पटना, (न्यूज़ क्राइम 24) बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के मुख्य प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव एवं प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने अपने संयुक्त वक्तव्य में कहा कि जनता दल यू के नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह पूरी तरह से भाजपा और आरएसएस के विचारों में अपने आप को समाहित कर लिए हैं,और वह कट्टर संघी हो गए हैं।
नेताओं ने कहा कि बिहार में डबल इंजन सरकार पिछड़ों,अति पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हकमारी करने वाली सरकार है और उसके द्वारा दलितों ,शोषितो और वंचितों के अधिकार पर कुठाराघात किया जा रहा है, और शराबबंदी के नाम पर इन वर्गों के साथ अत्याचार की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है और शराब तस्करों को सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा संरक्षण देकर 40 हजार करोड़ का समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी कर ली गई है, जब इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने सच और सच्चाई सामने लाने का काम किया तो सत्ता में बैठे हुए नेता बेचैन हो गए और सत्ता प्रतिष्ठान हिल सा गया हैं।
नेताओं ने आगे कहा कि नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने धड़ल्ले से हो रहे शराब तस्करी और सत्ता के संरक्षण में शराब माफियाओं को संरक्षण दिए जाने का मामले को जब उजागर किया और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के टिप्पणी से जब आम अवाम को अवगत कराया तो सत्ता में बैठे हुए नेता और पदाधिकारी बेचैन हो गए हैं और सत्ता मैं बैठे हुए नेता अनर्गल पर प्रलाप करने लगे हैं। जिस तरह से शराब तस्करों के द्वारा बिहार में बॉर्डर इलाके से हजारों लीटर विदेशी शराब की खेपें पटना सहित अन्य जिलों में पहुंचाई जा रही है, उसमें सरकार में बैठे हुए लोगों की भूमिका स्पष्ट रूप से नजर आ रही है और शराब तस्करों को सत्ता के द्वारा संरक्षित किया जा रहा है,यह दिख रहा है।
नेताओं ने पूछा कि जनता दल यू के नेता श्री ललन सिंह बतायें कि हरनौत में जदयू के प्रखंड अध्यक्ष शराब के साथ पकड़े गए, अस्थावां में जनता दल यू के नेता बड़े शराब के खेप के साथ पकड़े जाते हैं तो उन्हें किसने छुड़वाया उसे वह बताएं ।और जो पदाधिकारी ने अस्थावां में जनता दल यू के नेता को पकड़ा था,उसका ट्रांसफर क्यों किया गया। आखिर वैसे पदाधिकारी क्यों प्रताड़ित किये जा रहे है, जो जदयू और भाजपा के लोगों को पकड़ कर जब सच्चाई को सामने लाते हैं, तब उन्हें ट्रांसफर कर दिया जाता है। जबकि होना यह चाहिए था वैसे पदाधिकारी को सरकार के स्तर से प्रशस्ति पत्र दिया जाता ,लेकिन हो रहा इसका उल्टा । बिहार में सरकार चलाने वाले अचेतावस्था में है, जिसका फायदा चार लोग उठा रहे हैं। और इन चार लोगों की सरकार चलाने में बड़ी भूमिका नजर आती है, जिनमें डी के बौस, संजय झा, ललन सिंह और विजय चौधरी प्रमुख रूप से है,इन चार लोगों में कोई भी दलित, पिछड़ा ,अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक समाज का नहीं है।
जिस तरह से शराबबंदी के नाम पर दलित, पिछड़ा ,अतिपिछड़ा और आदिवासी को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ गई है । और शराबबंदी के बाद जितनी भी गिरफ्तारियां हुई हैं उनमें 99% गरीब और वंचित वर्गों के लोगों की गई है, जबकि सबसे अधिक विदेशी शराब की खेपें ही पकड़ी गई है लेकिन एक प्रतिशत ही अमीर लोगों की गिरफ्तारी हुई। नेताओं ने कहा कि एक अणे मार्ग में बड़े नेता के साथ बड़े शराब माफिया का फोटो वायरल होता है उसपर सरकार के लोग चुप्पी साध लेते हैं ।
उत्तर बिहार में पूर्व मंत्री के घर स्कूल में ट्रक के ट्रक शराब के खेप पकड़े जाते हैं, इस पर सरकार सत्ता प्रतिष्ठान के लोग चुप्पी साध लेते हैं, एक अणे मार्ग में बड़े शराब माफिया को किसने पहुंचाया और किसके माध्यम से ऐसे माफिया को संरक्षण मिल रहा है यह बताना चाहिए। बिहार में समानांतर 40 हजार करोड़ की आर्थिक व्यवस्था खड़े करने वाले लोग किस तरह से माफिया को बढ़ावा दे रहे हैं यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है। सरकार के द्वारा शराब तस्करों को संरक्षण देने पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के टिप्पणी के बाद भी अगर ललन सिंह जी को यह बात समझ में नहीं आ रही है, तो इससे यही लगता है कि इसमें बड़े पैमाने पर उन्हीं लोगों तक इसका लाभ पहुंच रहा है जो शराब माफियाओं के हित में बयान बाजी कर रहे हैं।
नेताओं ने आगे कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी ने पंचायतों में एकल पद पर आरक्षण की व्यवस्था की थी ,लेकिन भाजपा और जद यू के लोग पटना हाई कोर्ट पहुंच गए और इस मामले पर पटना हाई कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी। इस फैसले के बाद बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। और श्रीमती राबड़ी देवी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले पर अपना पक्ष रखा, लेकिन इसी बीच सत्ता परिवर्तन हो गया।जिस आरक्षण को श्रीमती राबड़ी देवी जी की सरकार लागू कर चुकी थी उसे केस मुकदमा में फंसा कर भाजपा और जद यू ने गरीबों, शोषितों, वंचितों पिछड़ों अति पिछड़ों और दलितों को उसके अधिकार से वंचित किया।