पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के पैरामेडिकल विभाग के सभागार में गुरुवार को सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की मासिक बैठक का आयोजन किया गया। आयोजित बैठक में सभी प्रखंड के अधिकारियों को विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी लाते हुए ज्यादा से ज्यादा मरीजों को स्थानीय स्तर के अस्पतालों में चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने का आवश्यक निर्देश दिया गया। बैठक में सिविल सर्जन डॉ ओपी साहा ने सभी प्रखंड के स्वास्थ्य अधिकारियों को बच्चों की नियमित टीकाकरण, प्रखंड स्तर पर टीबी मरीजों की पहचान के लिए ज्यादा स्क्रीनिंग, प्रखंड अस्पताल में ओपीडी जांच रिपोर्टिंग में इजाफा करने, गर्भवती महिलाओं की प्रसव के पूर्व एएनसी जांच में तेजी लाते हुए जटिल गर्भवती महिलाओं की पहचान कर चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने का आवश्यक निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि इलेक्शन समापन के बाद जिलाधिकारी कुंदन कुमार द्वारा सभी स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी के लिए समीक्षात्मक बैठक सुनिश्चित किया जाएगा। उससे पहले सभी अधिकारियों को सभी सुविधाओं में आवश्यक सुधार करते हुए ज्यादा से ज्यादा मरीजों को चिकित्सकीय लाभ देना सुनिश्चित करना चाहिए। बैठक में सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा के साथ एसीएमओ सह भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल, डीआईओ डॉ विनय मोहन, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कृष्ण मोहन दास, गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुभाष कुमार सिंह, डीएमएनई आलोक कुमार, डीसीक्यूए डॉ अनिल शर्मा, यूनिसेफ जिला समन्यवक शिवशेखर आनंद, यूनिसेफ एसएमसी मुकेश गुप्ता, डब्लूएचओ एसआरटीएल डॉ सुमन कंडुलना, डब्लूएचओ आरआरटी पुनीत अराली, पिरामल फाउंडेशन प्रोग्राम लीडर सनत गुहा, पीएसआई जिला समन्यवक ब्यूटी कुमारी, सीफार कोऑर्डिनेटर अमन कुमार सहित सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
बच्चों की नियमित टीकाकरण में तेजी लाने का मिला निर्देश :
बैठक को संबोधित करते हुए डीआईओ डॉ विनय मोहन ने कहा कि बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों तक बच्चों का नियमित टीकाकरण कराया जाता है। इससे बच्चों को समय रहते विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता का विकास होता है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों तक एएनएम द्वारा बच्चों को समय पर विभिन्न टीका लगाना सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ प्रखंडों में बच्चों के नियमित टीकाकरण शत प्रतिशत नहीं किया जा रहा है। ऐसे प्रखंडों को टीकाकरण में तेजी लाने की आवश्यकता है।
डब्लूएचओ एसआरटीएल डॉ सुमन कंडुलना ने कहा कि प्रखंड स्तर पर ज्यादा से बच्चों का शत प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा डब्लूएचओ के सहयोग से जीरो डोज टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए प्रखंड स्तर पर स्वास्थ कर्मियों की बैठक आयोजित कर क्षेत्र के बच्चों को शत प्रतिशत टीकाकरण करवाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कुछ प्रखंडों में जीरो डोज टीकाकरण का प्रशिक्षण लंबित है। इसे पूरा करते हुए सभी प्रखड़ो को बच्चों के सभी बीमारियों से सुरक्षित करने हेतु शत प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति के साथ ही डब्लूएचओ और यूनिसेफ द्वारा भी जिले में नियमित टीकाकरण की संख्या पोर्टल के माध्यम से राज्य स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट किया जाता है। इसमें शत प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को संबंधित क्षेत्र की एएनएम और आशा के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए स्वास्थ्य केंद्रों, उपकेंद्रों स्तर पर बैठक संचालित कर सर्वे ड्यू लिस्ट पूरा करने के आवश्यक सहयोग करना चाहिए।
प्रखंड स्तर पर बढ़ाई जाएगी टीबी स्क्रीनिंग की संख्या :
जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ कृष्ण मोहन दास ने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रखंड स्तर पर टीबी स्क्रीनिंग में तेजी लाने की जरूरत है। टीबी उन्मूलन के लिए प्रत्येक प्रखड़ो में हर माह कम से कम पंद्रह सौ टीबी संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है। पिछले तीन महीने में पूर्णिया जिला के सभी प्रखड़ो में टीबी स्क्रीनिंग की संख्या एक तिहाई का अंदर पाया गया है। लक्ष्य के अनुसार टीबी स्क्रीनिंग नहीं होने पर जिले में टीबी मरीजों की संख्या में इजाफा हो सकता है। इसके लिए सभी प्रखड़ो के संभावित क्षेत्रों में कैम्प आयोजित कर उपस्थित लोगों की टीबी स्क्रीनिंग सुनिश्चित करना है। इसके साथ साथ प्रखंड स्तर पर अस्पताल में उपस्थित लोगों में भी संभावित टीबी मरीजों की पहचान करते हुए उनका स्क्रीनिंग करना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों की पहचान कर उन्हें टीबी मुक्त किया जा सके।
प्रखंड अस्पतालों में चिकित्सकों की ओपीडी जांच की जानकारी पोर्टल पर हो रही अप्डेट्स :
डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास ने कहा कि सभी प्रखंड में स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों पर विभिन्न प्रकार के दवाईओं की आवश्यक मात्रा में उपलब्ध है। बीमार लोगों को समुदाय स्तर पर ओपीडी में जांच करते हुए चिकित्सकीय लाभ उठाने के लिए जागरूक करने की जरूरत है। गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोगों को प्रखंड स्तर पर और अतिगंभीर और जटिल बीमारी से ग्रस्त मरीजों को जिला भेजने की जरुरत है। साथ ही सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रखंड स्तर पर विभिन्न ग्रसित बीमारी से सुरक्षित मरीजों की सक्सेस स्टोरी स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी प्रखंड को टेलीकंस्लटेंसी की संख्या में तेजी लाने की जरूरत है जिससे कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों को आसानी से मेडिकल लाभ मिल सके। डीएमएनई आलोक कुमार ने कहा कि ओपीडी में चिकित्सकों द्वारा किये जाने वाले मरीजों की सभी जानकारी भव्या पोर्टल के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट किया जाता है। इसलिए चिकित्सकों को ज्यादा से ज्यादा मरीजों की जांच करते हुए उनकी जानकारी समय से पोर्टल पर दर्ज करने की जरूरत है।
एएनसी जांच करते हुए गंभीर गर्भवती महिलाओं की पहचान करने मिला निर्देश :
यूनिसेफ जिला समन्यवक शिवशेखर आनंद ने गर्भवती महिलाओं के जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर महीने में 09 और 21 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है। इस दौरान क्षेत्र की ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की जांच सुनिश्चित करते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित किया जाता है। इसके लिए प्रखड़ स्वास्थ्य अधिकारियों को क्षेत्र में आशा और एएनएम के माध्यम से जागरूक करते हुए ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को नौ महीने के गर्भावस्था के दौरान चार प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करवाना चाहिए। इस दौरान जटिल गर्भवती महिलाओं की पहचान करते हुए उन्हें ज्यादा चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में कसबा प्रखंड द्वारा ज्यादा जटिल गर्भवती महिलाओं की पहचान करते हुए उन्होंने चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया गया है। अन्य प्रखड़ो को भी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की जांच करते हुए जटिल गर्भवती महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करना चाहिए। ऐसे जटिल गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जानकारी संबंधित क्षेत्र की आशा कर्मियों को भी सूचित करना चाहिए ताकि उनके द्वारा गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच और आवश्यक चिकित्सकीय सहायता और पर्याप्त पोषण लाभ लेना सुनिश्चित किया जा सके।