पुरुष महिलाओं के समर्पण और आस्था के पर्व वटसावित्री रीना त्रिपाठी

यूपी(न्यूज क्राइम 24): आइए सभी पुरुष महिलाओं के समर्पण और आस्था के पर्व वटसावित्री के अवसर पर जीवन में नशा न करने का संकल्प लें विवाहित महिलाएं आज सावित्री अमावस्या मना रही हैं। वे इस शुभ दिन को उपवास रखकर और अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए वट वृक्ष से प्रार्थना करती हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार सत्यवान और सावित्री अपने निर्वासित जीवन के दौरान एक जंगल में रहते थे। एक दिन जंगल में लकड़ी काटते समय सत्यवान का सिर घूम गया और वह एक पेड़ से गिर पड़ा। सावित्री उस दिन उसके साथ थी। तब मृत्यु के देवता यमराज उनकी आत्मा को हर लेने के लिए प्रकट हुए। हालाँकि, सावित्री ने उससे अपने पति को उससे अलग न करने की विनती की और कहा कि यदि वह उसके पति की आत्मा को छीन लेगी, तो वह भी उसका पालन करेगी। सावित्री की भक्ति से प्रेरित होकर यमराज ने उसके पति के प्राण लौटा दिए।

इस कहानी से सभी को यह सीख लेनी चाहिए कि आस्था विश्वास के इस पवित्र रिश्ते में भारतीय सनातन परंपरा बहुत ही मजबूत धागों से बंधी हुई है। भारत देश की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रकृति की उपासना आज कलयुग के चरम पर भी पूरी श्रद्धा और विश्वास के भाव से कर रही हैं। बस आज यमराज का स्वरूप कुछ बदला हुआ है। आज मौत नशे के विभिन्न रूपों में आपके दरवाजे पर दस्तक देने को खड़ी है।

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करोना काल में हम सब ने वटवृक्ष पीपल के वृक्षों के द्वारा प्रदान की जाने वाली जीवनदायिनी ऑक्सीजन के महत्व को सकुशल समझा है न जाने कितने लोग उस समय पीपल और बरगद के दृश्यों के नीचे अपना आशियाना बनाकर रहने लगे थे और प्रकृति के द्वारा प्रदान की जाने वाली जीवनदायिनी प्राणवायु में विश्वास करना सीख गए थे।

आज के समय में यह सोचने का विषय है कि क्यों ना समाज में पारस्परिक विश्वास श्रद्धा भाव के इस पवित्र त्यौहार में किसी प्रकार की कटुता ना शामिल की जाए। बहने, बेटियां, पत्नियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं तो क्यों ना पति भी उन्हें ताउम्र सुरक्षा और समर्पण देने का वादा करें जीवन में कभी भी नशा ना करने की शपथ अपनी पत्नियों को दें। नशा करने से सामाजिक आर्थिक मानसिक और शारीरिक नुकसान होता है। और इन सब का चरम जीवन की हानि के रूप में कैंसर, दुर्घटना से असमय मौत और घरेलू हिंसा के रूप में हमें दिखाई देता है।

एजीवन की रक्षा तभी हो सकती है जब व्रत पूजा पाठ और आत्म बल के द्वारा संरक्षित किए हुए अपने पतियों के प्राणों को हर प्रकार के प्रदूषण कटुता और नुकसान से बचाकर दीर्घायु प्रदान की जाए और यह तभी संभव है जब पूरा परिवार इसमें जुड़ेगा, सभी घर नशा मुक्त बनेंगे समाज सुधरेगा और भारत देश हर प्रकार के जीवन का हरण करने वाले नशे से मुक्त होगा। वह पुरुष जो किसी भी प्रकार का नशा करते हैं उन्हें यह समझना होगा और अपने पत्नियों के समर्पण भाव का सम्मान करना होगा।आइए हम सब मिलकर आज समाज से नशे रूपी कुरीति, कुप्रथा और कु संस्कार के खत्म होने की प्रार्थना करते हैं ।सभी व्रत धारी पत्नियों के पतियों को दीर्घायु की प्रार्थना तभी सार्थक होगी।
आइए मिलकर देश बचाए

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