झारखण्ड

बिजली मीटर की जांच में जुगाड़ तकनीक से मिली निजात

धनबाद(न्यूज़ क्राइम 24): जिले के बड़े इंडस्ट्रीज में लगे बिजली मीटरों को लेकर उपभोक्ताओं को अक्सर शिकायत होती है कि उनका मीटर ज्यादा बिलिंग दिखा रहा है.शिकायतों के बाद इन बिजली मीटरों की जांच के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के कर्मचारी मीटरों को खोलकर एमआरटी कार्यालय लाते थे. फिर पारंपरिक तरीके से हीटर लगा कर जांच की जाती थी, जिसमें काफी समय लगता था. जांच कंप्यूटराइज्ड नहीं होने के कारण ना तो बिजली विभाग के कर्मचारियों को संतुष्टि मिलती थी और ना ही उपभोक्ताओं को. रीडिंग को लेकर भी हमेशा संशय बना रहता था।परंतु अब बिजली वितरण निगम के एमआरटी ऑफिस में टेस्टिंग बेंच मशीन और पोर्टेबल एक्यूचेक मशीन लग गई है, जिससे मीटरों की पूरी एक्यूरेसी से जांच संभव हो पा रही है. टेस्टिंग बेंच के अलावा सीटीपीटी मीटर बॉक्स के लिए प्राइमरी इंजेक्शन सेट मंगवाया गया है।उपभोक्ताओं की शिकायत मिलने पर मीटर को खोलकर एमआरटी कार्यालय लाना पड़ता था. परंतु पोर्टेबल एक्यूचेक मशीन से अब इंडस्ट्री या उपभोक्ता के घर में ही जाकर मीटरों को चेक करना आसान हो गया है. ऑन द स्पॉट उपभोक्ताओं को मीटरों की एक्यूरेसी दिखा दी जाती है. रीडिंग डिजिटल होने की वजह से उपभोक्ता संतुष्ट भी होते हैं. एक्यूचेक मशीन से मीटरों की जांच मात्र 45 मिनट में हो जाती है.बिजली वितरण निगम के एमआरटी ऑफिस में नई तकनीक की मशीन नहीं होने की वजह से पहले जुगाड़ तकनीक से हीटर जलाकर मीटर की जांच की जाती थी. इस जुगाड़ तकनीक में 1000 वाट के तीन हीटर लगाये जाते थे. सिंगल फेज मीटर की जांच एक हीटर के जरिए होती थी., थ्री फेज मीटर की जांच के लिए एक हजार वाट के तीन हीटर का उपयोग होता था. हालांकि मीटर के रीडिंग की एक्यूरेसी की गारंटी नहीं दी जा सकती थी।एमआरटी धनबाद एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आनंद कौशिक ने बताया कि संसाधन के अभाव में अब तक एमआरटी में मीटरों की जांच में एक्यूरेसी बरकरार रखना मुश्किल था. मशीनों से मीटर की जांच रिपोर्ट में एक्यूरेसी आई है.

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