धूल फांक रही बायोमेट्रिक मशीनें, रजिस्टर पर लग रही कर्मचारियों की हाजिरी

अररिया, रंजीत ठाकुर भरगामा प्रखंड क्षेत्र के अलग-अलग विभागों के प्रखंड स्तरीय सरकारी कार्यालय से लेकर विभिन्न ग्राम पंचायतों के पंचायत भवनों में कर्मचारियों की ससमय उपस्थिति सुनिश्चित कराने के मकसद से लगाई गई बायोमेट्रिक मशीनें फिलहाल धूल फांक रही है। इसका इस्तेमाल नहीं होने के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि ये मशीनें अपनी हीं हाजिरी लगाने के लिए तरस गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 2 महीने पहले प्रखंड स्तरीय सरकारी कार्यालय सहित विभिन्न पंचायत भवनों में बायोमेट्रिक हाजिरी लगाने के लिए पंचिंग मशीनें लगवाई गई थी।

इन पर कई हजार रुपये का खर्च आया था। हालांकि मौजूदा समय में यह मशीनें शोपीस बनकर रह गई है और कर्मचारियों की हाजिरी पुराने ढंग से एक रजिस्टर पर लग रही है। बताया जाता है कि प्रखंड मुख्यालय सहित ग्राम पंचायत मुख्यालय में पदस्थापित कुछ कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं आते हैं,जबकि कुछ कर्मी ड्यूटी खत्म होने से पहले हीं घर के लिए निकल जाते हैं। इसी को देखते हुए विभाग ने ये मशीनें लगवाई थी। आपको बता दें कि कुछ कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रखंड मुख्यालय सहित विभिन्न ग्राम पंचायतों के पंचायत भवनों में मशीनें लगने के बाद भी अब तक चालू नहीं हुई है। इसे चालू कराने की दिशा में अबतक किसी अधिकारियों ने खासा दिलचस्पी भी नहीं दिखाई है।

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नतीजतन रजिस्टर पर कुछ कर्मियों की पूरे महीने की हाजिरी एक दिन में हीं बन रही है। सूत्र बताते हैं कि प्रखंड मुख्यालय में पदस्थापित कुछ कर्मियों को किसी अवकाश का कोई जरुरत नहीं पड़ता है,क्योंकि वे अपने मन के मालिक हैं,अपने मर्जी के अनुसार कार्यालय आते हैं और अपने मर्जी के अनुसार छुट्टी पर रहते हैं। जबकि विभिन्न ग्राम पंचायतों में पदस्थापित पंचायत सचिव,राजस्व कर्मचारी, कार्यपालक सहायक,आवास सहायक,विकास मित्र,कचहरी सचिव,पीआरएस,किसान सलाहकार सहित अन्य कर्मचारी भी रोस्टर के अनुसार ससमय कार्यालय में नहीं बैठते हैं। गोपनीय सूत्र बताते हैं कि इनकी उपस्थिति और अब्सेंटी पंचायत सचिवों को देखना होता है,लेकिन एक से अधिक पंचायत के प्रभार झेल रहे कुछ प्रभारी पंचायत सचिव का कहना है कि उन्हें इतना समय हीं नहीं है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मियों के गतिविधि पर नजर रखेंगे।

शायद यही वजह है कि उन्हें मजबूरन उपरोक्त कर्मियों को पूरे महीने की उपस्थित विभागों को दिखाना पड़ता है। बताया जाता है कि अगर जमीनी हकीकत की पड़ताल की जाय तो एक भी कर्मी रोस्टर के अनुसार ससमय कार्यालय में बैठे नहीं मिलेंगे। अगर इन कर्मियों की पिछले एक साल की उपस्थिति पंजी मांग दी जाए तो शायद दुरुस्त नहीं मिलेंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिरकार किस परिस्थिति में बिना किसी जांच-पड़ताल के पंचायत सचिव पूरे-पूरे महीने की वेतन अपने अधीनस्थ कर्मियों के खाते में भेजने का आदेश पारित कर देते हैं ये तो जांच का विषय है। वहीं इस संबंध में डीपीआरो मनीष कुमार का कहना है कि बायोमेट्रिक मशीनें बंद होने की जानकारी उन्हें नहीं है। किस कारण से बायोमेट्रिक मशीन बंद पड़ी है,इसकी जांच कराकर इन मशीनों को जल्द हीं शुरू करवाया जायेगा।

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