पटना, अजीत यादव। पटना के ग्रामीण इलाकों में अपराध बेलगाम हो चुका है और नौबतपुर इसका सबसे ताजा उदाहरण बन गया है. जहां कभी विकास की बातें होनी चाहिए थीं, वहां आज गोलियों की गूंज सुनाई दे रही है. रविवार को नौबतपुर ब्लॉक कैम्पस उस वक्त रणक्षेत्र में तब्दील हो गया, जब एक युवक ने अपने ही दोस्त को दिनदहाड़े गोली मार दी. घटना के बाद इलाके में चर्चा जोरों पर है कि कभी दिन-रात की दोस्ती थी, हर खुशी-दुख साथ बाँटते थे. नौबतपुर की गलियों में दोनों की यारी मिसाल थी. लेकिन किसे पता था कि यही दोस्त एक दिन दुश्मन बन जाएगा. अचानक ऐसा क्या हुआ कि रिश्ते में दरार इतनी गहरी हो गई कि गोली चलाने तक बात पहुँच गई? दोनों के परिवार वाले भी नहीं समझ पा रहा है कि आखिर दोनों के बीच में क्या घटना हुआ कि दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हों गए.विवाद की असली वजह अभी सामने नहीं आई है, लेकिन लोगों के जेहन में यही सवाल है—क्या वाकई एक पल में सब कुछ बदल सकता है? या फिर दोस्ती की आड़ में पहले से ही कुछ साजिश पल रही थी?
घटना में आऱोपुर गांव निवासी 20 वर्षीय विवेक कुमार गंभीर रूप से घायल हो गया है और फिलहाल पटना एम्स में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। जानकारी के अनुसार, विवेक अपने दोस्त के साथ ब्लॉक कैम्पस में टहल रहा था, तभी किसी बात पर विवाद हुआ और आरोपी युवक ने कमर और पैर में दो गोलियां दाग दीं।
घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया. पुलिस को घटनास्थल से दो खोखे बरामद हुए हैं. फुलवारी शरीफ के एसडीपीओ दीपक कुमार ने बताया कि एफएसएल टीम और डॉग स्क्वाड की मदद ली जा रही है, लेकिन अब तक आरोपी का कोई सुराग नहीं मिला है। प्राथमिक जांच में वारदात के पीछे प्रेम-प्रसंग और नशीले पदार्थों की भूमिका की बात सामने आ रही है।
सवाल उठता है कि आखिर पटना का ग्रामीण इलाका कब दहशत के साये से निकलेगा? नौबतपुर, फुलवारी शरीफ, बिक्रम—इन इलाकों में गोली चलना आम बात हो गई है. अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस महज़ घटनास्थल से खोखा उठाने तक सीमित दिख रही है। क्या प्रशासन को अब भी किसी बड़े नरसंहार का इंतजार है, या फिर यह इलाका ऐसे ही ‘गोलियों के मैदान’ में तब्दील होता रहेगा?