नालंदा विश्वविद्यालय को विशेष पैकेज की घोषणा, वाइस चांसलर ने व्यक्त की खुशी

नालंदा, राकेश   बिहार नालंदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नालंदा के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। वित्त मंत्री ने नालंदा को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने और राजगीर-बोधगया सड़क संपर्क परियोजना को विकसित करने की घोषणा की है। इसके अलावा, नालंदा विश्वविद्यालय के लिए विशेष पैकेज की भी घोषणा की गई है।

इस घोषणा के बाद नालंदा में पर्यटन और शिक्षा को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलेगा। राजगीर को लेकर भी कई महत्वपूर्ण योजनाओं का ऐलान किया गया है, जिसमें राजगीर को एक प्रमुख टूरिस्ट सेंटर के रूप में विकसित करने की योजना शामिल है।

नालंदा विश्वविद्यालय के विशेष पैकेज की घोषणा पर वाइस चांसलर प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा कि वे इस खबर से बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि यह नालंदा के समग्र विकास के लिए एक बहुत बड़ी घोषणा है। एक महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए भवन का उद्घाटन किया था और उस दौरान उन्होंने स्वर्णिम युग की शुरुआत का भाव व्यक्त किया था।

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नालंदा विश्वविद्यालय

प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा कि इस बजट सत्र में नालंदा के चौमुखी विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि नालंदा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में और अधिक सफल होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन इनका सही सदुपयोग करके हम और भी बेहतर कर सकते हैं।

नालंदा के विकास के लिए केंद्र सरकार की यह घोषणा न केवल पर्यटन और शिक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। जब मीडिया ने नालंदा विश्वविद्यालय की प्रसिद्धि के बारे में पूछा, तो कुलपति अभय कुमार सिंह ने कहा कि नालंदा सदैव ही देश-विदेश में अपनी ख्याति, कीर्ति और प्रतिष्ठा के लिए जानी जाती रही है। सदियों से लोग यहां यात्रा करके ज्ञान प्राप्त करते थे। इसी नालंदा विश्वविद्यालय और इसके उच्च शिक्षा ने भारत को विश्व गुरु का नाम दिलाया था।

उन्होंने आगे कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्जीवन इस उद्देश्य से किया गया है कि यहां प्राचीन शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों और मानवता का भी पाठ पढ़ाया जाए। इस ज्ञान का उद्देश्य विश्व में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना है। वर्तमान में, यहां लगभग 26-27 देशों के छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिसमें अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, और एशिया के विभिन्न देश शामिल हैं।

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