अररिया(रंजीत ठाकुर): प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सोमवार को जिले के अमूमन सभी स्वास्थ्य संस्थानों में गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच को लेकर विशेष अभियान का संचालन किया गया। प्रमुख चिकित्सा संस्थान ही नहीं, सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में जांच को लेकर विशेष इंतजाम किये गये थे। एक ही जगह पर सभी जरूरी जांच का इंतजाम किया गया था। अभियान से पूर्व हीं आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से क्षेत्र में इसे लेकर जागरूकता अभियान संचालित करते हुए जांच के लिए गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया था। केंद्र पर जांच के लिये पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए नाश्ता, व शुद्ध पेयजल का भी इंतजाम किया गया था। अभियान की सफलता को लेकर जिलास्तर से ही वरीय स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रखंडवार अभियान के अनुश्रवण व निरीक्षण को लेकर प्रतिनियुक्ति की गयी थी।
गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व चार जांच जरूरी
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच को एएनसी यानी एंटी नेटल केयर कहते हैं। मां और बच्चे कितने स्वस्थ्य हैं, इसका पता लगाने के लिए जांच जरूरी है। इससे गर्भावस्था के समय होने वाले जोखिमों की पहचान, संबंधित अन्य रोगों की पहचान व उपचार आसान हो जाता है। जांच के जरिये हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिह्नित करते हुए उसकी उचित देखभाल की जाती है। उन्होंने कहा कि मुख्यतः खून, रक्तचाप, एचआईवी की जांच की जाती है।
डीआईओ डॉ मोइज ने बताया कि एएनसी जांच से प्रसव संबंधी जटिलताओं का पहले ही पता चल जाता है। भ्रूण की सही स्थिति का पता लगाने, एचआईवी जैसे गंभीर बीमारी से बच्चे का बचाव व एनीमिक होने पर प्रसूता का सही उपचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि एचआरपी के मामले में प्रसूता को ज्यादा चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि गर्भधारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर पहला एएनसी जांच जरूरी है। दूसरी जांच गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में, तीसरी जांच सातवें या आठवें महीने में व चौथी जांच गर्भधारण के नौवें महीने में जरूरी होती है।
चार हजार से अधिक महिलाओं की जांच में एचआरपी के 300 मामले
डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने बताया कि जिला में मातृ- शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिये हर स्तर पर जरूरी प्रयास किया जा रहा है। शतप्रतिशत गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित कराने की कोशिशें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के सामूहिक प्रयास से अभियान के क्रम में चार हजार महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच संभव हो पाया। इसमें लगभग तीन सौ हाई रिस्क प्रिगनेंसी के मामले चिह्नित किये गये हैं।