जिले में 0 से 05 वर्ष के बच्चों के लिए संचालित डायरिया उन्मूलन कार्यक्रम का केंद्रीय टीम ने लिया जायजा

कटिहार, (न्यूज़ क्राइम 24)   राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत शिशु दस्त नियंत्रण एवं रोकथाम करते हुए बच्चों को डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित करने के लिए जिले के सभी प्रखंडों में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक दस्त रोकथाम अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान 0 से 05 वर्ष तक के दस्त प्रभावित बच्चों की पहचान करते हुए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इसकी रोकथाम के लिए बच्चों के परिजनों को ओआरएस पैकेट्स और जिंक की गोलियां उपलब्ध कराई जा रही है।‌ जिसका नियमित उपयोग करवाते हुए बच्चों को डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित किया जा सकता है।

जिले में डायरिया उन्मूलन कार्यक्रम के निरक्षण के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा जिले के बरारी और डंडखोरा प्रखंड के अस्पताल और आंगनबाड़ी केंद्रों का निराक्षण किया गया। इस दौरान उन्होंने वहां उपस्थित परिजनों से बच्चों के दस्त ग्रसित होने की जानकारी लेते हुए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बच्चों के लिए दिए जाने वाले दवाइयों और उसके उपयोग करने की जानकारी ली गई। इस दौरान जिला स्वास्थ्य विभाग से सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह, प्रभारी डीपीएम डॉ किशलय कुमार, डीसीएम अश्विनी मिश्रा, यूनिसेफ एसएमसी चंद्रविभा सहित प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।

डायरिया रोकथाम के लिए जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक चलाया जा रहा दस्त रोकथाम अभियान :

प्रभारी डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि 0 से 05 वर्ष तक के बच्चों के डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस और जिंक के प्रयोग द्वारा डायरिया से होने वाले मृत्यु को टाला जा सकता है जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 23 जुलाई से 22 सितंबर तक दस्त रोकथाम अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समुदाय स्तर पर लोगों को दस्त के रोकथाम के उपायों, दस्त होने पर ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग की समझ विकसित करते हुए दस्त के दौरान उचित पोषण तथा समुचित इलाज उपलब्ध कराई जा रही है ताकि संबंधित बच्चों को डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित किया जा सके।

इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जिले के सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों, उपकेंद्रों के साथ अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में शामिल शहरी झुग्गी झोपड़ी, कठिन पहुँच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, घुमंतू-निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्ठे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिन्हित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक पाए गए हों वहां संबंधित बच्चों के परिजनों को ओआरएस पैकेट्स और जिंक गोलियां उपलब्ध कराई जा रही है ताकि संबंधित बच्चों को आसानी से ओआरएस घोल और जिंक गोली खिलाते हुए उन्हें डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित किया जा सके। कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय पर्यवेक्षिका इंदु एस द्वारा बरारी और डंडखोरा प्रखंड में अस्पताल के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों का निरक्षण करते हुए स्थानीय लोगों से आवश्यक जानकारी ली गई।

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डायरिया उन्मूलन के लिए बच्चों को उपलब्ध कराया जा रहा ओआरएस घोल और जिंक की गोली :

सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि बच्चों का दस्त रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 05 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट वितरण करते हुए परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा ओआरएस घोल बनाते हुए उसके उपयोग करने की विधि, इससे होने वाले लाभ, साफ-सफाई, हाथ धोने के तरीकों आदि के बारे में जानकारी दी जाती है। दस्त के दौरान बच्चों को जिंक गोली का उपयोग बच्चों को उम्र के अनुसार उपयोग करवाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा परिजनों को जागरूक किया जाता है जिसका केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा स्थानीय लोगों से जानकारी ली गई। लोगों ने बताया कि दस्त होने पर 02 माह से 06 माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली (10mg) एवं 07 माह से 05 वर्ष तक के बच्चों को एक गोली (20mg) खिलाया जाता है।

दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक का खुराक बच्चों को कुल 14 दिनों तक जारी रखा जाता है जिससे कि दस्त ग्रसित बच्चों को डायरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रखा जा सके। सिविल सर्जन ने बताया कि जिंक का उपयोग करने से बच्चों के दस्त की तीव्रता में कमी आ जाती है एवं अगले 02 से 03 महीने तक बच्चों के दस्त एवं निमोनिया ग्रसित होने की संभावना कम हो जाती है। दस्त रोकथाम अभियान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के सभी प्रखंडों और शहरी क्षेत्रों के संबंधित परिजनों को ओआरएस पैकेट्स और जिंक की गोलियां उपलब्ध कराई गई है जिसका केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की राष्ट्रीय पर्यवेक्षिका द्वारा निरक्षण किया गया है। निरक्षण में अधिकारी को जिले के सभी प्रखंड में डायरिया उन्मूलन के लिए संचालित कार्यक्रम के क्रियान्वयन की सभी जानकारी प्राप्त हुई है और उन्हें जिले में कार्यक्रम का क्रियान्वयन संतोषजनक लगा है।

बच्चों के दस्त ग्रसित होने के लक्षण :


-बच्चे के सुस्त या बेहोश हो जाना।
-पानी जैसा लगातार दस्त का होना।
-बार बार उल्टी होना।
-बच्चों को अत्यधिक प्यास लगना।
-पानी न पी पाना।
-बुखार होना।
-मल में खून का आना।

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