अररिया(रंजीत ठाकुर): नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के नवाबगंज पंचायत स्थित 65 वर्ष पूर्व अतिरिक्त प्राथमिक उपस्वास्थ केंद्र फुलकाहा में बने आज भी अपने बदहाली पर आंसू बहा रही हैं। जिसको देखने वाला ना तो कोई पदाधिकारी हैं और ना ही कोई जनप्रतिनिधि, इस सीमावर्ती क्षेत्र में एकमात्र बरसों पुराना अस्पताल होने के बावजूद अस्पताल का विकास नहीं हो पाया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्र में आजादी के समय का यह अस्पताल क्षेत्र के लोगों के लिए शोभा का वस्तु बनकर रह गया है। इस अस्पताल में ना तो डॉक्टर एवं नर्सो को रहने के लिए ना तो अच्छा भवन है, और ना ही मरीजों की बैठने का समुचित व्यवस्था यहां तक की मरीज का भी इलाज खुले आसमान में किया जाता है। इस बाबत अस्पताल कर्मी एएनएम शारदा चौरसिया ने बताया कि अस्पताल परिसर में 15 वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से एक भवन का निर्माण किया गया है जो अब तक अधूरा पड़ा है। आज तक इस अधूरे भवन के तरफ किसी अधिकारी ने नहीं देखा।वहीं भवन को लेकर स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा कई बार सांसद से लेकर विधायक को बोला गया, परंतु आज तक इस भवन के संदर्भ में किसी ने नहीं सोचा। वहीं अस्पताल कर्मी बताते हैं कि आसपास के ग्रामीणों के द्वारा अस्पताल परिसर को गंदगी करते रहते हैं जिससे परिसर गंदगीमय बना हुआ है।
क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रूपेश कुमार नरपतगंज:-
नरपतगंज चिकित्सा पदाधिकारी बताते हैं कि फुलकाहा स्थित पुराना अस्पताल भवन जर्जर तो हो चुका है, लेकिन 15 वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से नए भवन का निर्माण कराया गया था, जो अब तक अधूरा है। आज से 3 महीना पूर्व सिविल सर्जन अररिया, नरपतगंज विधायक जयप्रकाश यादव एवं स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार के समक्ष भवन के संदर्भ में बताया गया था, और आश्वासन भी मिला की जांच कर जल्द से जल्द निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा, परंतु अब तक नहीं हो पाया है। भवन के निर्माण नहीं होने से मरीजों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
क्या कहते हैं जिला चिकित्सा पदाधिकारी विधान चंद्र सिंह अररिया:-
इस बाबत सिविल सर्जन अररिया बताते हैं कि प्रभार लिए मुझे लगभग एक महीना होने जा रहा है भवन के संबंध में मुझे जानकारी नहीं थी, जानकारी प्राप्त हुआ है, जिला पदाधिकारी महोदय अररिया से कहेंगे और पुराने जर्जर भवन का जांच करवाते हैं आगे जो उचित होगा किया जाएगा।
स्थानीय ग्रामीण एवं समाजसेवी संतोष साह बताते हैं कि करोड़ों की लागत से बनाए जा रहे 15 वर्ष पूर्व भवन संवेदक और जिला जनप्रतिनिधि के मिलीभगत से भवन निर्माण कंपनी अधूरे निर्माण को छोड़कर भाग गए।
युवा समाजसेवी कौशल कुमार बताते हैं कि हम लोगों के द्वारा कई बार इस क्षेत्र के सांसद विधायक स्वास्थ्य मंत्री तक इसकी सूचना दी गई परंतु किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है।
समाजसेवी राजेश चौररिया बताते हैं कि भवन निर्माण कंपनी के द्वारा करोड़ों का घोटाला किया गया है, इस घोटाले में ऐसा लगता है कि कुछ सफेदपोश भी संलिप्त हैं, इसी कारण आज तक भवन निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है।
लोजपा जिला उपाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह बताते हैं भवन निर्माण कंपनी पर जिला पदाधिकारी जांच करवा कर कार्यवाई करें । ऐसे संवेदक को काली सूची में डाल दिया जाए ताकि गरीब मरीजों के लिए बन रहे करोड़ों की भवन का घोटाला ना हो सके।
कुल मिलाकर देखा जाए तो बिहार सरकार के द्वारा स्वास्थ्य पर हर पंचायत व हर प्रखंड में बेहतर बनाने के लिए करोड़ों खर्च किए जाते हैं, लेकिन नवाबगंज पंचायत स्थित अतिरिक्त प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का आंसू बहा रहा है। और यहां के गरीब मजबूर मरीज दर-दर की ठोकरें खा रही है इस अस्पताल को देखने वाला ना तो कोई जनप्रतिनिधि है और ना ही कोई पदाधिकारी ही।