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ईसा मसीह के जन्म का त्योहार ‘क्रिसमस’ आज

न्यूज़ क्राइम 24(रॉबिन राज): आज क्रिसमस है। आज के दिन ईसाई समुदाय के लोग यीशु मसीह के जन्मदिन को मनाते हैं और खुशियां मनाते हैं। 25 दिसंबर यानी आज ही के दिन ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसाई धर्म के इस पावन त्योहार को वह विशेष तरीके से मनाते हैं. इस खास दिन को ईसा मसीह के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस ही वो दिन था जब ईसा मसीह का जन्म हुआ था, यही कारण है कि ये त्योहार खुशियों की सौगात को लेकर आता है. ऐसे में इन दिनों हर कोई क्रिसमस की खास में बिजी है।

क्रिसमस के त्योहार पर ईसाई धर्म को मानने वालों के लिए ये सबसे अहम दिन होता है. इस दिन का सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं. इस दिन ईसाई धर्म के लोग अपने घरों और गिरजा घरों को खास रूप से सजाना होता है. क्योंकि कहते हैं कि ईसाई मसीह को इससे खुशी मिलती है. हर किसी को कैंडिल या मोमबत्ती जलाने की परंपरा है. इस दिन ईशु की प्रार्थना करना जरूरी होता है, वो चर्च या घर में करना होता है. इस दिन लोग ईशु की याद में मोमबत्तियां जलाते हैं. मान्यता  के अनुसार  ये उनके जीवन में प्रकाश और तरक्की लाती है. क्रिसमस के दिन रात में 12 बजे चर्च में विशेष प्रार्थना की जाती है. कहा जाता है कि ईसा मसीह का जन्म इसी समय हुआ था. क्रिसमस के दिन केक काटने की भी एक खास परंपरा है. यही कारण है कि घरो में जमकर पकवान बनाएं जाते हैं. इस खास दिन को सभी के घरों में ईसा के जन्म को लेकर झांकी सजाने की भी परंपरा होती है, लोग अपने घरों में मां मरियम और गोशाला के उस दृश्य की झांकी या तस्वीर सजाते हैं जब ईसा का जन्म हुआ था. इतना ही नहीं क्रिसमस ट्री सजाना भी इस दिन की खास परंपरा में शामिल माना है. आर्टीफीशिल या फर्न के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में अलग अलग अंदाज में सजाते हैं. इसमें लगी रंगीन रोशनियां और उपहार जीवन में सकारात्मकता का संचार करती हैं.

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ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईस्वी में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीजस क्राइस्ट के जन्मदिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। बाइबल के अनुसार, ईसा मसीह का जन्म मरियम के गर्भ से हुआ था। मरियम गलीलिया शहर के नाजरेथ गांव में रहती थीं। उनकी सगाई यूसुफ नाम के एक बढई से हुई थी। ये दाऊद राजवंशी थे। यह ईसाइयों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। लेकिन अब इसे दुनियाभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है, हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी आज के समय में सांता क्लॉज क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। वे जब छोटे थे तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में बिशप बने। उन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देते थे। संत निकोलस अपने उपहार आधी रात को ही देते थे, क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नजर आना पसंद नहीं था। कहा जाता है जब महापुरुष ईसा का जन्म हुआ तो देवता उनके माता-पिता को बधाई देने आए। देवताओं ने एक सदाबहार फर को सितारों से सजाया। मान्यता है कि उसी दिन से हर साल सदाबहार फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री प्रतीक के रूप में सजाया जाता है।

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