विश्व एड्स दिवस : समय पर जांच और नियमित उपचार से स्वस्थ्य और सुरक्षित रह सकते हैं एड्स ग्रसित व्यक्ति : सिविल सर्जन

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>पूर्णिया&comma; &lpar;न्यूज़ क्राइम 24&rpar;<&sol;strong> स्वास्थ्य विभाग द्वारा &&num;8220&semi;विश्व एड्स दिवस&&num;8221&semi; पर जागरूकता अभियान चलाने के लिए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के एएनएम भवन में एएनएम कर्मियों के साथ एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान अधिकारियों द्वारा स्वस्थ्य कर्मियों को संक्रमण बीमारी एड्स संक्रमण और उससे सुरक्षित रहने के लिए लोगों को जागरूक रहने के लिए प्रेरित करने के लिए समुदाय स्तर पर लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने वाली एएनएम कर्मियों को जागरूक करने के लिए आवश्यक जानकारी दी गई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया के साथ जिला भेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल&comma; प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कसबा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कृष्णमोहन दास&comma; जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिनेश कुमार&comma; एड्स नियंत्रण के लिए जीएमसीएच में संचालित एआरटी सेंटर चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार&comma; डीएम&amp&semi;ई आलोक कुमार&comma; यूनिसेफ जिला समन्यवक शिवशेखर आनंद&comma; आईसीटीसी और पीपीटीसीटी काउंसेलर और एआरटी सेंटर एलपी प्रियदर्शी&comma; मुकुल कुमार चौधरी&comma; आईसीटीसी इंचार्ज वैधनाथ और जीएमसीएच पूर्णिया के एएनएम स्कूल में कार्यरत सभी जीएनएम और एएनएम उपस्थित रही। वर्ष 2025 में विश्व एड्स दिवस का थीम &&num;8220&semi;विघ्नों पर विजय&comma; एड्स प्रतिक्रिया में परिवर्तन&&num;8221&semi; रखा गया है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>समय पर जांच और नियमित उपचार से स्वस्थ्य और सुरक्षित रह सकते हैं एड्स ग्रसित व्यक्ति &colon; सिविल सर्जन<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि असुरक्षित यौन संबंध से कोई भी व्यक्ति एड्स ऐसे गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है। समय पर जांच और आजीवन नियमित उपचार से कोई भी व्यक्ति एड्स को नियंत्रित रख कर स्वस्थ्य और सुरक्षित रह सकते हैं। एड्स ग्रसित होने से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को असुरक्षित यौन संबंध के साथ साथ अतिरिक्त बाहरी उपकरण जो शरीर से संबंधित हो उपयोग करने से सुरक्षित रहना चाहिए। इससे लोग संक्रमण बीमारी एड्स ग्रसित होने से सुरक्षित रहते हुए स्वस्थ जीवन का लाभ उठा सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>एड्स ग्रसित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए&comma; छुआछूत नहीं है एड्स &colon; सीडीओ<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जिला संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिनेश कुमार ने कहा कि एड्स ग्रसित मरीजों के साथ सामान्य तौर से बातचीत करना&comma; हाथ मिलाना आदि से स्वास्थ्य व्यक्ति एड्स जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित नहीं हो जाते हैं। एड्स असुरक्षित यौन संबंध बनाने से ही ग्रसित व्यक्ति से सामान्य व्यक्ति को हो सकता है। ऐसे में किसी भी सामान्य लोगों द्वारा एड्स ग्रसित मरीजों से भेदभाव नहीं होना चाहिए। एड्स ग्रसित होने के बाद भी ग्रसित लोगों द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र में जांच कराते हुए जीवनभर उपचार कराने से लोग एड्स जैसी गंभीर बीमारी से सुरक्षित रहते हुए सामान्य तौर पर जीवनयापन कर सकते हैं।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>एचआईवी से लड़ाई में एक दिन का भी रुकना हो सकता है खतरनाक &colon; एड्स विशेषज्ञ डॉ सौरभ कुमार<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>जीएमसीएच एआरटी सेंटर के एड्स विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सौरभ कुमार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं ने कई चुनौतियों का सामना किया है जैसे महामारी&comma; संसाधनों की कमी&comma; बढ़ता कार्यभार और दूरदराज क्षेत्रों में सेवाओं का बाधित होना। इन परिस्थितियों ने एचआईवी टेस्टिंग&comma; उपचार और प्रभावित किया है। लेकिन एचआईवी से लड़ाई में उपचार का एक दिन भी रुकना खरतनाक हो सकता है। इसलिए हमारा पहला दायित्व है कि हम किसी भी परिस्थितियों में सेवाओं की निरंतरता बनाए रखें। इसमें टेस्टिंग आसान और सुलभ रहे&comma; एआरटी दवाएं निर्बाध मिले&comma; मरीज नियमित फॉलोअप में रहें और उन्हें मानसिक सामाजिक समर्थन मिलता रहे। एचआईवी के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को आज एक नए युग के अनुसार बदलने की आवश्यकता है। परिवर्तन का अर्थ है &&num;8211&semi; एचआईवी सेवाओं को टीबी&comma; मातृत्व&comma; किशोर स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ना&comma; डिजिटल हेल्थ&comma; टेली-कंसल्टेंशन और समुदाय आधारित सेवाओं का उपयोग बढ़ना&comma; पीईपी और नई उपकरण तकनीकों को अधिक लोगों तक पहुँचाना और सबसे महत्वपूर्ण मरीज केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना। जब सेवाएं सामान्य&comma; सहानुभूति और सुविधा के साथ दी जाती है तो मरीज उपचार से जुड़ा रहता है और बेहतर परिणाम मिलते हैं। एचआईवी का सबसे बड़ा संघर्ष सामाजिक कलंक है। <&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>हमें यह संदेश हर मरीज और हर परिवार तक पहुँचाना चाहिए कि &&num;8211&semi;<&sol;strong><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><br>•एचआईवी एक प्रबंधनीय स्थिति है।<br>•एआरटी लेने वाला हर व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<ul class&equals;"wp-block-list">&NewLine;<li>और नियमित उपचार पर रहने वाला व्यक्ति वायरस नहीं फैलाता है।<&sol;li>&NewLine;<&sol;ul>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>समाज से यह कलंक हटेगा तो लोग आगे आएंगे&comma; एचआईवी टेस्ट करवाएंगे और बिना डर के उपचार करेंगे। डॉ सौरभ कुमार ने कहा कि सभी स्वस्थ्य कर्मी मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर मरीज को गरिमा और गोपनीयता मिले&comma; उन्हें सटीक जानकारी और सही दिशा निर्देश मिले और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा ग्रसित मरीजों की भावनात्मक जरूरतों को भी समझे। एचआईवी से निपटने में सिर्फ दवाएं ही नहीं बल्कि हमारा व्यवहार और संवेदनशीलता को भी महत्वपूर्ण देते हुए उसका पालन करते हुए मरीजों को सुरक्षित रखें।<&sol;p>&NewLine;

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