बिहार

बच्चों की सुरक्षा के लिए नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी

अररिया, रंजीत ठाकुर। टीकाकरण बच्चों को कई गंभीर बीमारियों के प्रभाव से मुक्त रखता है। बच्चों के स्वस्थ व सेहतमंद जिंदगी के लिए जन्म के तुरंत बाद टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाना चाहिये। इस दौरान कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है। ताकि टीकाकरण की प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित व संक्रमण संबंधी किसी तरह के खतरों से पूर्णत: मुक्त हो सके। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये जिला प्रतिरक्षण कार्यालय द्वारा विभिन्न प्रखंड के एएनएम को नियमित टीकाकरण संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उन्हें यू-विन पोर्टल के प्रयोग को लेकर जरूरी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

ताकि जिले में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराया जा सके। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह के मार्गदर्शन व जिल प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज की अगुआई में दिये जा रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता में डब्ल्यूएचओ के एसीएमओ डॉ शुभान अली, यूनिसेफ के एसएमसी आदित्य कुमार सिंह, यूएनडीपी के वीसीसीएम शकील आजम सहित संबंधित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण के संबंध में समुचित जानकारी होना जरूरी

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का संचालन नियमित रूप से किया जाता है। इसके अलावा अलग-अलग मौकों पर इसे लेकर विशेष अभियान भी संचालित किया जाता है। ताकि टीकाकरण के आच्छादन संबंधी मामलों में सुधार संभव हो सके। दो वर्ष तक के शत -प्रतिशत बच्चों को समय पर टीका के निर्धारित डोज से आच्छादित करना इसका मुख्य उद्देश्य है। बच्चों को टीका लगाने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ताकि इस दौरान संक्रमण के प्रसार व बच्चों की सुरक्षा से संबंधित किसी तरह की चूक से बचा जा सके। नियमित टीकाकरण अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन व यू-विन पोर्टल के सफल प्रयोग को लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पर जरूरी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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टीकाकरण के दौरान कुछ खास बातों का रखना होता है ध्यान

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज ने बताया कि टीकाकरण के दौरान कुछ खास बातों को ध्यान रखना जरूरी होता है। जैसे इंजेक्शन देने से पहले हाथों की सफाई, हमेशा एडी सिरिंज का प्रयोग, इंजेक्शन देने वाली जगह की सफाई का ध्यान रखना जरूरी होता है। इसके अलावा कचरा का निस्तारण, टीकाकरण सत्र का प्रबंधन, इसे लेकर जरूरी तैयारी, सत्र का चयन, संबंधित सामग्रियों का समुचित प्रबंधन, अभिभावकों के साथ संवाद अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये जरूरी है। सर्वे रजिस्टर व ड्यूलिस्ट संबंधी तैयारी को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया।

एईएफआई का कुशल प्रबंधन व रिर्पोटिंग जरूरी

डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ शुभान अली ने बताया कि प्रत्येक टीका लगने के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ प्रतिक्रिया कर इम्यूनिटी पैदा करता है। इस कारण टीका लगाने के बाद हल्की लाली, सूजन व 10 फीसदी मामलों में बुखार आदि जैसे लक्षण दिखते हैं। डीपीटी व टेटनस के इंजेक्शन के बाद करीब 50 प्रतिशत बच्चों में ऐसी शिकायतें देखी जा सकती है। बीसीजी के टीका के बाद एक हल्का घाव होता है। जो कुछ दिन बाद स्वत: ठीक हो जाता है। टीकाकरण के अधिकांश मामलों में रिएक्शन बेहद मामूली होती है। जो अपने आप ठीक हो जाता है। बावजूद इसके इसका कुशल प्रबंधन जरूरी होता है। एईएफआई की अधिकांश घटनाएं महज एक संयोग ही होता है। लेकिन इसकी रिपोर्टिंग बेहद अहम व जरूरी होता है।

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