कालाजार उन्मूलन के लिए छिड़काव जरूरी : सीएमओ

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list"><li>डब्ल्यूएचओ एवं पीसीआई की टीम ने किया आईआरएस छिड़काव का निरीक्षण<&sol;li><li>टीम ने की अपील&comma; घर के आस-पास रखें साफ़-सफाई&comma; करें मच्छरदानी का प्रयोग<br><strong>बलिया&lpar;सजंय कुमार तिवारी&rpar;&colon;<&sol;strong> जनपद में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत इस समय तीन ब्लाक में छिडकाव का कार्य चल रहा है। इस कार्यकम के तहत कालाजार को दूर भगाने के लिए ग्रामीण इलाकों के मिट्टी के घरों में पनपने वाली सफेद मक्खी जिसे बालू मक्खी के नाम से भी जाना जाता हैं&comma; को छिडकाव के जरिये ही खत्म किया जा सकता है&comma; यह कहना मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ&period; तन्मय कक्कड़ का।<br>उन्होने बताया कि कालाजार एक जानलेवा रोग है जो कि बालू मक्खी के काटने से फैलता है और अक्सर यह बालू मक्खी ग्रामीण क्षेत्रों में मकान की दरारों में पायी जाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। इसमें रोगी को उपचार के साथ-साथ उन्हें पैसा भी दिया जाता है। कालाजार के लिए पाँच सौ रुपये तथा चमड़ी वाले कालाजार के लिए चार हजार रुपये दिये जाते हैं। मरीज के खाते में सहायक राशि सीधे भेज दी जाती है। इसके अलावा इलाज और दवा नि&colon;शुल्क उपलब्ध है।<br>रेवती ब्लाक के अंतर्गत मूनछपरा ग्राम में डब्ल्यूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉo निशांत एवं पीसीआई संस्था के रीजनल मोबिलाइजेशन कोऑर्डिनेटर विकास द्विवेदी द्वारा रेवती ब्लॉक के मूनछपरा ग्राम में इंडोर रेजीडुअल स्प्रेइंग &lpar;आईआरएस&rpar; छिड़काव का निरीक्षण किया गया। डब्ल्यूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ निशांत ने बताया कि कालाजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं – पहला शीघ्र निदान और उपचार तथा दूसरा कीटनाशक दवा का छिड़काव यानी इंडोर रेजीडुअल स्प्रेइंग &lpar;आई&period;आर&period;एस&rpar;। आई&period;आर&period;एस&period; एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि&comma; कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी से बचाव किया जा सके। कीटनाशक का छिड़काव बालू मक्खी की संख्या को कम करता है। कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाले सतह पर रह जायेगी और उसे कोई नुकसान नहीं होगा ।आई&period;आर&period;एस&period; की प्रक्रिया साल में दो चरणों मानसून से पहले यानी मार्च से मई के बीच में और दूसरा चरण अगस्त से सितम्बर के बीच में संपन्न किया जाता है। आईआरएस द्वारा वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम की प्रक्रिया&comma; कालाजार के उन्मूलन की रणनीति में अहम् भूमिका निभाती है।<br>पीसीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक विकास द्विवेदी ने बताया कि कालाजार रोग बालू मक्खी के काटने से होता है। बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए दवा का छिड़काव जरुरी है। बालू मक्खी से बचाव के लिए घर में छिड़काव करवाना चाहिए&comma; जिससे मक्खियां मर जाएं। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। कालाजार से बचाव&comma; उपचार तथा छिड़काव अभियान में सहयोग करने के लिए जन-समुदाय को जागरूक किया जा रहा है। जागरूक करने का कार्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता&comma; प्रधान&comma; वार्ड मेम्बर&comma; एवं आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से किया जा रहा है। छिड़काव कार्य योजना के अनुसार सभी कालाजार प्रभावित 12 ब्लॉकों के ग्रामों के सभी घरों&comma; गौशालाओं में किया जाना है। इससे बचाव के लिए घर के आसपास साफ़-सफाई का ध्यान रखकर एवं मच्छरदानी का प्रयोग कर इस रोग से बचा जा सकता है।<&sol;li><&sol;ul>&NewLine;

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