अररिया(रंजीत ठाकुर): जिले वासियों में परिवार नियोजन के जरूरी साधनों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। कुशल दंपति अब दो बच्चे के बीच ची जन्म अंतराल को लेकर भी ज्यादा चौकस हुए हैं। बच्चों के बीच जन्म में पर्याप्त अंतर नहीं होने व परिवार में अधिक बच्चों के कारण होने वाली परेशानियों से अवगत होकर लोग अब छोटे परिवार को तरजीह देने लगे हैं।
हाल के वर्षों में परिवार नियोजन साधनों तक आम लोगों की पहुंच का दायरा भी काफी बढ़ा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 5 के मुताबिक 19.3 था। वो घट कर 15.9 पर पहुंच चुका है। वैसे लोग जो जानकारी के अभाव में परिवार नियोजन साधन से वंचित रहते थे, उनका आंकड़ा भी 9 फीसद से कम होकर 6.4 फीसदी रह गया है। जो जिले में जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों की मजबूती को दर्शाता है।
सामुदायिक स्तर पर लोगों की सोच में आया है बदलाव
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह बताते हैं कि परिवार नियोजन संबंधी उपाय अपनाने से पहले पूर्व में घर की बुजुर्ग महिला व पुरूष की सहमति मिलना कठिन होता था। इससे इच्छुक होने के बावजूद योग्य महिलाएं इससे परहेज करतीं थीं।
सामुदायिक स्तर पर लोगों की इस सोच में बदलाव आया है। लिहाजा परिवार नियोजन संबंधी उपाय तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। समाज का हर तबका परिवार नियोजन के उपलब्ध साधनों को अपनाने लगा है। इसमें नियमित अंतराल पर जिले में आयोजित जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का सकारात्मक योगदान रहा है।
अस्थायी साधनों के प्रति बढ़ी है विश्वसनीयता
जिले के प्रभारी डीपीएम सह जिला अनुश्रवण व मूल्यांकन पदाधिकारी पंकज झा ने कहा कि जिले में परिवार नियोजन के स्थाई व अस्थाई साधन अपनाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। जो सामुदायिक स्तर पर लोगों की सोच में आये बदलाव का परिणाम है।
उन्होंने बताया कि एनएफएचएस – 4 में जहां जिले में महज 29.9 फीसदी परिवार नियोजन के साधन अपना रहे थे। वहीं एनएफएचएस 5 की के रिपोर्ट में ये आंकड़ा बढ़ कर 46 फीसदी पर जा पहुंचा है। रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल जिले में 42.8 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रूप से परिवार नियोजन साधनों का उपयोग कर रहीं हैं।
हालांकि परिवार नियोजन के स्थायी उपाय के तौर पर महिला बंध्याकरण आज भी लोकप्रिय साधन बना हुआ है। जिले में 36.2 फीसदी महिलाएं परिवार नियोजन के स्थायी साधनों को तरजीह दे रही हैं। वहीं 5.9 फीसदी महिलाएं आयूडी, पिल, कॉडोम, गर्भनिरोधक सुईयों सहित नियोजन के अन्य साधन का इस्तेमाल कर रहीं हैं।
सफल होने लगा है स्वास्थ्य कर्मियों का प्रयास
परिवार नियोजन संबंधी उपायों के प्रति धीरे-धीरे लोगों का भरोसा बढ़ रहा है। फैमिली प्लानिंग कॉर्डिनेटर अविनाश आनंद ने बताया कि फिल्ड विजिट व स्वास्थ्य इकाईयों में संबंधित क्षेत्र की एएनएम व आशा योग्य दंपति को परिवार नियोजन के साधन अपनाने के लिये प्रेरित व जागरूक कर रही हैं।
इस दौरान उन्हें छोटे परिवार के महत्व व दो बच्चों के बीच पर्याप्त अंतर रखने के फायदों से अवगत कराया जा रहा है। बेहतर काउंसिलिंग, नियोजन संबंधी उपलब्ध अनेकों विकल्प की जानकारी देकर इसे अपनाने के लिये लोगों को प्रेरित करने का स्वास्थ्य कर्मियों का प्रयास अब अपना असर दिखाने लगा है।