कुपोषित बच्चों की पहचान कर पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजने के लिए प्रखंड स्तरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक का हुआ आयोजन

पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) नवजात शिशुओं की समय के शारीरिक और मानसिक विकास नहीं होने पर संबंधित बच्चों को कुपोषित बच्चों की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे बच्चों की शुरुआत में ही समय करते हुए पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) भेजते हुए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता और पोषण सुविधा उपलब्ध कराते हुए सुपोषित करने के लिए सभी प्रखंड के प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारी और समेकित बाल विकास परियोजना (आईसीडीएस) के सीडीपीओ के साथ एकदिवसीय समीक्षा बैठक मंगलवार को राजकीय चिकित्सिका महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में आयोजित किया गया।

इस दौरान सभी प्रखंड अधिकारियों को कुपोषित बच्चों की समय पर पहचान करते हुए उन्हें परिजनों के साथ पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजने की जानकारी दी गई। पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को सुरक्षित करने के लिए शिशु स्वास्थ्य अधिकारी और पोषण सलाहकार द्वारा आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है जिसका लाभ उठाते हुए कुपोषित बच्चों को समय के साथ स्वास्थ्य और तंदुरुस्त किया जाता है। समीक्षा बैठक के दौरान प्रभारी सिविल सर्जन डॉ आर पी मंडल, जीएमसीएच पूर्णिया से शिशु स्वास्थ्य विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ प्रेम प्रकाश, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, डीपीसी डॉ सुधांशु शेखर, डीसीक्युए डॉ अनिल कुमार शर्मा, यूनिसेफ जिला सलाहकार शिवशेखर आनंद, यूनिसेफ पोषण समन्यवक निधि भारती, पिरामल स्वास्थ्य जिला लीड चंदन कुमार, प्रोग्राम लीड सनत गुहा सहित सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सिका पदाधिकारी, बीसीएम, आईसीडीएस सीडीपीओ, जीविका स्वास्थ्य डीपीएम, पंचायती राज्य पदाधिकारी और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

अधिकारियों द्वारा किया गया पोषण पुनर्वास केंद्र का निरक्षण :

समीक्षा बैठक के बाद सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों और आईसीडीएस सीडीपीओ द्वारा कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए जीएमसीएच में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र का निरक्षण किया गया। इस दौरान सभी अधिकारियों को बताया गया कि कुपोषित बच्चों के सुरक्षा के लिए एनआरसी में 20 बेड का वार्ड उपलब्ध है। संबंधित वार्ड में कुपोषित बच्चों और उनके एक परिजनों के रुकने और खाने की सभी सुविधा उपलब्ध है। बच्चों और परिजनों के भोजन के लिए एनआरसी में रसोई सुविधा उपलब्ध है। रसोई में उपस्थित कर्मियों द्वारा उपस्थित बच्चों और परिजनों को आवश्यक पोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। एनआरसी केंद्र में बच्चों के आनंद के लिए खिलौना सुविधा भी उपलब्ध रहती है। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ आर पी मण्डल द्वारा सभी आईसीडीएस सीडीपीओ और प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों को संबंधित प्रखंड से कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए एनआरसी भेजते हुए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठाने के लिए जागरूक करने का निर्देश दिया गया। डॉ आर पी मंडल ने कहा कि कुपोषित बच्चों के चिकित्सकीय सहायता के साथ साथ एनआरसी केन्द्र में उनके परिजनों के भी रहने और खाने की सभी व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है। अधिकारियों द्वारा समय पर कुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने से बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित हो सकेंगे।

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समय पर पर्याप्त इलाज नहीं होने से कुपोषित बच्चों के मृत्यु की होती है संभावना :

जिला कार्यक्रम समन्यवक सह पोषण पुनर्वास केन्द्र के नोडल पदाधिकारी डॉ सुधांशु शेखर ने बताया कि सामान्य बच्चों की तुलना में गंभीर अतिकुपोषित बच्चों की मृत्यु का खतरा नौ गुना अधिक होता है। 100 में 80-85 प्रतिशत ऐसे कुपोषित बच्चे पाए जाते हैं जिनका चिकित्सकीय सहायता समुदाय स्तर पर किया जा सकता है। 10-15 प्रतिशत बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र भेजने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों की समय से पहचान कर उनका इलाज करने से कुपोषण के कारण होने वाले बच्चों की मृत्यु को खत्म किया जा सकता है। इसके लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं को उनके क्षेत्र के कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों की पहचान करते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए एनआरसी भेजना सुनिश्चित करना चाहिए। एनआरसी में उपचार के दौरान बच्चों और परिजनों को आवश्यक पोषण और चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है। पुनर्वास केंद्र में उपचार के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित परिजनों को बैंक खाते में सहयोग राशि भी उपलब्ध कराई जाती है। लोगों को इसका लाभ उठाते हुए अपने कुपोषित बच्चों को आवश्यक चिकित्सकीय सहायता का लाभ उठाना चाहिए और बच्चों को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखना चाहिए।

उम्र के साथ वजन, लंबाई और ऊँचाई के आधार पर चिन्हित किया जाता है कुपोषित बच्चा :

जीएमसीएच पूर्णिया से शिशु स्वास्थ्य विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ प्रेम प्रकाश ने बताया कि जन्म के बाद से ही नवजात शिशुओं का सही देखभाल आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। कुपोषित बच्चों की समय पर पहचान कर उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए आईसीडीएस आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा ऐसे बच्चों को चिन्हित कर पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा जाना चाहिए। इसके लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा नवजात शिशुओं का जन्म के साथ वजन, लंबाई व ऊंचाई के आधार पर उनके पोषण स्थिति की पहचान की जानी चाहिए। ऐसे कुपोषित बच्चे जिन्हें केवल शारीरिक कमजोरी है लेकिन चिकित्सकीय समस्या नहीं है उनका इलाज समुदाय स्तर पर संचालित टीकाकरण केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र द्वारा पोषण और चिकित्सकीय सहायता देकर किया जाता है। लेकिन ऐसे बच्चे जिन्हें शारीरिक कमजोरी के साथ मानसिक कमजोरी और निर्बलता है उसे अतिकुपोषित की श्रेणी में रखते हुए बेहतर इलाज के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र भेजते हुए उसे चिकित्सक द्वारा देखरेख कर इलाज कराया जाता है। ऐसे बच्चों को चिह्नित करते हुए उन्हें समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं को सीडीपीओ द्वारा आवश्यक निर्देश दिया जाना चाहिए जिससे कि समय से ऐसे बच्चों की पहचान कर उनका इलाज किया जा सके और उन्हें सुपोषित बनाया जा सके।

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