‘प्रायोजन एवं पालन पोषण’ की देखभाल, डीएम ने कि बैठक

पटना, (न्यूज क्राइम 24) जिलाधिकारी पटना शीर्षत कपिल अशोक की अध्यक्षता में “प्रायोजन और पालन-पोषण देखभाल अनुमोदन समिति” की बैठक आयोजित की गई। जिसमें कुल 81 बच्चों को ‘प्रायोजन’ योजना से जोड़ने हेतु स्वीकृति दी गई । एकीकृत बाल संरक्षण सेवा, 2018 के दिशा निर्देश के तहत जिला में प्रायोजन कार्यक्रम लागू किया गया था, जिसके तहत 2,000/- रु० की राशि प्रतिमाह प्रति बालक देय थी, परन्तु 01 अप्रैल, 2022 से मिशन वात्सल्य योजना लागू होने के उपरान्त बालकों को देय राशि 4,000/- रु० प्रतिमाह प्रति बालक कर दी गई है।

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उक्त बैठक में सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, अध्यक्ष एवं सदस्य, बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण पदाधिकारी (गैर-संस्थागत), विशिष्ट दत्तकग्रहण संस्थान के प्रतिनिधि एवं प्रयास जुवेनाइल (गैर सरकारी संस्था) के प्रतिनिधि उपस्थित थे । उद्देश:- प्रायोजन को ‘परिवारों को बच्चे की चिकित्सा, शैक्षणिक और विकासपूरक जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय या अन्य सहायता के प्रावधान के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रायोजन कार्यक्रम के तहत, देखभाल या संरक्षण के जरूरतमंद बच्चे की पर्याप्त देखभाल के लिए जैविक परिवारों या बच्चों के विस्तारित परिवारों की पूर्ति करेगा। यह एक सशर्त सहायता होगी, जो यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चों को बिना विस्थापन के, समुदाय में अपने सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश में रहने और विकसित होने का अवसर मिले।

  1. उम्र:- 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक के बालक ।
  2. जहां माता विधवा या तलाकशुदा या परिवार द्वारा परित्यक्त हो
  3. जहां बच्चे अनाथ हों और विस्तारित परिवार के साथ रह रहे हों 4. जहां माता-पिता जीवन के लिए खतरनाक / अंत्य बीमारी के शिकार हों;
  4. जहां माता-पिता अक्षम या बच्चों की देखभाल करने में आर्थिक और शारीरिक रूप से असमर्थ हों;
  5. जेजे अधिनियम, 2015 के अनुसार देखभाल और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चे, जैसे बेघर, किसी प्राकृतिक आपदा के शिकार, बाल श्रम, बाल विवाह के शिकार, दुव्यापार किए गए बच्चे, एचआईवी / एड्स प्रभावित बच्चे, विकलांग बच्चे, लापता या भागे हुए बच्चे, बाल भिखारी या सड़क पर रहने वाले, सहायता और पुनर्वास के जरूरतमंद प्रताड़ित या प्रताड़ित या शोषण किए गए बच्चे;
  6. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन स्कीम के तहत शामिल बच्चे ।
  7. प्रायोजन देख.रेख योजना अंतर्गत एक परिवार में अधिकतम दो बालकों तक योजना का लाभ दिया जाना है। आर्थिक मापदंड:- वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले परिवार की वार्षिक आय, ग्रामीण क्षेत्र में 72,000/- रूपये एवं अन्य मामले में 96,000/- रूपये वार्षिक से अधिक नहीं हो।

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