फाइलेरिया मुक्त भारत अभियान को मजबूती दे रहे हैं परमेश्वर – पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ कर रोग से बचाव व नियंत्रण के प्रति कर रहे लोगों को जागरूक – प्रभावित अंगों की समुचित देखरेख व व्यायाम से कम होती है रोग संबंधी जटिलताएं

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong><mark style&equals;"color&colon;&num;cf2e2e" class&equals;"has-inline-color has-vivid-red-color">अररिया&lpar;न्यूज क्राइम 24&rpar;&colon;<&sol;mark><&sol;strong> युवावस्था के दिनों में जब एक शाम परमेश्वर घर लौटे तो बायें पांव में काफी सूजन महसूस हुआ। सूजन वाले हिस्से में जलन व खुजली थी। इससे बेचैन 20 वर्षीय बालक को देख उनके माता-पिता का परेशान होना स्वभाविक था। बच्चे के इलाज के लिये एक के बाद एक न जाने कितने चिकित्सकों का दरवाजा खटखटाया। तब कहीं जाकर बालक के फाइलेरिया ग्रसित होने का पता चला। रोग का कोई समुचित इलाज नहीं था। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इसलिये हिम्मत व जोश के दम पर ही उस बालक को अपने जीवन में आगे का सफर तय करना था। रोग के कारण परमेश्वर का बचपन प्रभावित हुआ था। इसलिये उन्होंने उसी वक्त ये ठान लिया कि भले वो कभी पूरी तरह ठीक न हो पायें लेकिन जीवन में कुछ ऐसा जरूर करेंगे ताकि किसी दूसरे व्यक्ति को मच्छर जनित इस रोग का शिकार न होना पड़े। रानीगंज प्रखंड के बसेटी वार्ड संख्या नौ निवासी परमेश्वर कुमार पासवान अब अब 60 साल के हो चुके हैं। लेकिन बचपन में लिया गया उनका संकल्प आज भी रत्ती भर भी प्रभावित नहीं हुआ है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>रोग से बचाव के प्रति कर रहे हैं लोगों को जागरूक –<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>परमेश्वर बसेटी सहित आसपास के इलाकों में फाइलेरिया मुक्त भारत अभियान को मजबूत बनाने के प्रयास में जुटे हैं। गांव में संचालित फाइलेरिया नेटवर्क समूह में वे अगुआ की भूमिका में है। समूह में फाइलेरिया संक्रमित करीब एक दर्जन सदस्य जुटे हैं। परमेश्वर की सक्रियता को देख कर ही समूह का नाम उनके नाम पर यानी परमेश्वर पेसेंट सपोर्ट समूह रखा गया है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p> समूह विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आसपास के ग्रामीणों को फाइलेरिया से बचाव व इसके प्रबंधन संबंधी उपायों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वहीं संक्रमितों को भी प्रभावित अंगों की देखरेख&comma; जरूरी व्यायाम&comma; मच्छरदानी का प्रयोग व आसपास के माहौल को स्वच्छ बनाये रखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वहीं मरीजों को अस्पताल से लिंक कराते हुए जरूरी चिकित्सकीय सुविधा&comma; दवा व परामर्श उपलब्ध कराने में अपने समूह के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>रोग के बेहतर प्रबंधन से सुगम जीवन संभव –<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>परमेश्वर बताते हैं कि 40 सालों से वे इस गंभीर रोग से जूझ रहे हैं। उन्हें पता है कि रोग का कोई स्थायी समाधान नहीं है। लेकिन प्रभावित अंगों की समुचित देखरेख&comma; जरूरी व्यायाम को जीवन में अपना कर इसके साथ सुगमता पूर्वक जीवन यापन संभव है। सरकार द्वारा रोग पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर हर साल एमडीए कार्यक्रम संचालित किया जाता है। जिसमें लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा सेवन कराया जाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p> इसका सेवन रोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिये जरूरी है। आस-पास के ग्रामीण व संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को वे इसके प्रति जागरूक करते हैं। गांव में संचालित फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने के बाद उनके इस अभियान को बेहद मजबूती मिली है। समूह की बैठकों में रोग से संबंधित विभिन्न मसलों पर विस्तृत चर्चा की जाती है। नजदीकी पीएचसी से उन्हें लिंक किया जाता है। इसकी मदद से उन्हें जरूरी चिकित्सकीय सुविधा व सुझाव आसानी से उपलब्ध हो पाता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>रोग नियंत्रण में समूह निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका &&num;8211&semi;<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार ने बताया कि फाइलेरिया रोगियों को रोग प्रबंधन की तकनीक के प्रति जागरूक करते हुए उपलब्ध चिकित्सकीय सेवाओं का लाभ उन तक पहुंचाने में फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सरकार के स्तर से रोगियों को हर सहायता उपलब्ध करायी जाती है। सुविधाजनक सेवाओं के लिये फारबिसगंज व रानीगंज में विशेष तौर पर फाइलेरिया क्लिनिक संचालित किया जा रहा है। जल्द ही अन्य प्रखंडों में भी क्लिनिक का संचालन शुरू कराने की बात उन्होंने कही।<&sol;p>&NewLine;

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