‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ पर कार्यशाला आयोजित

पटना, (न्यूज़ क्राइम 24) मंगलवार को पटना में कार्बन न्यूट्रल राज्य बनाने की दिशा में ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रमंडलीय स्तर प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ पटना के प्रमंडलीय आयुक्त श्री मयंक वरवड़े की अध्यक्षता में किया गया। अपने उद्भोधन में उन्होंने कहा की बिहार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसका प्रमाण उत्तरी बिहार में आने वाली वार्षिक बाढ़ और राज्य के दक्षिणी हिस्सों में सूखे के रूप में देखा जा सकता है। इसलिए, बिहार के लिए इस ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ पर काम करना आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी जलवायु को सरंक्षित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के सदस्य सचिव श्री नीरज नारायण ने उदघाटन सम्बोधन में कहा की भारत सरकार के संकल्प के अनुसरण में, बिहार ने 2070 तक राज्य को कार्बन न्यूट्रल बनाने का संकल्प लिया है। यह लक्ष्य राज्य सरकार के विभिन्न विभागों जैसे ऊर्जा, कृषि, परिवहन और जल संसाधन विभाग सहित अन्य हितधारकों के बीच समन्वित प्रयासों से प्राप्त किया जा सकता है। पिछले 2.5 वर्षों से जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति पर कार्य हो रहा है, जिसके अंतर्गत 250 से अधिक हितधारक परामर्श बैठकें हुईं, जिनके परिणामस्वरूप इस रणनीति का निर्माण किया गया है।

अपने स्वागत संबोधन में उप- विकास आयुक्त , श्री समीर सौरभ ने कहा की ‘अर्थव्यवस्था बनाम पर्यावरण’ पर बहस औद्योगिकीकरण के बाद से चल रही है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ये दोनों हमेशा विरोध में हों; ये समानांतर रूप से आगे बढ़ सकते हैं। बिहार ने जलवायु कार्रवाई के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं, जिसमें ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ शामिल है। यह रिपोर्ट जलवायु अनुकूलता और अनुकूलन के लिए उठाए जाने वाले कदमों की बात करती है।

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बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री नवीन कुमार ने अपने उद्भोधन में कहा की जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चिंता का विषय है। इस मुद्दे की तात्कालिकता को स्वीकारते हुए, बिहार सरकार और UNEP ने फरवरी 2021 में जलवायु-लचीला और निम्न-कार्बन विकास पथ के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस परियोजना पर एक रिपोर्ट इस साल मार्च में जारी की गई थी।

कार्यशाला की विस्तृत जानकारी डब्लू.आर.आई. इंडिया के वरीय प्रोग्राम प्रबन्धक डॉ. शशिधर कुमार झा एवं प्रबन्धक श्री मणि भूषण कुमार झा द्वारा दी गई। श्री मणि भूषण ने कहा की वर्तमान में बिहार राज्य लगभग 9.7 करोड़ टन कार्बन डाईऑक्‍साइड के समतुल्‍य कार्बन उत्‍सर्जन करता है, जो कि भारत के सम्पूर्ण उत्सर्जन का लगभग 3% है। आने वाले वर्षों में राज्य में विकास की गति बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन और भी बढ़ सकता है, लेकिन नेट ज़ीरो रणनीति को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में तुलनात्मक रूप से कमी लायी जा सकती है, परिणाम स्वरूप जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।

डॉ. शशिधर ने अपने वक्तव्य में कहा कि बिहार में पिछले 50 सालों में तापमान में 0.8 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और 2030 तक तापमान में 0.8- 1.3 डिग्री सेल्सियस, 2050 तक 1.4- 1.7 डिग्री सेल्सियस और 2070 तक 1.8-2.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने का अनुमान है। इसके अलावा अब मानसून की शुरुआत में देरी हो रही है। जलवायु परिवर्तन अनुकूलन उपायों के बारे में बताते हुए उन्होंने फसल एवं कृषि प्रणाली में विविधता, सतही और भूजल का एकीकृत प्रबंधन, वन पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्जनन, निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना और आपदा के समय आजीविका की सुरक्षा और संवर्द्धन का उल्लेख किया।

मोहम्मद शमशाद परवेज़ , टीम कोऑर्डिनेटर , प्रदान ने विशेषज्ञ के रूप में संबोधित करते हुए पंचायत स्तर पर प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की योजना और क्रियान्वयन में 3Cs — सामुदायिक भागीदारी, अभिसरण और सहयोग — के महत्व पर जोर दिया, साथ ही इस मुद्दे से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों, कौशल और तकनीक को लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण एवं अन्य हितधारकों ने भी अपने विचार साझा किये। कार्यशाला के अंत में श्री रविंद्र कुमार दिवाकर, वरीय समाहर्ता, पटना ने सभी को धन्यवाद प्रेषित किया। अगली प्रमंडलीय स्तर कार्यशाला शनिवार, 19, अक्टूबर, 2024 को गया में आयोजित की जाएगी।

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