बिहार

झारखंड में मस्जिद के इमाम मौलाना शहाबुद्दीन की हत्या देश के माथे पर एक बदसूरत दाग है : ईमारत शरिया

फलवारी शरीफ, अजित : बिहार, ओडिशा और झारखंड के मुसलमान समाज के सबसे बड़ी एदारा इमारत ए शरिया ने पिछले कुछ महीनों में देश के विभिन्न राज्यों में मस्जिदों के मौलवियों और इमामों की चरमपंथियों द्वारा की गई हत्या की घटनाओं पर चिंता जताई है. इमारत ए शरिया से जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि झारखंड मे

इमाम मौलाना शहाबुद्दीन की मॉब लिंचिंग की दुखद घटना हुई है और एक मस्जिद की खतीब (तोड़ फोड़ ) घटना हुई, जो भारत जैसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक देश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है. अमीर ए शरियत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने एक प्रेस बयान में झारखंड के कोडरमा में हुई दुखद घटना पर चिंता व्यक्त की और झारखंड सरकार से हत्यारों की अविलंब गिरफ्तारी की मांग की है. पीड़ित परिवार को मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी की भी मांग की गई है.उन्होंने कहा कि अगर इस देश में मस्जिदों के विद्वानों को मॉब लिंचिंग के जरिए निशाना बनाया जाता रहा तो यह कहना मुश्किल है कि देश का भविष्य क्या होगा और इसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक सद्भाव, सामाजिक भाईचारा, मानवीय सहिष्णुता और आपसी भाईचारा कहां चला जाएगा.हमारे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कैसी होगी?

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मृतक इमाम साहेब कोडरमा जिले के घनिया डीहा गांव के रहने वाले थे.बताया जाता है की इमाम मौलाना शहाबुद्दीन अपने घर के पास बसरा मुन नामक गांव में एक मस्जिद में इमाम की ड्यूटी करते थे और सुबह बाइक से अपने घर लौट रहे थे. जहाँ रास्ते में ” जिले के थाना बरकट्ठा के “कटिया” बस्ती में गहिरा” और “तदगाबाद” में एक राहगीर महिला मरहूम मौलाना की गाड़ी के सामने आ गई, जिसमें वह महिला पूरी तरह से सुरक्षित थी लेकिन स्थानीय हिंसक लोगों ने मौलाना पर बेरहमी से हमला किया और इस तरह यह छोटी सी घटना एक भीड़ (भीड़) द्वारा मौलाना की हत्या का स्रोत बन गई.

बताया गया है कि स्थानीय स्तर पर सक्रिय उग्रवादी समूह से जुड़े कुछ युवाओं ने लाठी, डंडों और धारदार वस्तुओं से हमला किया और पीटा. इमारत शरिया ने कहा है कि मुसलमानों के धार्मिक नेताओं के साथ लगातार हमला हो रहा है जो बहुत चिंता का कारण है. देश में चरमपंथी और उनके मूक समर्थक संगठन अखंडता के लिए बड़ा खतरा बन गए. ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों के अपराध और भीड़ हिंसा पर रोक लगाने की सख्त जरूरत है. सरकार को ऐसे राष्ट्रविरोधी तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए. चूंकि देश के अलग-अलग राज्यों से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं, इसलिए अब जरूरी है कि केंद्र सरकार मुसलमानों की जान-माल की सुरक्षा और मान-सम्मान के मुद्दे को अपनी जिम्मेदारी समझे और मॉब लिंचिंग विरोधी कानून बनाए.

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