पत्र, व्यवसाय इत्यादि के बारे में जाँच सहित सम्पूर्ण प्रक्रिया शुरू में ही पूरी कर ली जानी चाहिए थी किन्तु प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा ऐसा नहीं किया गया।
सुनवाई के दरम्यान परिवादी का यह कहना था कि उनसे योजना हेतु पैसा की मांग की गई थी जिसे नहीं देने के कारण शुरू में योजना को प्रारंभ नहीं किया गया। परिवादी द्वारा लोक शिकायत में आवेदन देने के बाद योजना को जुलाई में प्रारंभ किया गया परन्तु अगले महीने से फिर योजना को बंद कर दिया गया। कार्य के विरूद्ध किस्त के भुगतान को रोका जा रहा है तथा योजना की कोई सुविधा प्रदान नहीं की जा रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत आपतिजनक है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पालीगंज के समक्ष दिनांक 05.03.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग आठ महीना की अवधि बीत जाने के बाद भी प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी के द्वारा इसपर नियमानुसार कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का आठ महीना में भी समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा), बिक्रम से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही उप विकास आयुक्त, पटना को निदेश दिया गया कि लोक प्राधिकार प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा), बिक्रम के विरूद्ध दोनों आरोपों- योजना हेतु आवेदनकर्ता से पैसा की मांग तथा अनावश्यक पुनः शपथ-पत्र भर कर देने तथा वर्तमान व्यवसाय एवं पेशा के बारे में पृच्छा-के सभी बिन्दुओं पर विस्तृत जाँच कर प्रतिवेदन देंगे। उन्हें परिवादी का पक्ष भी सुनने का निदेश दिया गया। सुनवाई की अगली तिथि 13 दिसम्बर, 2024 के पूर्व परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए संबंधित पदाधिकारियों को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।