पटना(न्यूज़ क्राइम 24 डेस्क): हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के बीच शक्ति के नौ रूपों की उपासना का पर्व नवरात्रि कल यानी 7 अक्टूबर गुरुवार से शुरू हो रही है. इस साल दो तिथियां एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि आठ दिन के है. मां दुर्गा का यह पर्व 14 अक्टूबर महानवमी को समाप्त हो जाएगा. इस बार मां पालकी पर सवार होकर आएंगी.
मां के 9 रूपों की होती है पूजा-अर्चना-
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हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है. 7 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और अखंड ज्योत जलाई जाती है. नवरात्रि का दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस बार कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त और स्वार्थ सिद्धि योग में संपन्न की जाएगी.
नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त-
अभिजीत मुहूर्त :- सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, कलश स्थापना का सही समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है.
डोली पर आएंगी मां दुर्गा-
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इस बार माता दुर्गा डोली में अपने भक्तों से मिलने आ रहीं हैं. माना जाता है कि इससे महिलाओं को शक्ति मिलती है और समाज में उनका वर्चस्व बढ़ता है. माता दुर्गा गज पर अपने भक्तों से विदा लेंगी. माता का गज पर विदा होना भक्तों के लिए शुभ फलदायी होता है.
क्यों करते हैं कलश स्थापना-
नवरात्रि में कलश स्थापना कर नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान कलश स्थापना के साथ-साथ अखंड ज्योति भी प्रज्वलित की जाती है. हालांकि कई लोग बिना कलश स्थापना के भी मां दुर्गा की पूजा करते हैं. कलश स्थापना के पीछे कारण ये दिया जाता है कि इससे देवी की उपासना में आने वाले सभी कष्ट दूर होते हैं. माना जाता है कि इस कलश में सभी तीर्थ और देवी-देवताओं का वास होता है. कलश स्थापना से घर में सुख शांति बनी रहती है और सभी तरह की नकारात्मक उर्जा दूर ही रहती है।