फुलवारी शरीफ, (अजित यादव): केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को पारित किए जाने के बाद देशभर में मुस्लिम संगठनों का विरोध तेज हो गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी और राजपत्र में अधिसूचना के बाद यह कानून लागू हो गया है, लेकिन इसे “खतरनाक और असंवैधानिक” करार देते हुए बिहार के प्रमुख मुस्लिम संगठनों, एदारों के धर्मगुरुओं, विद्वानों, इमामों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को इमारत-ए-शरीया में एक आपात बैठक कर सरकार के खिलाफ आंदोलन का ऐलान कर दिया. इस बैठक की अध्यक्षता अमीर-ए-शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने की. सभी वक्ताओं ने इस कानून को जनजातीय और ऐतिहासिक वक्फ संपत्तियों के लिए घातक बताते हुए जन-जागरण अभियान, मीडिया रणनीति, कानूनी लड़ाई और चरणबद्ध विरोध कार्यक्रम चलाने पर जोर दिया.
अमीर-ए-शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने कानून के गंभीर प्रावधानों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है. उन्होंने साफ किया कि “हम वक्फ अधिनियम 2025 को वापस लेने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएंगे और जोरदार विरोध करेंगे.
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के निर्देशों के तहत एक राष्ट्रव्यापी समिति गठित की जाएगी, जो आंदोलन की रणनीति तय करेगी. साथ ही यह तय किया गया कि इस कानून के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की जाएगी.