राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस : जिले के 16.70 लाख बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाने का लक्ष्य

अररिया(रंजीत ठाकुर): राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर आगामी 22 अप्रैल को 01 से 19 साल तक के बच्चों को कृमि नाशक दवा का सेवन कराने के उद्देश्य से जिले में विशेष अभियान संचालित किया जायेगा। अभियान के क्रम में निर्धारित आयु वर्ग के 16.70 लाख बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित है। अभियान के क्रम में दवा सेवन से वंचित बच्चों के लिये 26 अप्रैल को मॉपअप राउंड का संचालन किया जायेगा। ताकि शत प्रतिशत बच्चों का दवा सेवन सुनिश्चित कराया जा सके। अभियान की सफलता को लेकर विभिन्न स्तरों पर जरूरी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जिलाधिकारी के निर्देश पर अभियान के सफल संचालन आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

विभिन्न बाल रोगों की मुख्य वजह है कृमि :

अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि दवा सेवन 01 से 19 साल तक के सभी बच्चों के लिये जरूरी है। कुपोषण सहित अन्य बीमारियों से बच्चों के बचाव के लिये निर्धारित समयाविधि पर कृमि नाशक दवा का सेवन जरूरी है। इससे शरीर के अंदर पल रहे कृमि नष्ट हो जाते हैं। सामुदायिक स्तर पर कृमि की वजह से दूसरे किसी अन्य व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है। इस आयु वर्ग के बच्चों के अस्वस्थता के पीछे कृमि संक्रमण बड़ी वजह है। इस कारण बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास प्रभावित होने का खतरा होता है।

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जिले में 16.70 लाख बच्चों का दवा खिलाने का लक्ष्य :

डीआईओ डॉ मोईज ने कहा कि अभियान के क्रम में 16.70 लाख बच्चों का दवा खिलाने का लक्ष्य है। इसमें आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 9.77 लाख बच्चे व विभिन्न स्कूलों के माध्मय से 6.93 लाख बच्चों का दवा खिलाया जाना है। उन्होंने बताया कि 01 से 02 साल तक के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 मिलिग्राम ग्राम की आधी गोली दो चम्मचों के बीच अच्छी तरह पीस कर खिलाया जाना है। वहीं 02 से 03 साल तक के बच्चों को पूरी गोली को पीस कर इसे पानी में घोल कर पिलाया जाना है। वहीं 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को पूरी गोली चबाकर खानी है। दवा की खुराक बच्चों को खाली पेट में नहीं दिया जाना है। बीमार बच्चों का दवा का सेवन नहीं कराया जाना है। उन्होंने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर आईसीडीएस, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों को जिलाधिकारी के माध्यम से जरूरी दिशा निर्देश दिया गया है। अभियान में निजी स्कूल भी बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभायेंगे। स्कूल संचालकों के साथ इसे समन्वय स्थापित किया गया है।

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