विश्व मलेरिया दिवस : संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया

कटिहार, (न्यूज क्राइम 24)  हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी स्वास्थ्य केंद्रों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को मलेरिया की जानकारी देते हुए इससे सुरक्षित रहने की आवश्यक जानकारी दी जाती है। भारत सरकार द्वारा आगामी वर्ष 2030 तक मलेरिया बीमारी को देश में पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित रखा गया है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया संक्रमित क्षेत्रों में नियमित रूप से आवश्यक छिड़काव कराया जाता है, जिससे कि वहां से मलेरिया होने वाले संक्रमित मच्छरों को समाप्त किया जा सके। इसके साथ साथ संबंधित क्षेत्र के लोगों को भी मलेरिया से सुरक्षा के लिए होने वाले लक्षण और अस्पताल में संक्रमित व्यक्ति के लिए उपलब्ध उपचार की आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस का थीम “अधिक न्यायसंगत विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना” रखा गया है।

किसी भी उम्र में हो सकता है मलेरिया :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने बताया कि मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया मुख्य रूप से एक तरह का बुखार है जो किसी भी उम्र के लोगों को कभी भी हो सकता है। इसमें ठंड जैसा महसूस होने के साथ-साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार हो जाता है। हालांकि कुछ घंटों बाद पसीने के साथ बुखार उतर भी जाता है, लेकिन बुखार के आने-जाने का सिलसिला नियमित बना रहता है।

फेलसीपेरम मलेरिया (दिमागी मलेरिया) की अवस्था में तेज बुखार के साथ खून की कमी, दिमाग पर बुखार का चढ़ जाना, फेफड़े में सूजन की शिकायत के साथ ही पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान होती है। सिविल सर्जन ने बताया कि मलेरिया को समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मलेरिया बीमारी से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को अपने घर के आसपास के क्षेत्रों को नियमित साफ-सुथरा रखने की जानकारी दी जा रही है जिससे कि वहां मलेरिया होने वाले मच्छरों के विस्तार न हो सके और लोग मलेरिया से सुरक्षित रह सकें।

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किसी भी स्थान पर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं मलेरिया के मच्छर :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने बताया कि मलेरिया फैलाने वाला मच्छर किसी स्थान पर ठहरे हुए साफ पानी और धीमी गति से बहने वाली नालियों में अंडे देती है और वहां पर पनपती है। मलेरिया के लक्षणों में सिर में तेज दर्द होना, उल्टी होना, जी मिचलाना, उल्टी होना या जी मचलना, हाथ पैरों के जोड़ में दर्द, कमजोरी व थकान, खून की कमी, आंखों की पुतलियों का रंग पीला होना, पसीना निकलने के बाद बुखार कम होना, तेज कंपन के साथ बुखार आना आदि हैं। मलेरिया के बुखार के कारण मरीज बेहोश भी हो सकता है। मलेरिया बुखार की पहचान करने के लिए स्थानीय आशा कर्मियों द्वारा आरडीटी किट से पहचान कराई जा सकती है। मलेरिया की पहचान होने पर पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। वहां डॉक्टरों द्वारा विशेष रूप से संक्रमित व्यक्ति के खून की जांच की जाती है। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर द्वारा मरीजों को आवश्यक दवाई उपलब्ध कराई जाती है। सभी सरकारी अस्पतालों में मलेरिया के जांच और उपचार की व्यवस्था निःशुल्क उपलब्ध है।

मच्छरदानी के साथ नियमित छिड़काव करने से हो सकते हैं मलेरिया से सुरक्षित :

भीडीसीओ एन के मिश्रा ने बताया कि मलेरिया से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को सोते समय नियमित रूप से मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए ताकि आसपास मलेरिया ग्रसित करने वाले मच्छरों के संक्रमण से सुरक्षित रह सकें। इसके साथ साथ घर के आसपास जलजमाव वाले स्थलों को मिट्टी से भर कर रखना, धीमी गति से बहने वाले नालियों में नियमित केरोसिन या डीजल की परत डालना, घर के आसपास साफ सफाई रखना आदि आवश्यक है। इससे मलेरिया होने वाले मच्छर नष्ट हो जाते हैं और लोग मलेरिया बीमारी से सुरक्षित रहते हैं। उन्होंने बताया कि विश्व मलेरिया दिवस के लिए जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसके माध्यम से लोगों को मलेरिया बीमारी से सुरक्षा की आवश्यक जानकारी दी जा रही है। इससे लोग मलेरिया के प्रति जागरूक रहते हुए बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।

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