टीबी से ग्रसित 78 मरीजों को बेहतर पोषण के लिए निक्षय मित्रों द्वारा वितरण किया गया पोषण सामग्री

पूर्णिया, (न्यूज क्राइम 24)  टीबी (यक्ष्मा) एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जिससे ग्रसित लोगों की समय पर इलाज की जरूरत होती है। इलाज के दौरान मरीजों को आवश्यक दवाई के साथ साथ बेहतर पोषण लेने की जरूरत होती है। टीबी मुक्त भारत के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निक्षय योजना संचालित किया जाता है जिसके तहत टीबी से ग्रसित मरीजों को अस्पताल से दवाई लेने के साथ साथ निक्षय मित्र द्वारा बेहतर पोषण के लिए आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से निक्षय मित्र द्वारा जरूरत में होने वाले मरीजों को ठीक होने तक गोद लिया जाता है और उन्हें टीबी ग्रसित होने तक जरूरत युक्त पोषण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।

इसके लिए जिला यक्ष्मा केंद्र में हर माह के 16 तारीख को निक्षय दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसके तहत निक्षय मित्र द्वारा गोद लिए गए मरीजों को पोषण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। मंगलवार को निक्षय दिवस पर जिले के तीन यक्ष्मा मित्रों द्वारा जिले के 78 टीबी ग्रसित मरीजों को पोषण सामग्री उपलब्ध कराई गई। इसमें जिले के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ देवी राम द्वारा 72 टीबी ग्रसित मरीजों को, डॉ अमरेंद्र झा द्वारा 05 टीबी ग्रसित मरीजों को और पिरामल फाउंडेशन स्वास्थ्य की जिला लीड नम्रता सिन्हा द्वारा 01 टीबी ग्रसित मरीज को पोषण सामग्री उपलब्ध कराई गई। डॉ देवी राम द्वारा पहले से ही 21 टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लिया गया है। अप्रैल में उनके द्वारा 51 नए टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लेकर ठीक होने तक उन्हें पोषण सामग्री उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली गई है।

इसके साथ साथ डॉ अमरेंद्र द्वारा 05 और नम्रता सिन्हा द्वारा 01 टीबी ग्रसित मरीजों को पहले से ही गोद लिया गया है जिसके ठीक होने तक उसे पोषण सामग्री दी जा रही है। इस दौरान जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुभाष कुमार के साथ जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीएस राजेश शर्मा, निक्षय मित्र डॉ देवी राम, समाजसेवी अनिल अग्रवाल, पिरामल फाउंडेशन जिला लीड नम्रता सिन्हा, गांधीफेलो संकेत दहत, रीच इंडिया जिला समन्यवक चंदन श्रीवास्तव, जिला यक्ष्मा केंद्र एसटीएस धीरज कुमार, राकेश कुमार, टीबीएचभी प्रशांत कुमार, एसटीएलएस मुकेश कुमार, टीबी चैंपियन साक्षी गुप्ता, सहित जिला यक्ष्मा केंद्र के सभी कर्मी उपस्थित रहे।

टीबी मुक्त समाज के लिए सहयोग आवश्यक :

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निक्षय दिवस पर जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुभाष कुमार ने कहा कि टीबी ग्रसित होने पर मरीजों को इलाज के लिए आवश्यक दवाई के साथ साथ बेहतर पोषण की जरूरत होती है। बहुत से टीबी ग्रसित मरीज को अपनी आर्थिक स्थिति के कारण बेहतर पोषण पोषण लेने में समस्या होती है। इससे उन्हें समय से टीबी बीमारी को मात देने में तकलीफ होती है। समय से टीबी का इलाज नहीं करने पर बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में जरूरतमंद ग्रसित मरीजों को गोद लेकर उनके ठीक होने तक उन्हें पोषण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। निक्षय मित्र डॉ देवी राम ने कहा कि हर माह निक्षय दिवस पर गोद लिए गए सभी टीबी ग्रसित मरीजों को जिला यक्ष्मा केंद्र में पोषण सामग्री दिया जाता है। पोषण सामग्री में मोटा अनाज, सरसों तेल, मूंगफली, चना, सोयाबीन, चना-अरहर-मसूर और बादाम के दाल और सेब दिया जाता है। इसका उपयोग करने से मरीज को पोषण की कमी नहीं होती है और वे जल्द टीबी बीमारी को मात देकर स्वास्थ हो सकते हैं।

टीबी मुक्त भारत बनाने के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत :

जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीएस राजेश शर्मा ने बताया कि टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसे समय रहते जांच करने और सही तरीके से इलाज करने पर ठीक किया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। टीबी के लक्षण दिखाई देने पर इसकी तत्काल स्थानीय अस्पताल में जांच करवानी चाहिए। टीबी की पहचान होने पर जिला यक्ष्मा कार्यालय से स्वस्थ होने के लिए आवश्यक दवाइयों का लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को स्वस्थ होने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोग जो सक्षम हैं उन्हें स्थानीय टीबी ग्रसित मरीजों को गोद लेना चाहिए और उन्हें स्वस्थ होने तक पोषण सहायता प्रदान करते हुए टीबी मुक्त समाज बनाने में सहयोग करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल सर्जन ने निर्देश पर नियमित अलग अलग क्षेत्रों में कैम्प लगाकर टीबी मरीजों की अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन का उपयोग कर तत्काल पहचान की जा रही है। पिछले सप्ताह पूर्णिया सीमेन केन्द्र, मरंगा में जनरल मैनेजर डॉ एस के सक्सेना ने निर्देश पर वहां कार्यरत 68 कर्मचारियों की टीबी स्क्रीनिंग की गई है जिसमें से एक मरीज टीबी संक्रमित पाए गए। उन्हें चिकित्सकीय सहायता के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र से आवश्यक दवाई उपलब्ध कराई गई है। जिले के अन्य प्रखंडों में भी कैम्प लगाकर टीबी स्क्रीनिंग किया जा रहा है जिससे कि टीबी ग्रसित मरीजों की समय पर पहचान कर उन्हें इलाज करवाते हुए टीबी मुक्त किया जा सके।

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