देश के संविधान पर हमला है मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना : पूर्व न्यायाधीश दामोदर प्रसाद

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&NewLine;<p><&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p><strong>पटना&comma; अजीत।<&sol;strong> देश के मुख्य न्यायाधीश डॉ&period; बी&period;आर&period; गवई पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा जूता फेंकने की घटना को लेकर पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश पटना दामोदर प्रसाद ने कहा कि यह केवल किसी व्यक्ति या न्यायाधीश पर नहीं बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला है&period; उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें निंदनीय हैं और हमलावर के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए&period; उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे लोगों को यदि सिर्फ माफ कर दिया जाएगा तो यह देश में गलत संदेश देगा&period;संस्था ने कहा कि यह घटना केवल मुख्य न्यायाधीश पर हमला नहीं बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को घायल करने वाली है&period; इसलिए ऐसी हरकतों के खिलाफ कठोर उदाहरण स्थापित किया जाना चाहिए ताकि देश और दुनिया में यह संदेश जाए कि न्यायपालिका पर हमला&comma; संविधान पर हमला माना जाएगा&period;<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>पूर्व न्यायाधीश ने कहा &OpenCurlyDoubleQuote;यह देश के संविधान&comma; उसकी आत्मा और न्याय व्यवस्था पर सीधा प्रहार है&period; ऐसे कुकृत्य को क्षमा नहीं किया जा सकता&period; माफी देने से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा कमजोर होती है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>सोमवार को पटना में &OpenCurlyDoubleQuote;द अधिकार फाउंडेशन” की विशेष बैठक आयोजित की गई&comma; जिसमें पूर्व न्यायाधीशों और बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने भाग लिया और सर्वसम्मति से राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से इस घटना पर त्वरित संवैधानिक कार्रवाई की मांग की&period; संस्था ने कहा कि न्यायपालिका में जनता का विश्वास लोकतंत्र की नींव है और मुख्य न्यायाधीश पर हुआ यह प्रयास संविधान की आत्मा का अपमान है।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>संस्था द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में कहा गया कि यह घटना संविधान के अनुच्छेद 51&lpar;क&rpar; और अनुच्छेद 129 का उल्लंघन है&comma; जबकि अधिवक्ता अधिनियम&comma; 1961 की धारा 35 के तहत यह &OpenCurlyDoubleQuote;गंभीर पेशागत दुराचार” है&period; फाउंडेशन ने गृह मंत्रालय और विधि मंत्रालय को त्वरित कार्रवाई के निर्देश देने तथा सुप्रीम कोर्ट और अन्य संवैधानिक संस्थानों की सुरक्षा समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय समिति गठन का आग्रह किया।<&sol;p>&NewLine;&NewLine;&NewLine;&NewLine;<p>बैठक में उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ताओं एस&period;के&period; झा&comma; अवनीश&comma; इंद्रदेव प्रसाद&comma; धर्मनाथ प्रसाद यादव&comma; अरुण कुशवाहा&comma; शुभांगी पांडे&comma; शिवानंद गिरि&comma; रणविजय सिंह&comma; डॉ&period; अनिल कुमार सिंह और वरिष्ठ पत्रकार प्रेम कुमार — ने घटना को घोर निंदनीय बताया और कहा कि ऐसा कृत्य करने वाले का अधिवक्ता लाइसेंस रद्द कर दिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति न्यायपालिका की गरिमा से खिलवाड़ करने की हिम्मत न करे। बैठक की अध्यक्षता अधिकार फाउंडेशन के अध्यक्ष मुकुंद कुमार सिंह ने की&comma; जबकि संचालन सचिव रोहित कुमार सिंह ने किया&period; इस अवसर पर उपाध्यक्ष अजीत कुमार के साथ फाउंडेशन के अनेक सहयोगी — राजेश कुमार सोनी रंजीत कुमार&comma; हरी मोहन कुमार सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित रहे।<&sol;p>&NewLine;

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