बिहार

आइवी आयरन सुक्रोज के माध्यम से मातृत्व एनीमिया के प्रबंधन हेतु स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया दो दिवसीय प्रशिक्षण

पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में आइवी आयरन सुक्रोज के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान एनीमिया ग्रसित होने की पहचान करते हुए उन्हें एनीमिया से सुरक्षित रखते हुए माँ और होने वाले बच्चे में खून की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा यूनिसेफ और एम्स के संयुक्त प्रयास से जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन होटल ग्रैंड इम्पीरियल, पूर्णिया में आयोजित किया गया।

इस दौरान एम्स पटना के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ दीपिका अग्रवाल और डॉ मोहित द्वारा जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत दो चिकित्सा अधिकारियों के साथ साथ गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए कार्यरत चार जीएनएम/एएनएम को आवश्यक जानकारी दी गई। कार्यक्रम में यूनिसेफ के पोषण पदाधिकारी डॉ संदीप घोष द्वारा सभी स्वास्थ्य कर्मियों को आयरन सुक्रोज का गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोग के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया के साथ साथ एसीएमओ डॉ आर पी मंडल, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास के साथ साथ यूनिसेफ राज्य एवं जिला कंसल्टेंट और सभी स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा पदाधिकारी और स्टाफ नर्स/एएनएम उपस्थित रहे।

खून में हीमोग्लोबिन की कमी से चिन्हित होता है एनीमिया ग्रसित होने की जानकारी :

दो दिवसीय प्रशिक्षण में सभी स्वास्थ्य कर्मियों को गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान एनीमिया ग्रसित होने की पहचान करते हुए उन्हें एनीमिया से सुरक्षा के लिए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने की जानकारी दी गई। एम्स पटना की विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ दीपिका अग्रवाल ने बताया कि शरीर की शारीरिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपलब्ध खून में हीमोग्लोबिन की स्थिति संबंधित व्यक्ति एनीमिया ग्रसित हो जाता है। गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की स्थिति की पहचान कर उनके एनीमिया ग्रसित होने की पहचान सुनिश्चित किया जा सकता है।

गर्भवती महिलाओं के खून में 11gm/dl हीमोग्लोबिन होने पर उसे एनीमिया मुक्त माना जाता है जबकि 10.0 से 10.9 gm/dl हीमोग्लोबिन होने पर संबंधित महिला को हल्का एनीमिया ग्रसित, 7.0 से 9.9 gm/dl हीमोग्लोबिन होने पर मध्यम एनीमिया ग्रसित, 5.0 से 7.0 gm/dl हीमोग्लोबिन होने पर गंभीर एनीमिया ग्रसित और 5.0 से कम हीमोग्लोबिन होने पर अतिगंभीर एनीमिया ग्रसित पाया जाता है। एनीमिया ग्रसित होने स्थिति में गर्भवती महिलाओं के शरीर में खून की कमी हो जाती है और प्रसव के दौरान माँ और बच्चे के स्वास्थ को खतरा हो सकता है। इससे सुरक्षा के लिए गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच में उनके खून में हीमोग्लोबिन स्थिति की पहचान करते हुए उन्हें आयरन सुक्रोज की सुविधा उपलब्ध कराना चाहिए। आयरन सुक्रोज की सुविधा लेने से गर्भवती महिलाओं के खून में हीमोग्लोबिन की कमी दूर हो सकती है और प्रसव के दौरान माँ और बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रह सकते हैं।

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शरीर में खून की कमी को कहते हैं एनीमिया ग्रसित होना :

प्रशिक्षण देते हुए एम्स चिकित्सक डॉ मोहित ने कहा कि शरीर में खून की कमी को एनीमिया कहते हैं। एनीमिया रोग में शरीर में फॉलिक एसिड, आयरन और बिटामिन B12 की कमी हो जाती है, जिसके कारण शरीर में किसी कारण से जब रेड ब्लड सेल्स में कमी आ जाती है तो व्यक्ति एनीमिया रोग से ग्रसित हो जाता है। एनीमिया के कारण जच्चा- बच्चा के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। इससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।एनीमिया रोग के लक्षण अत्यधिक थकान और सांस लेने में तकलीफें, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना,सिरदर्द, पीली त्वचा, तेज़ दिल की धड़कन,कम रक्तचाप आदि है। इससे बचने के लिए समय-समय पर गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों से जाँच करानी चाहिए। जांच में एनीमिया ग्रसित पाए जाने पर चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा संबंधित लाभार्थियों को आइवी आयरन सुक्रोज का लाभ उपलब्ध कराना चाहिए। आवश्यक लाभ उठाने पर संबंधित गर्भवती महिला एनीमिया से सुरक्षित हो सकती है।

प्रसव पूर्व जांच में सुनिश्चित करें एनीमिया की स्थिति, एनीमिया ग्रसित महिलाओं को उपलब्ध कराएं आयरन सुक्रोज की सुविधा : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित रूप से ओपीडी और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच करते हुए उनके एनीमिया ग्रसित होने की जानकारी सुनिश्चित करना आवश्यक है। जांच के बाद एनीमिया ग्रसित गर्भवती महिलाओं की पहचान करते हुए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उन्हें आइवी आयरन सुक्रोज लगवाना सुनिश्चित करना चाहिए। इसके लिए संबंधित लाभार्थियों को भी जागरूक करना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि उनके द्वारा नियमित रूप से मेडिकल सहायता एवं आवश्यक पोषण का उपयोग करते हुए खून में हीमोग्लोबिन की स्थिति में आवश्यक सुधार सुनिश्चित किया जा सके।

पूर्णिया जिले में लगभग 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के एनीमिया ग्रसित होने की संभावना बनी रहती है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों द्वारा नियमित जांच और आवश्यक मेडिकल सहायता उपलब्ध कराते हुए गर्भवती महिलाओं को एनीमिया ग्रसित होने से सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं के खून में कमी की समस्या नहीं हो सकेगी और माँ एवं बच्चे बिल्कुल स्वास्थ्य रह सकेंगे। डीपीएम सुरेंद्र कुमार दास द्वारा सभी स्वास्थ्य पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि 01 से 10 अक्टूबर के बीच अपने स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध लाभार्थियों के अनुसार आयरन सुक्रोज की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए लाभार्थियों को सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

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