सामाजिक कौशल विकसित करने का एक सशक्त माध्यम : शशि भूषण

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>पटना सिटी&comma; &lpar;न्यूज़ क्राइम 24<&sol;strong>&rpar;  सिटी चौक हिरानन्द साह की गली स्थित खेतान विद्यालय परिसर में सरस्वती कला मंच का भव्य उद्घाटन किया गया। इस समारोह के उद्घाटन कर्ता के रूप में चर्चित समाजसेवी एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ता डॉ आनंद मोहन झा&comma;मुख्य अतिथि स्वरुप देश और दुनिया में चर्चित मानवाधिकार के संवाहक वरिष्ठ पत्रकार डॉ शशि भूषण कुमार&comma; विशिष्ट अतिथि स्वरुप बिहार कला मंच के अध्यक्ष मनोज कुमार बच्चन एवं RTI एक्टिविस्ट संजय शुक्ला मंच पर उपस्थित थे। सर्व प्रथम अतिथियों द्वारा फीता काट कर कला मंच सभागार में प्रवेश किया। उसके बाद सभी अतिथियो को मंचाशीन कराया गया। सभी अतिथियों ने एक साथ दीप प्रज्जवलन के साथ ही कार्यक्रम प्रारभ हो गया। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>कलाकारों ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत गाया। संस्थान के संरक्षक शैलेश कुमार एवं अनिल कुमार&comma; सचिव अरुण अग्निवेश&comma; उपसचिव दीपू आनंद ने अतिथियों का माला एवं अंग वस्त्र पहना कर स्वागत किया।देश और दुनिया में चर्चित मानवाधिकार के संवाहक वरिष्ठ पत्रकार डॉ शशि भूषण कुमार ने कहा कि गीत&comma; संगीत और नृत्य के कई शारीरिक मानसिक और भावनात्मक लाभ हैं&comma; जैसे कि तनाव कम करना&comma; आत्मविश्वास बढ़ाना&comma; शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करना और मस्तिष्क के विकास में मदद करना। ये कलाएँ भावनाओं को व्यक्त करने और सामाजिक कौशल विकसित करने का एक सशक्त माध्यम भी प्रदान करती हैं।उद्घाटन कर्ता के रूप में चर्चित समाजसेवी एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ता डॉ आनंद मोहन झा ने कहा कि गायन मानव आवाज का उपयोग करके संगीतमय ध्वनियाँ पैदा करने की कला है&comma; जिसमें राग और ताल का संयोजन होता है। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>इसे अकेले या वाद्य यंत्रों के साथ किया जा सकता है&comma; और यह एक अनौपचारिक या बहुत औपचारिक प्रदर्शन हो सकता है। वादन किसी वाद्य यंत्र को बजाकर मन के भावों को प्रकट करने की कला है। इसमें विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों का उपयोग होता है&comma; और यह संगीत का एक अभिन्न अंग है। मनोज भाबुक ने कहा कि नृत्य अपनी शारीरिक मुद्रा &lpar;भाव-मुद्राओं&rpar; के माध्यम से मन के भावों को अभिव्यक्त करने की कला है। यह संगीत के साथ मिलकर एक पूर्ण अनुभव प्रदान करता है।<br><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>संगीत यह इन तीनों कलाओं का एक संयोजन है&comma; जो समय और स्थान के साथ घटित होता है।चर्चित सिने गायक कुंदन कृष्णा ने माता का शानदार भजन स्वरुप गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालक हंस राज हंस ने किया। कार्यक्रम में कलाकार संजय अनवर&comma; कपिल देव&comma; संतोष शर्मा&comma; सुनीता शर्मा एवं मिस्टर एवं मिसेस डीसुजा सहित सैकड़ो कलाकार उपस्थित थे। उसमें से दर्जनों कलाकार ने अपनी शानदार प्रस्तुति से उपस्थित सभी का मन मोह लिया।<&sol;p>&NewLine;

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