नगर पंचायत तलवाड़ा के अध्यक्ष से इस्तीफे का मामला

तलवाड़ा(प्रवीण सोहल): नगर पंचायत के 8 पार्षदों ने “अध्यक्षा मोनिका शर्मा” के नाकामयाब नेतृत्व के विरोध में अपने त्याग पत्र दे दिए और यह ख़बर बाज़ार में आते ही जंगल की आग की तरह पूरे दसूहा निर्वाचन क्षेत्र में फैल गई देर रात तक मेरे फ़ोन की घंटियां भी इस ख़बर को जानने के विषय में बजती रही। बेशक यह फैसला 8 पार्षदों ने बहुमत के साथ लिया है लेकिन आप इसे सिर्फ़ 8 लोगों का फ़ैसला नही बल्कि उन हज़ारों लोगों का फ़ैसला मानिए जिन्होंने इन पार्षदों को अपना नेतृत्व सौंपा है।

नगर पंचायत के “अध्यक्ष” का चुनाव सिर्फ़ और सिर्फ़ पार्षदों के बहुमत पर आधारित है और यह “श्रीमति मोनिका शर्मा”के विरोध में है इसलिए “श्रीमती मोनिका शर्मा को अपना “त्याग पत्र” लिखकर सभी पार्षदों की एक सभा बुलानी चाहिए और अपना पक्ष रखना चाहिए क्योंकि उनके देरी करने पर सभी पार्षद फिर से प्रैस कॉन्फ्रेंस करके उनको हटाने की मांग कर सकते हैं यां आधिकारिक रूप से अपने पद से अस्तीफा दे सकते हैं। ऐसा करने की सूरत में “कांग्रेस पार्टी” को तो राजनीतिक नुकसान होगा ही साथ ही साथ विपक्ष को एक मौका मिलेगा कि वह त्याग पत्र दिए पार्षदों को अपने खेमें में ले सकें।

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क्योंकि मेरी बीवी ख़ुद एक पार्षद है इसलिए मुझे जानकारी है कि सभी त्याग पत्र दे चुके पार्षदों ने फ़ैसला किया है कि अगर कोई भी उन्हें तोड़ने के लिए कॉल करेगा तो वो सभी उस शक्स की कॉल को रिकॉर्ड करेंगे और आवश्यकता आने पर प्रैस कॉन्फ्रेंस में उसका इस्तेमाल भी करेंगे और सभी पार्षदों का दूसरा फैसला यह है कि अगर उनमें से किसी को भी किसी भी “शक्स” द्वारा संबंधित विषय पर बात करने को बुलाया जाएगा तो वह बाकी पार्षदों को सूचित करेंगे और इकट्ठे उस शक्स से मिलने जाएंगे।

तलवाड़ा नगर के निवासी होने के नाते आपको जानने का पूरा हक़ है कि कल देर रात तक कई “पार्षदों” को कई लोगों की संबंधित मसले को लेकर टेलीफोन कॉल्स आती रहीं पर पार्षदों ने ज्यादातर कॉल्स को उठाया ही नहीं और जिन कॉल्स को उठाना ज़रूरी था उन्हें यही बताया कि उन सबका फ़ैसला अटल है और उन्हें अपने आत्म-सम्मान और अपने फ़ैसले पर न्याय हासिल करने के लिए जिस भी हद तक जाना पड़ा वह जाएंगे क्योंकि हज़ारों “मतदाताओं” ने बहुत सोच समझ और विश्वास के साथ इनको अपना प्रतिनिधित्व सौंपा था और उसी जनता के विकास के काम को सुचारू रूप से करवाने के लिए इन्होंने यह फ़ैसला लिया है। अंत में मेरा यही कहना है कि संवैधानिक हक़ के अनुसार 8 पार्षदों की मांग को शीघ्र अति शीघ्र मान लेना चाहिए क्योंकि न्याय में देरी अपने आप में अन्याय है।

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