फुलवारी शरीफ, अजित। नगर के साकेत बिहार इलाके में राजकुमार ऊर्फ राजू नेता के द्वारा कराया जा रहा श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने सैकड़ो श्रद्धालु महिला पुरुष उमड़ पड़े.बुधवार को देर रात तेज हवाओं के बीच रिमझिम रिमझिम बरसात के बावजूद श्री सच्चिदानंद जी महाराज एवं राधिका रमन जी के श्रीमद् भागवत कथा का प्रवचन सुनने सैंकड़ो की संख्या में महिला पुरुष पधारे. श्री कृष्णा जी जीके माखन चुराने का प्रसंग सुनकर महिला पुरुष श्रद्धालु भाव विभोर हो गए पूरा पंडाल परिसर राधे राधे कृष्णा कृष्णा हरे हरे के माहौल से गूंजायमान हो उठा.
प्रवचन सुनने पहुंची माता राधिका रमन ने कहा कि श्री कृष्ण भगवान के गीता सार और गीता ने मानव कल्याण के लिए जो रचना की है उसे पूरी सनातन धर्म ही नहीं पूरी सृष्टि का कल्याण हो रहा है. अगर गीता नहीं होता तो आज धरती पर जीवात्मा हर रूप में जो प्रसन्नचित और प्रफुल्लित हो रही है इसका कोई नाम निशान नहीं रहता. उन्होंने बताया कि लोगों को अपने अंदर के भीतर के आत्मा की आवाज को सुनना चाहिए. सभी लोगों को भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए और उसका जो सारांश है उसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए. लोगों की मदद के लिए अनयाय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हर एक को गीता का स्मरण करना चाहिए.
प्रवचन वाचन कर रहे श्री श्री माता राधिका रमन जी ने कहा कि ऐसा ही घनघोर बारिश वाली रात थी जब श्री कृष्ण की धारा पर अवतरित हुए और उन्हें लेकर देवकीनंदन महाराज मथुरा पहुंचा दिए ऐसे बारिश और आंधी तूफान के बावजूद उन्होंने सृष्टि के संबंध के लिए मानवता के कल्याण के लिए गीता सार की रचना की उन्होंने मानव कल्याण के लिए पूरे विश्व को सत्य का पाठ पढ़ाया वैसे बालक का आज माखन चुराने का संस्मरण वर्णन सुनने आप आंधी तूफान बारिश के बीच आए हैं इसलिए सब लोग राधे-राधे कहिए. श्री कृष्ण के माखन चुराने की कथा वर्णन सुनकर सैकड़ो श्रद्धालुओं महिला पुरुष युवा पुरुष बच्चे से पंडाल गूंज उठा. राधे-राधे हरे हरे कृष्णा कृष्णा से पूरा साकेत बिहार के इलाका गुंजने लगा.
श्रीमद् भागवत कथा क्या आयोजन करता राजकुमार उर्फ राजू नेता ने बताया कि एक सप्ताह तक चलने वाला श्रीमद् भागवत कथा के लिए पूरा भक्ति में वातावरण तैयार है आज आंधी तूफान बारिश के चलते कथा देर से प्रारंभ हुई लेकिन सैकड़ो के संख्या में श्रद्धालु में पहुंचे यह हमारे सनातन धर्म और श्री कृष्ण भगवान के प्रति श्रद्धा भक्ति दर्शाता है.
