पटना(अजीत यादव): पटना के महावीर कैंसर संस्थान में चिकित्सकों ने एक 21 वर्षीय युवक के कान के पास सर्जरी कर कई वर्षों से लगातार बढ़ रहे ढाई किलो का ट्यूमर निकालकर उसकी जान बचाई है . इतने महत्वपूर्ण ऑपरेशन के लिए महावीर मन्दिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल एवं संस्थान के वरीय सर्जनों एवं चिकित्सकों ने प्रसन्नता जाहिर की है. महावीर कैंसर संस्थान से मिली जानकारी के मुताबिक इस तरह की सर्जरी बहुत कम अस्पतालों में की जाती है। मरीज पूर्ण रूप से ठीक हो गया है। चार सप्ताह के बाद कैंसर का आगे का इलाज किया जाएगा। इस जटिल एवं खतरनाक सर्जरी को डा० श्रुति खेमका ने की। साथ में डा० अजय विद्यार्थी एवं डा० ए० रहमान ऑपरेशन के दौरान पूर्ण सहयोग किये।
दरअसल , 21 वर्ष के गरीब युवक के गाल पर (कान के सामने ) पिछले कई वर्षो से एक बड़ा सा मांस का गोला बन गया था। मरीज के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए चिन्ता की विषय थी । जागरूकता के अभाव में कई महीनों तक आयुर्वेद पद्धति से इलाज करवाया गया, लेकिन गोला बढ़ता ही गया। अंत में मरीज को महावीर कैंसर संस्थान लाया गया। यहाँ डा० श्रुति खेमका एवं अन्य सर्जनों द्वारा देखने एवं जाँच करने के बाद बड़ा पैरोटिड ग्रंथि कैंसर साबित हुआ। इससे पहले भी वे कई बड़े अस्पतालों में गये पर कोई भी ऑपरेशन के लिए तैयार नहीं हुए।
महावीर कैंसर संस्थान में मरीज के ऑपरेशन के लिए उसे हेड एण्ड नेक सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया। उसी क्रम में घाव से काफी खून का रिसाव होने लगा। तुरंत ड्रेसिंग एवं अन्य प्राथमिक उपचार की गई। परन्तु खून का बहना बंद नहीं हुआ। डा० श्रुति खेमका, प्रसिद्ध हेड एण्ड नेक सर्जन ने अपने सहयोगियों से बात कर तुरन्त ऑपरेशन करने की निर्णय ली। यह ऑपरेशन काफी खतरनाक था, चूंकि यह ट्यूमर बहुत ही महत्वपूर्ण खून की नली (इन्टरनल जुगलर भेन एवं कैरोटिड आर्टरी) से चिपका हुआ था। सर्जनों के प्रयास से गोला को सफलपूर्वक निकाल लिया गया। इसका वजन ढ़ाई किलो था, जो कि बहुत ही बड़ी कैंसर मांस थी। इस सर्जरी में महत्वपूर्ण खून की नलियों को पूर्ण रूप से सुरक्षित बचा लिया गया। रेडिकल टोटल पेरोटीडेक्टोमी, रेडिकल नेक डिस्सेक्शन और पेक्टोरालिस मेजर मायोक्यूटेनियस फ्लैप तकनीकि से जटिल ऑपरेशन किया गया .
आपको ज्ञात हो कि महावीर कैंसर संस्थान में 11 ऑपरेशन थियेटर है एवं सर्जनों एवं निश्चेतना की बड़ी टीम है। सबसे अधिक हेड एण्ड नेक विभाग में ऑपरेशन की जाती है। सभी विभागों, जैसे की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी, ब्रेस्ट सर्जरी इत्यादि यूनिटों को मिलाकर प्रतिदिन 14 – 15 बड़ी ऑपरेशन होती है एवं 35 से 40 छोटी ऑपरेशन होती है। यह आंकड़ा बिहार में सर्वाधिक तो है ही, पूरे देश में 1- 2 अस्पताल छोड़कर इतनी ऑपरेशन किसी भी अस्पताल में नहीं होती है।