बिहार

फाइलेरिया रोगियों की पहचान के लिए जिले में चलेगा नाईट ब्लड सर्वे, प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण

पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24)  शुरुआत में ही किसी व्यक्ति के फाइलेरिया ग्रसित होने की पहचान कर उन्होंने समय पर आवश्यक उपचार करते हुए उन्हें फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल एक बार नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाता है। पूर्णिया जिले में जून-जुलाई माह में फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए नाईट ब्लड सर्वे अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा की अध्यक्षता में सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों का एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजित प्रशिक्षण में सभी अधिकारियों को फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए प्रखंड के चिन्हित क्षेत्रों का चयन करते हुए संबंधित क्षेत्र में विशेष रूप से नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाने का आवश्यक निर्देश दिया गया है।

प्रशिक्षण में अधिकारियों को फाइलेरिया होने के कारण और ग्रसित मरीजों को उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध सुविधाओं के क्रियान्वयन की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा के साथ जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल, भीडीसीओ रवि नंदन सिंह, डीभीबीडी सोनिया मंडल, डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार, लिपिक रामकृष्ण परमहंस के साथ सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीसीएम और अन्य स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मी उपस्थित रहे।

जून-जुलाई माह में चलाया जाएगा सर्वे अभियान, चिन्हित क्षेत्रों में रात 08 बजे के बाद किया जाएगा जांच :

अधिकारियों को प्रशिक्षण देते हुए डब्लूएचओ जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला एक इलाज बीमारी है। इससे ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से एमएमडीपी किट्स उपलब्ध कराई जाती है जिसका उपयोग कर मरीज ग्रसित अंगों को नियंत्रित रख सकते हैं। इसे पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकते हैं। लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए इसे होने से पहले ही पहचान करते हुए उसका उपचार करवाना चाहिए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाता है। पूर्णिया जिले के सभी प्रखंडों में जून-जुलाई माह में नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान लोगों के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया लार्बा की पहचान की जाएगी। इसकी पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को इससे सुरक्षा के लिए आवश्यक मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जायेगी जिसके उपयोग से संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं।

इसके लिए सभी प्रखड़ो रैंडम और सेंटिनल सेशन साइट को चिन्हित करते हुए वहां रात 08 बजे से 12 बजे तक कैम्प लगाकर उपस्थित लोगों के शरीर में फाइलेरिया कीटाणु की पहचान के लिए एक बूंद ब्लड सैम्पल लिया जाएगा। इसके बाद ब्लड सैम्पल को संबंधित प्रखंड में माइक्रोस्कोप द्वारा जांच के बाद उनके फाइलेरिया ग्रसित होने की पहचान सुनिश्चित किया जाएगा। पहले से फाइलेरिया ग्रसित होने की पहचान होने पर संबंधित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान किया जाएगा जिससे संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकेंगे।

क्षेत्र में ज्यादा फाइलेरिया के संभावित मरीजों की पहचान होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्र के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए वहां सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) चलाया जाएगा। जिस दौरान आशा कर्मियों द्वारा लोगों को घर घर पहुँचकर फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए आवश्यक दवाई डीईसी, एल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन की दवा खिलाई जाएगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से सुरक्षा की दवा 02 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों (गर्भवती महिला और गंभीर बीमार लोगों को छोड़कर) को खिलाया जाएगा।

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पूर्णिया जिले में वर्तमान में 06 हजार 704 हैं फाइलेरिया से ग्रसित मरीज :

जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि वर्तमान में पूर्णिया जिले में 06 हजार 704 फाइलेरिया से ग्रसित मरीज पाए गए हैं। इसमें से 05 हजार 248 मरीज हाथ या पैर फाइलेरिया से ग्रसित हैं जबकि 01 हजार 456 मरीज हाइड्रोसील फाइलेरिया से ग्रसित हैं। हाथ या पैर फाइलेरिया से ग्रसित अंगों का सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित रूप से एमएमडीपी किट्स प्रदान करते हुए एमएमडीपी किट्स उपयोग के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। एमएमडीपी किट्स का उपयोग कर फाइलेरिया ग्रसित मरीज अपने फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रख सकते हैं।

उन्होंने बताया कि हाथ या पैर के अलावा पुरुषों के हाइड्रोसील भी फाइलेरिया से ग्रसित हो सकता है। हाइड्रोसील फाइलेरिया ग्रसित होने पर ग्रसित पुरुषों के हाइड्रोसील के बांया, दायां या दोनों ओर सूजन बढ़ जाता है। हाइड्रोसील फाइलेरिया का इलाज संभव है। इसके लिए ग्रसित मरीजों को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों से संपर्क कर ऑपरेशन के लिए आवश्यक चिकित्सकीय जांच सुनिश्चित करना चाहिए। जांच के बाद मरीज के बिल्कुल स्वस्थ होने पर योग्य चिकित्सकों द्वारा ऑपरेशन किया जा सकता है जिससे मरीज हाइड्रोसील फाइलेरिया से सुरक्षित हो सकते हैं।

अधिकारियों को डेंगू और एईएस-जेई की भी दी गई जानकारी :

प्रशिक्षण में अधिकारियों को फाइलेरिया के साथ साथ अन्य वेक्टर जनित रोग में शामिल डेंगू और एईएस-जेई ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें बेहतर उपचार सुनिश्चित करने की भी जानकारी दी गई। सिविल सर्जन डॉ ओ पी साहा ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल नाईट ब्लड सर्वे और सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को इसके लिए तैयार होते हुए इसकी तैयारी शुरू करने की जरूरत है। कार्यक्रम शुरू होने पर जिले के सभी प्रखंडों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जांच सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि लोग फाइलेरिया से सुरक्षित रह सकें। इसके अलावा अगस्त माह से जिले में डेंगू और एईएस-जेई ग्रसित मरीजों की संख्या भी बढ़ने की संभावना रहती है।

डेंगू एडिस मच्छर के काटने से होने वाला रोग है जबकि एईएस-जेई क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाला बीमारी है। वर्ष 2022 में बिहार में 13 हजार 972 जबकि वर्ष 2022 में बिहार में 633 डेंगू ग्रसित मरीज की पहचान हुई है। इसके लिए सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने क्षेत्र की आशा कर्मियों के साथ मासिक बैठक आयोजित करना चाहिए और सभी आशा कर्मियों को ऐसे मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि लोग ऐसे भेक्टर जनित रोग से सुरक्षित रह सकें।

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