उप्र के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष रीना त्रिपाठी ने कहा है कि जहां बजट ने अवस्थापना विकास पर ध्यान दिया गया है और अधिक धनराशि इस हेतु आवंटित की गई है वहीं बेसिक शिक्षा जो शिक्षा नीव है, उसकी अनदेखी की गई है।उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री माननीय सुरेश खन्ना जी द्वारा उत्तर प्रदेश 2025– 26 का वित्तीय बजट सदन में पेश किया गया जो पूरे प्रदेशवासियों के लिए हर्ष का विषय है। बजट में अवस्थापना निर्माण पर जोर देते हुए विकासोन्मुख नीतियों की चर्चा और उसमें निवेश की चर्चा स्वागत योग्य है परन्तु बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में अवसंरचनात्मक निर्माण, बुनियादी सुविधाओं हेतु, अत्याधुनिक कंप्यूटर युक्त शिक्षा के लिए धन का आवंटन अत्यंत न्यूतम है ।
जैसा कि सर्वविदित है उत्तर प्रदेश में प्राइमरी के करीब 4.59 लाख शिक्षक हैं। और लगभग 1,11,614 प्राइमरी स्कूल हैं जबकि 45,651 अपर प्राइमरी स्कूल हैं।शिक्षा के निजीकरण के इस दौर में सरकार द्वारा संचालित बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयो में ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता थी जिसकी बजट में अनदेखी की गई है।आजादी के 77 वर्ष बाद अफसोस की बात है कि आज भी पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के लगभग 60% विद्यालयों के बच्चे टाट पट्टी, चटाई पर या जमीन में बैठने को विवश है । विद्यालय के फर्नीचर हेतु 5 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो की काफी कम है। जबकि यह आवंटन बढ़ाकर पूरे प्रदेश को एक साथ टाट पट्टी मुक्तयू किया जा सकता था और गांव के गरीब बच्चों को भी स्वाभिमान से शिक्षा लेने का अवसर मिल सकता था।
आज बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकांश शिक्षक खासकर महिला टीचर्स गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं क्योंकि शिक्षकों हेतु विद्यालय में टॉयलेट की व्यवस्था नहीं होती है। शिक्षकों ने कई बार संरचनात्मक निर्माण के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक टॉयलेट शिक्षकों के लिए बनवाने की मांग रखी है। इस बजट में भी उन्हें निराशा मिली। साफ सुथरी टॉयलेट के अभाव में ज्यादातर महिला शिक्षक यूरिनरी इनफेक्शन और गॉलब्लैडर लीवर और किडनी की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के तहत प्रत्येक विद्यालय में एक शिक्षकों हेतु भी टॉयलेट उपलब्ध होना चाहिए था जो की कायाकल्प के तहत बजट बढ़ाकर किया जा सकता है।
कस्तूरबा गांधी जो कि प्रत्येक ब्लॉक में एक विद्यालय होता है के उच्चीकरण की व्यवस्था सराहनीय है परंतु सर्वविदित है कस्तूरबा गांधी जो की कक्षा 8 तक ग्रामीण इलाकों की बेटियों की पढ़ाई के लिए है वहां शिक्षा सुविधा बढ़ाने पर जोर देते हुए कुछ बजट आवंटित किया जाना चाहिए था जो कि नहीं किया गया। प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक के शिक्षा के लिए अत्याधुनिक अवस्थापना सुविधाओं के साथ उत्कृष्ट शैक्षिक परिवेश उपलब्ध कराने हेतु पूरे प्रदेश में मात्र 22 विद्यालयों को 25 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं जो संख्या के आधार पर न्यूनतम है।पीएम श्री योजना के तहत 580 करोड़ रुपए स्मार्ट क्लास शिक्षा हेतु उपलब्ध कराए गए हैं
जिसमें अन्य विद्यालयों को चयनित कर सूची बढ़ाई जानी चाहिएथी। समग्र शिक्षा योजना ,स्मार्ट स्कूल हेतु स्कूल बैग, निशुल्क यूनिफॉर्म और वजीफा की व्यवस्था तो सराहनी है परंतु बेसिक के विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं पानी और बिजली की सुविधाएं बढ़ाने हेतु कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है आज भी ग्रामीण इलाकों के अधिकांश विद्यालयों में बिजली का कनेक्शन नहीं है कई विद्यालय बाउंड्री वहीं है जहां सुरक्षा हेतु अक्सर बेसिक के शिक्षक और बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिसके लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया। जबकि अधिकांश विद्यालय में बिजली की समस्या दृष्टिगत है।
बेसिक शिक्षा परिषद के ग्रामीण और शहरी विद्यालयों में मिड डे मील जैसी सुविधाएं उपलब्ध है जिसमें बच्चों को बना बनाया दोपहर का भोजन दिया जाता है। परंतु महंगाई के इस समय में मिड डे मील योजना के लिए धन बढ़ाने हेतु कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है । मिड डे मील योजना में सहयोगी संस्था अक्षय पात्र , जो की गर्म और शुद्धता पूर्ण खाना वितरण हेतु पूरे प्रदेश में कई जिलों में गरम खाना बच्चों हेतु बनाकर उपलब्ध कराती है जिसमें बच्चों के पोषण का पूर्ण ध्यान रखा जाता है। बजट आवंटन में उसके विस्तार की कोई चर्चा नहींहै। 2025– 26 के लिए 8 लाख 3736 करोड़ के बजट आवंटित हुआ है जिसमें समग्र बेसिक शिक्षा का आवंटन बहुत ही न्यूनतम है।