अररिया, रंजीत ठाकुर भरगामा प्रखंड क्षेत्रों में मंगलवार को तुलसी विवाह का पर्व देवउठनी एकादशी धूमधाम से मनाया गया. गन्ने के मंडप तले शालिग्राम तुलसी की पूजा-अर्चना के साथ पुरे विधि-विधान से विवाह हुआ. इस दौरान लोगों ने अपने घरों के द्वार व पूजा मंडप पर रंगोली की कलाकृति भी बनाई. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु,मां लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा का महत्व है. इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है जिसमें तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से विधिपूर्वक किया जाता है.
यह विवाह मांगलिक कार्यों के शुभारंभ का प्रतीक भी माना जाता है. इस मौके पर पंडित हरेराम झा ने तुलसी-शालिग्राम विवाह की महत्ता के बारे में बताया कि हमारी प्राचीन परम्परा के अनुसार भगवान के प्रसाद में तुलसी के पत्ते का होना जरूरी है तथा जब तक प्रसाद में तुलसी का पत्ता नहीं डाला जाता है तब तक देवता पूरी तरह से खुश नहीं होते हैं. इस दौरान उन्होंने सभी लोगों को अपने घर में एक-एक तुलसी का पौधा अवश्य लगाने का आह्वान करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को तुलसी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारे ग्रंथों में तुलसी पूजा को बहुत उत्तम माना गया है.