फुलवारशरीफ(अजित यादव): कोविड के शुरुआती दौर मे एम्स में भर्ती मरीजों के परिजनों के साथ फर्जीवाड़े के एक नए तरीके का खुलासा हुआ है। अस्पताल में मरीजों के परिजनों को जाने की इजाजत नहीं होने का फायदा कुछ शातिरों ने उठाया और अस्पताल के किसी स्टाफ की मदद से परिजनों को मरीज की तस्वीर भेजकर इलाज और दवा खरीदने के नाम पर पैसे वसूले.
रोहतास के एक कोविड पॉजिटिव मरीज के परिजनों से बाहर से दवा खरीदने के नाम पर दानापुर के रहने वाले एक शातिर ने 40 हजार रुपये वसूल लिए। बाद में मरीज की मौत हो गयी. दरअसल , पटना एम्स में भर्ती कोविड पॉजिटिव मरीज रोहतास के संझौली निवासी दुकानदार 56 वर्षीय लालबाबू गुप्ता के परिवार को झाँसे में लेकर एक फर्जी व्यक्ति जयप्रकश ने चालीस हजार नौ सौ रुपये ठग लिए । इसका पता चलने पर परिवार ने पीएमओ में न्याय की गुहार लगाई जिसके बाद घटना के करीब 5 माह बाद ठगी का मामला फुलवारी शरीफ थाना में दर्ज कराया गया है । हालांकि कोविड 19 पेशेंट लालबाबू गुप्ता की मौत भी हो चुकी है लेकिन अब न्याय पाने की आस में परिवार दर दर भटक रहा है। रोहतास के संझौली निवासी दुकानदार 56 वर्षीय लालबाबू गुप्ता की बेटी साक्षी गुप्ता ने बताया कि उनके पिता को किडनी और डायबिटीज रोग था जिनकी तबियत बिगड़ने पर पटना के आईजीआईईएमएस में इलाज के लिए लाया गया था जहां कोविड 19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाने पर 17 जुलाई 2020 को एम्म्स पटना में भर्ती कराया गया जहां से इलाज के बाद फिर वापस आईजीआईएमएस में भर्ती कराया गया । मरीज का लगातार डायलिसिस भी हो रहा था। इसी दौरान लालबाबू गुप्ता की मौत आईजीआईएमएस में हो गया। साक्षी गुप्ता ने बताया कि जब उनके पिता एम्स पटना में कोरोना पॉजिटिव होने पर भर्ती हुए थे उस दौरान उनकी तबियत सीरियस होने का फायदा उठाकर एक जयप्रकाश नाम का व्यक्ति ने उनसे मोबाइल पर उनके पिता का एम्स कोविड वार्ड का फोटो भेजकर झाँसे में लिया और फिर एंटीबायोटिक चलाने के नाम पर तीन बार करके 40 हजार नौ सौ रुपये ठग लिए। जयप्रकाश ने जब उनके पिता की कोविड वार्ड की तस्वीर भेजी तो परिवार वालों लगा था कि यह व्यक्ति एम्स पटना के स्टाफ है क्योंकि कोविड वार्ड में भर्ती मरीज के पास उसके परिजनों को भी जाने की इजाजत नही थी । इसी दौरान मरीज की तबियत बिगड़ने का हवाला देकर जयप्रकाश ने पीड़ित परिवार से कहा कि एम्स के बाहर से दवा मंगवाया जाएगा जिसके लिए आपको रुपये देने होंगे । साक्षी गुप्ता का कहना है कि इस मामले में जब एम्स एडमिनिस्ट्रेशन से सम्पर्क किया गया तो बताया गया कि कोविड 19 मरीज के लिए अगर कोई दवा बाहर से मंगवाया जाता है उसके लिए बजाप्ता एम्स से पर्ची दी जाती है जो उस फर्जी व्यक्ति जयप्रकाश ने परिवार को नही उपलब्ध कराया था। इस तरह एम्स ने इस पूरे मामले में परिवार को बताया है कि जयप्रकाश नाम वह व्यक्ति जिन्हें दवा के नाम पर रुपये दिए गए उसका एम्स पटना से कोई लेना देना नही था । उसके बारे में एम्म्स पटना को कोई जानकारी नही है । इस मामले में न्याय की उम्मीद में पीड़ित परिवार ने पीएमओ से गुहार लगाई जिसका जवाब आने पर परिवार के लोगो ने जिलाधिकारी पटना से सम्पर्क किया है । इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार से भी पीड़ित परिवार को ई मेल के जरिये जानकारी उपलब्ध कराई गई है । कोरोना से मौत के बाद लालबाबू गुप्ता का परिवार दुःख और ठगी से टूटा हुआ है और अब भी न्याय की आस लगाए फुलवारी शरीफ थाना में 24 जनवरी को जयप्रकाश नाम के व्यक्ति के खिलाफ ठगी का प्राथमिकी दर्ज कराया गया है.
साक्षी गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जिस जयप्रकाश नाम के व्यक्ति को चालीस हजार नौ सौ रुपये पेमेंट किया वह गूगल पे के जरिये किया था । जब ठगी का पता चला और उससे संपर्क किया गया तो उल्टे जयप्रकाश ने और रुपये की डिमांड करने लगा कि उसे दो बार के दवा का डोज का ही पेमेंट मिला था जबकि बाहर से मरीज को तीन बार दवाई मंगवाकर दिया गया था। साक्षी गुप्ता का यह भी कहना है कि अगर जयप्रकाश का नाम के उस व्यक्ति का एम्स पटना से कोई लेना देना नही था तो वह परिवार वालों को कोविड वार्ड में भर्ती उनके पिता लालबाबू गुप्ता की तस्वीरें कैसे भेज रहा था । इसी मामले में पीड़ित परिवार को बताया गया है कि जयप्रकाश नाम का व्यक्ति एम्स के एक सीनियर रेजिडेंट के जरिये लालबाबू गुप्ता के बारे में जानकारी हासिल कर रहा था. इतना ही नही जब ठगी के बाद जयप्रकाश की कुंडली गूगल के जरिये उसके नम्बर को सर्च कर खंगाला गया तो कहीं किसी रेस्टोरेंट तो कहीं दिल्ली के एक बड़े अस्पताल के डॉक्टर जयप्रकाश के बारे में जानकारियाँ मिली है.
पिता की मौत के बाद से पटना वीमेंस कॉलेज में पढ़ने वाली बेटी साक्षी ने पूरे मामले की खुद जांच की तो पता चला कि जिसने पैसे लिए थे वो एम्स का स्टाफ ही नहीं था। साक्षी ने PMO को पत्र लिखा, जवाब आया, पिछले सप्ताह पटना के DM से खुद मिली, दो दिन पहले FIR का आदेश हुआ। साक्षी ने फेसबुक के जरिये किसी तरह उस शातिर को ढूंढा। अपनी एक दोस्त की मदद से उस शातिर को फिर इलाज में मदद के नाम पर सम्पर्क किया तो फिर से उसने ठगने की प्लानिंग कर ली। साक्षी की दोस्त ने पूरा ऑडियो रिकॉर्ड कर लिया। इलाज के दौरान साक्षी के भाई से फ्रॉड की बातचीत का ऑडियो भी है। पेमेंट का सबूत भी है। एम्स प्रशासन ने भी साक्षी की मदद की। साक्षी ने हर सबूत जुटा लिए हैं और अब वो उस शातिर को सजा दिलवाना चाहती है ताकि और कोई उसका शिकार न हो सके.
पीड़ित परिवार इस पूरे मामले में एम्स के अंदर तक फर्जी लोगो द्वारा ठगी करने का सांठगांठ होने का आरोप लगाते हुए जांच कराने की भी मांग की है । बहरहाल मामला कोरोना मरीज के परिवार के साथ ठगी का है जिसमे एम्म्स के अंदर से इस तरह के फर्जीवाड़े के गीरोह के तार जुड़े होने की ओर इशारा कर रहे हैं । अब देखना है मामला पुलिस के पास दर्ज होने पर परिवार को न्याय कहाँ तक मिल पाता है।