फुलवारीशरीफ(अजीत यादव): विकिरण ऑन्कोलॉजी विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना ने विश्व कैंसर दिवस को चिह्नित करने के लिए 2022 “क्लोज द केयर गैप” विषय पर वैज्ञानिक पत्रकारिता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ प्रीतांजलि सिंह ने प्रतिभागियों का स्वागत किया जबकि डॉ उमेश भदानी, डीन (अकादमिक) ने अपना उद्घाटन भाषण दिया।
डॉ० उमेश भदानी, डीन ने कहा कि तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के रोगों के मरीज लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं कैंसर के मरीजों की बढ़ती तादाद पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है उन्होंने कहा कि शहरों में पढ़े लिखे शिक्षित और जागरूक होने के बावजूद ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरों में कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम पिछले कई वर्षों से सिर्फ इसके बढ़ने पर ध्यान दे रहे हैं और अब तक भी हमने कैंसर के रोकथाम के लिए कुछ नहीं किया। तम्बाकू की वजह से होने वाले कैंसर कुल कैंसर मामलों का 27% है फिर भी तम्बाकू बड़े आराम से बिक रहा है, वैसे ही सिगरेट बीड़ी खैनी आम मिल जाता है। इस मसले पर सभी तबके के लोगों को विशेष रुप से ध्यान देने की जरूरत है।
रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ प्रीतांजलि सिंह ने बताया कि करीब 90% कैंसर मरीजो का प्रसार केंद्र शहरी क्षेत्रों में हैं जबकि 70% मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। उन्होंने भारत में बढ़ते कैंसर रोगियों के आंकड़ों पर ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि 42 लाख कैंसर मरीजो में लगभग 8 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। कैंसर देखभाल में अंतर को कम करने या बंद करने के लिए हर स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि इस साल 4 फरवरी ‘वल्र्ड कैंसर डे’ की थीम ‘क्लोज़ द केयर गैप’ पर केन्द्रित है। कैंसर की रोकथाम और जागरूकता के लिए मीडिया की भूमिका बहुत ही अहम है । इस कार्यशाला में विभिन्न तरह के कैंसर के बारे में चर्चा हुई। जिसमें स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, फेफड़े और सिर और गर्दन के कैंसर और रोकथाम के विभिन्न तरीकों पर विशेष जोर दिया गया था। इसने मैमोग्राफी, एचपीवी टीकों, धूम्रपान बंद करने और कई अन्य निवारक उपायों की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। इस कार्यशाला की शुरुआत स्वास्थ्य कहानियां लिखने में पत्रकारों की चुनौतियों पर चर्चा के साथ हुई। डॉ चंदन कुमार झा ने स्तन कैंसर से संबंधित तथ्यों और आंकड़ों पर स्तन कैंसर देखभाल तक पहुंचने में कठिनाई पर चर्चा की और स्तन जागरूक होने पर जोर दिया। डॉ अभिषेक शंकर ने कैंसर की रोकथाम, स्क्रीनिंग और टीकाकरण में अंतराल पर ध्यान देने के साथ भारत में प्रमुख चुनौतियों और अनुसंधान प्रश्नों के वैज्ञानिक अवलोकन पर बात की।
कैंसर देखभाल के इस महत्वपूर्ण पहलू पर हम लोगों को जागरूक करने के लिए मीडिया को कैसे तैयार किया जा सकता है, इसपर विस्तार से चर्चा की। डॉ प्रीतंजलि सिंह ने ने बताया कि कार्यशाला में पत्रकारों ने अपना अनुभव साझा किया जहां उन्हें कैंसर की कहानी की रिपोर्ट करते समय महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस सत्र के बाद पर्यावरणीय जोखिम कारकों, संक्रमण, जीवन शैली के साथ-साथ कैंसर देखभाल और तंबाकू समाप्ति पर रिपोर्टिंग में चुनौतियों पर रिपोर्टिंग की चुनौतियों पर सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें कैंसर के उपचार, रोकथाम और निदान और उनकी रिपोर्ट करने से संबंधित प्रश्न शामिल थे। डॉ प्रीतंजलि सिंह, चंदन झा, अभिषेक शंकर, अजीत कुमार, अमित सिन्हा,अमरजीत कुमार और नीरज कुमार ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रेडियो चैनलों के मीडिया कर्मियों के साथ चर्चा की। इस चर्चा ने कैंसर से बचने, नए उपचार, विपणन और कैंसर की कहानियों के वित्तीय निर्धारकों के महत्व पर भी जोर दिया।